बे इंतहा
अभी नए दिन कि शुरुआत थी कशिश पुलिस ऑफिसर से मिलने ऋषि के साथ सुबह ही निकाल चुकी थी ।
थोड़े टाइम के बाद वो उस ऑफिसर से मिलने के लिए पहुंच चुके थे ।
कशिश ने केस रिओपन की सारी फॉर्मेलिटी पूरी की । और ऑफिसर से हुई बातों से कशिश को पता चला कि ये मर्डर करने की प्लानिंग था । जिसे ऐक्सिडेंट दिखाया गया था । इसके सबके बाद ऑफिसर ने कशिश को कुछ दिनों तक यही रुकने को कहा ।
कशिश थोड़ा परेशान महसूस कर रही थी ऋषि ये सब समझ रहा था । कशिश ओर ऋषि होटल जाने लगे । लेकिन कशिश को मायूस देखकर ऋषि उसको घुमाने ले गया । की इतने में अर्जुन का फोन आया । कशिश तुम क्या कर रही हो । और कहा हो अभी
कशिश – भाई मे यही हूं बस घूम रहे है बाहर मीटिंग ख़तम हुई हैं
ऋषि – कशिश झूठ मत बोलो मुझे सब पता चल चुका है। तुम केस रिओपन करवाने गई थी ओर तुमने मुझे नहीं बताया । तुमने मुझसे पूछा तक नहीं
कशिश को अंदाजा लग गया था कि अर्जुन भाई बहुत गुस्से में है । लेकिन कशिश उनको समझाना चाहती थी
अर्जुन – कशिश सुनो अब मेरी बात तुम्हारी जान को खतरा है इसीलिए हम तुम्हे ऑस्ट्रेलिया नहीं लेकर जाना चाहते थे । तुम मुसीबत मे हो । पोलीस को कहो कि ये बन्द करे ओर तुरंत वापस आओ ।
कशिश – भाई आप क्या चाहते है मेरी मा के कातिल यूं ही घूमते रहे । और हम रोते रहे । जिनकी वजह से पापा की हमारे परिवार की ये हालत है। आप उन्हे यूं ही छोड़ना चाहते है। कभी नहीं में ये केस वापस नहीं लूंगी । ये कहकर कशिश ने फोन कट कर दिया । ऋषि ने सारी बात सुनी और वो समझ चुका था । वो कशिश को लेकर सीधा होटल में गया ।
अर्जुन भाई के कॉल्स आ रहे थे लेकिन कशिश ने रिसीव नहीं किए क्यूंकि वो ये काम पूरा करना चाहती थी । और ऋषि कशिश के पास ही बैठा था उसके लिए काफी लेकर आया ओर उसको कहा don’t worry we will solve this but atleast you have to receive call of Arjun
कशिश को राहत मिल रही थी कि उसके पास कोई तो है जो सपोर्ट कर रहा है कशिश ने ऋषि को थैंक यूं बोला ।
ऋषि ने अर्जुन भाई का कॉल स्पीकर पर लगा दिया ।
अर्जुन ने कॉल उठाते ही बोला
कशिश ज़िद्द मत करो मै भी केस शुरू कर सकता था पर में नहीं चाहता कि अब अपने परिवार में किसी को भी नुक़सान हो । ये सब बहुत खतरनाक है और जिन्होंने किया उस इंसान को पता चला तो तुम्हारी जान भी खतरे में पड़ जाएगी तुम समझने की कोशिश करो अभी बहुत सी बाते है जो तुम्हे नहीं पता इन सबके पीछे बहुत कुछ छुपा है और तुम ये सब बन्द करो वापिस आओ । अर्जुन ने कशिश से साफ साफ कह दिया था कि वापिस नहीं आयी तो मै वहा आ रहा हूं । ये सब सुनकर ऋषि ने कशिश को समझाया कि कशिश भाई ऐसे ही नहीं मना कर रहे वरना आंटी उनकी भी मा थे जितना दर्द तुम्हे है उतना उन्हे भी है । जरूर कुछ कारण है तुम्हे एक बार इंडिया चलकर भाई से बात करनी चाहिए और सब जानना चाहिए में टिकिट बुक करवा देता हूं ।
ऋषि और अर्जुन दोनों की बाते सुनकर कशिश ने भी सब जानने का फैंसला किया । अब एक नई उलझन ने कशिश के दिमाग में जगह बना ली थी कि ऐसे भी क्या हुआ जो मुझे नहीं पता । अभी पता नहीं क्या समाने आएगा । ये सब सोचते समय कशिश डर भी रही थी और कैसे सामना करेगी सबका इसके बारे में भी सोच रही थी । उधर ऋषि कशिश से प्यार करने लगा था और ये सब कशिश को बताना चाहता था पर एक के बाद एक चीज हो रही थी और वो बस सही समय का इंतजार कर रहा था । एक तरफ अर्जुन इंडिया में परेशान था रिचा उसको संभाल रही थी । सबकी ज़िन्दगी उलझी हुई पड़ी थी ।