कशिश बालकनी में खड़े शाम को खूबसूरती देख रही थी । और इस बाहर के खूबसूरत नजारे का असर खुद पर महसूस कर पा रही थी। वाकई कितना खुबसुरत है सब इतनी सब बातो के बीच शांत सुकून भरे लम्हे ऋषि ने कहा । कशिश ने मुड़कर देखा तो ऋषि खड़ा था । उसने मुस्कुराते हुए सर हां मे हिलाया ।
ऋषि – टिकट्स बुक करवा दी है पर 2 दिनों बाद की है । तो हमारे पास 2 दिन है । अगर तुम चाहो तो हम घूमने जा सकते है । अब यहां रुकना तो है ही तो 2 दिन एंजॉय करेंगे ।
उसने ये सब कशिश का ध्यान दूसरी ओर लगाने के लिए कहा था । क्यूंकि अर्जुन भाई ने कहा था कि उसका ध्यान कहीं और रहेगा तो वो इन सब बातो से बाहर निकल लेगी वरना यही सोचती रहेगी और कशिश की जान को भी खतरा हो सकता है।
कशिश ने ऋषि को सपनो से जगाते हुए कहा कि कहां खो गए हो ।चलो कहीं चलते है । ऋषि भी थोड़ा खुश था ।
और कशिश रेडी होने चली गई । ऋषि भी अपने कमरे में चला गया ।
तकरीबन 1 घंटे बाद ऋषि कशिश के रूम के बाहर आय । उसने व्हाइट टी शर्ट के ऊपर ब्लू जैकेट डाल रखी थी । ऋषि खुद को दुबारा आइने में देखने गया कि कहीं कोई कमी तो नहीं है। कशिश ने गेट खोला तो ऋषि कशिश को देखता ही रह गया । कशिश ने ब्लू ड्रेस पहना था । घुंघराले खुले हुए बाल नीली आंखो मे काला काजल । ऋषि एकटक निहारता रहा । ऋषि – you are looking gorgeous कशिश- thanks and you too looking smart
दोनों एक साथ खिलखिला हंसते है।
कशिश की ये स्माइल ऋषि ने बहुत लंबे टाइम बाद देखी थी । तो हम कहां चल रहे है कशिश ने पूछा ?
ऋषि – सरप्राइज़ नाम की भी कोई बात होती है।
कशिश – ओके
चलो अब ऋषि ने कहा
कुछ देर बाद कशिश ओर ऋषि एक लेक के पास थे वहा काफी कम लोग थे पर सब दूर दूर थे और इस जगह काफी शान्ति थी । लेक पर चांद की रोशनी पड़ने से आस पास अच्छा नजारा दिखाई दे रहा था। ऋषि ने कशिश को एक बेंच पर बैठने को कहा ओर 2 मिनट में आया कहकर चला गया । कशिश ने ये नजारा पहले कभी नहीं देखा था एकदम खूबसूरत। ऋषि कुछ देर बाद लौटा ओर उसके हाथ में 2 आइसक्रीम थी । ।कशिश वाओ ऋषि तुम आइस क्रीम लाए हो वो भी मेरी फेवरेट
थैंक यूं
ऋषि – हां अभी खाओ इसको
कशिश – ऋषि मेने कभी ऐसा खूबसूरत नजारा नहीं देखा । तुम्हे कैसे पता चला इस जगह के बारे में ?
ऋषि – क्यूंकि मेरी पढ़ाई भी कुछ साल यही हुई है । तो मै अक्सर यहां आता था ।
कशिश – ये तो मुझे नहीं बताया ।
ऋषि – तुमने कभी पूछा कहा था और तुम सीधे मुंह बात कहा करती हो मुझसे
ऋषि हंसने लगा और कशिश मुंह बनाते हुए अच्छा तो तुमने भी कब बात की जब भी आफिस मे थे तब मुंह फुलाकर रखते थे। ऋषि – अच्छा ठीक है माफ करो अभी खाना खाने चले।
कशिश – हां।
कुछ घंटों बाद दोनों होटल आ चुके थे और थक चुके थे।
कशिश ऋषि को गुड नाईट बोलकर खुद के रूम मे चली गई ओर ऋषि भी।
कशिश भी ऋषि के बारे में सोचकर खुश हो रही थीं और ऋषि भी कशिश के बारे में सोच रहा था । ये सोचते सोचते दोनों की आंख लग गई ।