आखिरी पल
काश ये सब ना हुआ होता काश मम्मी मुझसे दूर होना हुए होते सब पहले जैसा होता है भाई मुझसे बहुत प्यार करते थे और पापा बहुत अच्छे लगते थे अपनी जान छिड़कते थे मुझ पर
क्यू जूठ बोला ऐसा की सब खत्म हो गया
कशिश ने अपना घर छोड़ दिया सब छोड़कर चली गई उस बस्ती में जहा उसने कभी जाने का सोचा भी नही था । सब कुछ बदल चुका था । Mr अरोड़ा रोज कशिश को याद करके रोते रोते थे और हार्ट अटैक से वो भी दुनिया से जा चुके थे । अर्जुन और रिचा वैसे तो साथ में खुश थे पर कशिश की कमी हमेशा उन्हें चुभती थी अर्जुन कशिश के कमरे में घंटो बिताया करता था और अपनी हुए गलती पर अफसोस करता था । ऋषि कशिश से आज भी उतना ही प्यार करता था एक वही था जिसको पता था कशिश कहा है ।
कशिश एकदम मामूली जिंदगी जीने लगी थी । Mr राजवंश कशिश को लेने आए थे पर उसने सबको ये कहकर भेज दिया की वो किसी को नही जानती है । सब अनजान है उसके लिए ।
महलों में रहने वाली आज एक मामूली क्लर्क की जोब कर रही रही ओर अपनी पढ़ाई पूरी कर रही रही थी ।
जिस बस्ती मे वो रहती थी वहा उसके कुछ बच्चे दोस्त बन गए थे । जिसमे से कुछ उसकी हमऊम्र के थे तो कुछ छोटे ।
कशिश बीते बाते याद तो करती थी पर आगे बढ़ना चाहती थी । वो खुद के दम पर कुछ बनना चाहती थी ।
ओर ऋषि ने कशिश से शादी का कहना चाहा तो कशीश ने अभी नही कहकर रोक दिया ।
अपने भी धोखे दे सकते है पर सच्चा प्यार नही कशिश को अब समझ आ रहा था । वो रोजाना अपने पुराने घर के पास से निकलती थी और अपनी यादें ताजा कर लेती थी ।
आखिरी बार वो उस घर में तब गई थी जब उसे पता चला था की उसके पापा नहीं रहे । कशिश अपना सब खो चुकी थी पर ऋषि नही वो हमेशा उसके साथ खड़ा रहता ठीक वैसे ही जैसे वो पहले रहता था ।
ये सब अचानक से हुआ था पर अब कशिश के दिल में उतर चुका था ।
वो सबको याद करके रोती थी पर इन सबमें इसकी मां की क्या गलती थी ये सोचकर वो हमेशा दूर हो जाती थी ।
अब कशिश का सफर एकदम आम ज़िंदगी बन चुका था जिसमे एक होंसला कुछ कर जाने का था ….
ये कहा जाकर रुकेगा किसी को नही मालूम था ….