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घनश्याम ऑफिस पहुंच चुका था जहां बॉस के आने में आधा घंटा पड़ा था तो वह खाना खाने रेस्टोरेंट में चला गया।
अब आगे:
रेस्टोरेंट में जब घनश्याम खाना खा रहा था तब एक आदमी उसके पास आकर बैठ गया और सिगरेट पीने लगा।
“आप प्लीज़ और कहीं जाकर बैठ जाइए।” घनश्याम बोला।
“क्यों कोई तकलीफ़ है।” वह आदमी बोला।
“हां, मुझे सिगरेट से एलर्जी है।” घनश्याम बोला।
“तो मैनें तुम्हें पीने के लिए थोड़े ही बोला है।” वह आदमी बोला और हंसने लगा।
“बकवास बंद करो और कहीं और जा कर बैठो।” घनश्याम बोला।
“अच्छा ठीक है, पर कहां जा कर बैठूं? तुम ही बता दो।” वह बोला।
घनश्याम ने चारों तरफ नजर घुमाई और उसे कोई भी जगह खाली नहीं दिखाई दी। वह उस आदमी को देखते हुए बोला, “देखो भाई, मैं दस मिनट में खाना खा लूंगा, उसके बाद तुम चाहे कितनी मर्जी सिगरेट पी लेना। मुझे उस से कोई प्रॉब्लम नहीं।” घनश्याम उस से बोला।
“ये रेस्टोरेंट तुम्हारे बाप का नहीं है, समझे। मैं यहीं बैठकर सिगरेट पियूंगा।” वह आदमी बोला।
“ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी।” घनश्याम बोला और वहां से खड़ा होकर रेस्टोरेंट के मालिक के पास चला गया और उसको जाकर सारी बात बताई।
बात सुनकर मालिक ने पूछा, “कैसा दिखता है वो आदमी?”
घनश्याम ने जवाब दिया, “मोटा सा काले रंग का आदमी है।”
“पेंट कोट पहने हुए है?” मालिक बीच में बोला।
“हां पर आपको कैसे पता?” घनश्याम बोला।
“अरे भाई, छोड़ो उसको। आप यहां मेरे पास बैठकर खाना खा लो।” मालिक बोला।
“अरे ये क्या? आप कुछ करते क्यूं नहीं?” घनश्याम बोला।
“जाने दो ना साहब! वो आदमी किसी की सुनने वाला ही नहीं है।” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
“आप कुछ करेंगे या मैं पुलिस को बुलाऊं?” घनश्याम बोला।
“जो आपको ठीक लगे वो करो। पर उस से पहले एक बात सुन लो।” रेस्टोरेंट मालिक ने जवाब दिया।
“सुनाओ” घनश्याम बोला।
“पिछले हफ़्ते तुम्हारी तरह इस से कोई लड़ा था और उसने पुलिस को बुला लिया।” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
“तो भी उसे अक्ल नहीं आयी…” घनश्याम उसकी बात काटते हुए बोला।
“अरे पूरी बात तो सुन लो” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
“हां बोलो” घनश्याम बोला।
“जब उस आदमी ने पुलिस को बुलाया तो पता नहीं इसने पुलिस से क्या बात की, पुलिस कंप्लेन करने वाले आदमी को ही पकड़ कर ले गई। मुझे तो वो कोई बड़ा आदमी लगता है। अगर ये सब सुनने के बाद भी आपको पंगा लेना है तो ले लो, मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं।” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
“ना बाबा ना, फिर मैं चुप ही रहता हूं, वैसे भी आज ऑफिस का पहला दिन है।” घनश्याम बोला और अचानक उसे ऑफिस की याद आ गई। उसने घड़ी में टाइम देखा और बोला, “ओह नो, मुझे जल्दी ऑफिस पहुंचना होगा, पांच मिनट पड़े हैं।”
“खाना तो खा जाओ।” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
“नहीं मुझे देर हो रही है। बिल बताओ कितना हुआ।” घनश्याम बोला।
“अरे साहब, आप ठीक से खाना तो खा नहीं सके, कैसा बिल! रहने दो।” रेस्टोरेंट मालिक ने जवाब दिया।
“फिर भी यार, कुछ तो खाया ही है।” घनश्याम बोला।
“नहीं रहने दो, फिर कभी खाने आना, तब बिल भी दे देना। अभी आपने ठीक से खाना तो खाया नहीं, इसलिए मैं पैसे नहीं ले सकता।” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
“अच्छा ठीक है मुझे देर हो रही है, मैं चलता हूं।” घनश्याम बोला।
“फिर जरूर आना।” रेस्टोरेंट मालिक बोला।
घनश्याम जल्दी से ऑफिस पहुंचा। ऑफिस में जाते ही उस बॉस की सेक्रेट्री मिली। उसने घनश्याम से कहा, “आप मिस्टर घनश्याम ही हैं?”
“जी हां” घनश्याम ने जवाब दिया।
“बॉस आ चुके हैं और आपका इंतजार कर रहे हैं।” सेक्रेटरी ने जवाब दिया।
“ओके पर वो मुझे कहां मिलेंगे?” घनश्याम ने पूछा।
“उस तरफ, अपने कैबिन में।” सेकेट्री ने बॉस के कैबिन की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“थैंक्स” घनश्याम ने उसको जवाब दिया और बॉस के कैबिन में चला गया।
घनश्याम ने गेट को खटखटाया और बोला, “मे आई कम इन सर?”
“येस, प्लीज़।” अंदर से आवाज आई।
घनश्याम ने दरवाजा खोला और अंदर घुस गया।
घनश्याम जैसे ही अंदर गया तो हैरान रह गया। उसके होश उड़ चुके थे। चेहरा फीका सा पड़ गया। मुंह से एक शब्द तक नहीं निकाल पा रहा था। उसकी मनोस्थिति काफी खराब हो गई थी। उसे अपनी आंखों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था।
घनश्याम का बॉस वही आदमी था जिस से घनश्याम अभी कुछ देर पहले रेस्टोरेंट में बहस कर रहा था।
बॉस ने घनश्याम की हालत देखी और बोला, “अंदर आओ घनश्याम, अभी मैं सिगरेट नहीं पी रहा।”
घनश्याम अंदर गया, बॉस ने कुर्सी की तरफ इशारा किया तो कुर्सी पर बैठ गया।
बॉस ने पानी का गिलास देते हुए कहा, “लो भाई पानी पी लो।” और घनश्याम को पानी पकड़ा दिया।
घनश्याम ने पानी पिया और थैंक्स कहा।
“इतना क्या डर गए जैसे कोई भूत देख लिया हो।” बॉस बोला।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों आ गया कहानी में ट्विस्ट। अब फटाफट कहानी को 5 स्टार रेटिंग दे दो और बने रहो मेरे साथ, अगला चैप्टर जल्द से जल्द आएगा।
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