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घनश्याम ने जॉब मिलने की खुशखबरी रोहन को बताई। रोहन ने उसे बिज़नेस करने की सलाह दी जिसको वह अनसुना करता हुआ मंदिर चला गया।
अब आगे:
मंदिर जाकर घनश्याम ने भगवान का शुक्रिया अदा किया और वापस घर आ गया। घर आकर उसने सब को मिठाई खिलाई और उसके बाद रोहन को मिठाई देने चला गया।
“अरे आओ घनश्याम!” रोहन बोला।
“कैसे हो दोस्त?” घनश्याम बोला।
“जैसा सुबह था। बस नहा लिया हूं।” रोहन हंसते हुए बोला।
“अच्छा! तुम्हारे लिए मिठाई लाया हूं।” घनश्याम बोला।
“सच्ची। पर इतनी भी कोई जल्दी नहीं थी।” रोहन बोला।
“फिर भी ले आया।” घनश्याम बोला।
“अच्छा तैयारी हो गई?” रोहन बोला।
“किसकी?” घनश्याम ने पूछा।
“अरे यार ऑफिस जाने की।” रोहन बोला।
“पर ऑफिस तो कल जाना है।” घनश्याम बोला।
“हां पर तुम्हारे डॉक्युमेंट्स तो तैयार रखो जो भी तुम्हें कल सबमिट करने है।” रोहन बोला।
“हां ये अच्छा याद दिलाया। अभी घर जाते ही कर लूंगा।” घनश्याम बोला।
“और हां, टाइम का ख़ास ध्यान रखना, कहीं पहले दिन ही लेट हो जाओ।” रोहन बोला।
“हां ज़रूर।” घनश्याम बोला।
“अच्छा तुम दो मिनट रुको, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाकर लाता हूं।” रोहन बोला।
“अरे क्यूं खामखां तकलीफ ले रहे हो।” घनश्याम बोला।
“इसमें तकलीफ कैसी!” रोहन बोला और चाय बनाने के लिए किचन में चला गया।
आपको रोहन के बारे में एक बात बतानी रह ही गई थी। रोहन अपने घर पर अकेला रहता है और उसका पूरा परिवार गांव में रहता है।
रोहन चाय बनाकर ले आया और दोनों ने चाय की चुस्की लेते हुए खूब गपशप की।
“मे आई कम इन सर!” रोहन के एक स्टूडेंट की आवाज आई। रोहन हैरानी से घड़ी की तरफ देखता हुआ बोला, “येस कम इन प्लीज़!” और फिर घनश्याम से बोला, “आज तो टाइम का पता ही नहीं चला।”
“अच्छा तो मैं चलता हूं, तुम्हारी क्लास का वक्त हो गया।” घनश्याम बोला।
“ओके बाय। फिर मिलते हैं।” रोहन बोला।
घनश्याम अपने घर चला गया और घर जाकर जरूरत के सभी डॉक्यूमेंट और ज्वाइनिंग लेटर एक फाइल में रख लिए। घनश्याम बहुत खुश था, और हो भी क्यूं ना, उसके कंधे पर जो परिवार की जिम्मेदारी थी, वो उसे कुछ हल्की होती नजर आ रही थी। वह खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था। खुश होने के साथ साथ वह थोड़ा बेचैन भी था। वह सोच रहा था कि क्या वह सब कुछ अच्छे से कर पाएगा। क्या ऑफिस में सब उसके काम से खुश होंगे। पर इस बेचैनी के बीच उसके मन में कहीं ना कहीं उत्सुकता भी थी। वह आज कई तरह की भावनाओं के बीच उलझ हुआ सा था। उसे पता भी नहीं लगा कि कब आज का दिन निकल गया और रात हो गई।
“भैया, खाना लग गया है। सब आपका इंतजार कर रहे हैं।” प्रीति ने घनश्याम को आवाज लगाई।
“हां आ रहा हूं।” घनश्याम ने उत्तर दिया और हाथ मुंह धोकर डाइनिंग टेबल पर पहुंच गया।
“क्या बात है भैया, आज तो चमक रहे हो।” प्रीति छेड़ते हुए बोली।
“चुप कर।” घनश्याम बोला।
प्रीति मुंह बनाकर खाना परोसने लगी।
“अरे वाह खीर।” घनश्याम खीर देखते ही चौंक कर बोला।
“मां ने बनाई है, तुम्हें नौकरी मिल गई ना इस खुशी में।” प्रीति बोली।
“थैंक यू मां।” घनश्याम बोला।
“अरे इसमें थैंक्स वाली क्या बात है। तू कितनी हिम्मत से परिवार को संभाले हुए है।” मां ने बोला।
“हां ये तो कहना पड़ेगा। बहुत बड़ा हो गया मेरा लाल।” दादी ने कहा।
और सब इसी तरह हंसते हुए खाना खाने लगे।
खाना खाने के बाद घनश्याम सुबह के लिए अलार्म लगाकर सो गया।
सुबह उठकर घनश्याम तैयार हुआ और ऑफिस के लिए निकलने लगा।
“बेटा कुछ खाकर तो जाओ।” मां बोली।
“नहीं मां, मुझे भूख नहीं है।” घनश्याम बोला।
“अच्छा तो टिफिन ले जाओ।” मां बोली।
“मां रहने दो, मुझे देर हो रही है। मैं बाहर से कुछ खा लूंगा।” घनश्याम बोला।
“अच्छा ठीक है, संभलकर जाना और अपना ख्याल रखना।” मां बोली।
घनश्याम घर से जैसे ही निकला तो उसे रोहन मिल गया। रोहन उसको देखते ही बोला, “हो गई सब तैयारी।”
“हां” घनश्याम बोला।
“अच्छा बेस्ट ऑफ लक” रोहन बोला।
घनश्याम ने रोहन को थैंक्स बोला और जल्दी जल्दी वहां से निकल गया। घनश्याम टाइम से आधा घंटा पहले ही ऑफिस पहुंच गया।
ऑफिस पहुंचने पर उसे बोला गया कि वह आधा घंटा इंतजार करे, बॉस के आने के बाद उसको सब काम समझा दिया जाएगा।
उसने सोचा कि आधे घंटे में वह खाना खाकर आ सकता है तो वह पास ही किसी रेस्टोरेंट में खाना खाने चला गया।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या लगता है घनश्याम यहां काम करेगा? आपको ये कहानी कैसी लग रही है थोड़ा कॉमेंट वगेरह करके बताओ।
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