अब तक आपने पढ़ा:
वे लोग पेड़ों से बचे ही थे कि कार स्टार्ट नहीं हो रही थी। और एक अजीब से जानवर ने उन पर हमला कर दिया। बाकी सब तो गाड़ी के अंदर थे पर आरव गाड़ी की बैटरी चेक कर रहा था, तो वह बाहर था।
अब आगे:
वह जानवर आरव की ओर झपटा। उसके पंजे के वार ने आरव की पीठ को चीर दिया और उसमें से लहू बहने लगा। आरव ने घूमकर उसे एक लात दे मारी।
ना जाने आरव को इतनी हिम्मत आ कहां से रही थी। अगर आपके सामने कोई ऐसा जानवर आ जाए जिसके पूरे शरीर में आग लगी हो पर वह ना केवल जिंदा हो बल्कि उसे बिलकुल भी दर्द ना हो रहा हो। क्या भयानक दृश्य होगा।
आरव ने उसकी आंखों की तरफ देखा, एकदम गहरे लाल रंग की बड़ी बड़ी आंखें। देखने में वह कुत्ते की तरह लग रहा था पर उसके पंजे किसी शेर की तरह थे। आरव को बहुत दर्द महसूस हो रहा था। पर अब जब लड़ने का मन बना ही लिया था, तो वह क्यों पीछे हटता। सागर और नंदू उसे आवाजें लगा रहे थे कि वह गाड़ी में आकर बैठ जाए।
पर वह कहां सुनने वाला था। उसके हाथ में एक पेचकस था, उसने वह पेचकस उसकी गर्दन में जोर से दे मारा। पेचकस पूरा गर्दन के आरपार हो गया। और वह जानवर वहीं गिर पड़ा। उसके गिरने के साथ साथ ही इधर आरव भी गाड़ी के सहारे नीचे बैठ गया।
नंदू और सागर भागकर आरव के पास आए। आरव बेहोश सा होने लगा था। “देखो ये मरा या नहीं।” आरव बोला।
सागर ने उसे देखा। उसके शरीर पर अब भी वैसे ही आग दहक रही थी। पर उस आग में उसे कोई गर्मी का आभास नहीं हुआ। उसने देखा तो वह जानवर बिलकुल भी हिल नहीं रहा था। उसने उस पेचकस को पकड़कर खींचा तो वह पेचकस उसके हाथ में आ गया और वह जानवर वहां से गायब हो गया। हैरान कर देने वाली बात यह थी कि पेचकस पर कोई खून का धब्बा या निशान नहीं था।
उन्होंने आरव को संभाला। उसकी मरहम पट्टी की और उसको यश के पास कार में पीछे लेटा दिया। वह सागर से कार स्टार्ट करने को बोल रहा था। सागर ने चाबी घुमाई तो कार स्टार्ट हो गई। “सच में मेरे दोस्त तूने कर दिखाया। दाद देनी पड़ेगी तेरी हिम्मत की।” सागर बोला।
सागर गाड़ी चलाने लगा तो आरव बोला, “हम ना जाने कब से आगे ही बढ़े जा रहे हैं, पर कुछ फायदा हुआ? अब हम पीछे चलेंगे।”
नंदू बोला, “हो सकता है जंगल के हिस्से आपस में एक जैसे हों और अब पीछे जाने के लिए हमें बहुत ज्यादा सफर करना पड़े। आगे चलना सही रहेगा।”
आरव बोला, “नहीं, ये वही जगह है, जहां से रूही गायब हुई थी। इस जगह पर मेरी अंगूठी गिर गई थी, जो मुझे अभी गाड़ी से उतरने पर वापस मिली।”
सागर ने गाड़ी घुमाई और पीछे की तरफ बढ़ाने लगा। जैसे ही उसने उस दिशा में बढ़ना शुरू किया तो पूरा जंगल जैसे उन्हें रोकने की कोशिश करने लगा। एक पेड़ गिर गया, कार की स्पीड अचानक बढ़ने की वजह से कार उसके नीचे आने से बाल बाल बची। कभी शेर तो कभी बाघ, हाथी और जंगली कुत्ते उन पर हमला करने लगे अचानक से उनके नीचे से सड़क गायब हो गई और वे उबड़ खाबड़ रस्ते पर चलने लगे। बिजली तेज़ी से कड़कड़ाने लगी। कुछ पल ही लगे घनी बारिश शुरू होने में। जल्दी ही ओले भी बरसन लगे।
गाड़ी की हैडलाइट बहुत कम रोशनी में जल रही थी। कांच टूटे हुए थे इसलिए वे सब भीगने लगे। सागर ने नंदू से आरव और यश को ढकने के लिए बोला तो नंदू ने मना कर दिया। सागर ने हैरानी से पूछा तो नंदू हंसने लगा और अचानक गायब हो गया।
सागर के कुछ समझ नहीं आ रहा था। आरव कुछ कुछ होश में था। उसने अपने आप को और यश को ढकते हुए कहा, “पूरा जंगल तुझे रोकने कि कोशिश करेगा, पर अभी तुझे किसी भी हाल में नहीं रुकना।” और अब आरव भी बेहोश हो गया।
सागर के ऊपर अब सारी जिम्मेदारी थी। उसे ही इन सबको इस जंगल से बाहर निकलना था। गाड़ी की हालत बिलकुल खराब और ऊपर से इतना भयानक सफर।
गाड़ी के सामने कुछ ठीक से तभी दिखाई दे रहा था जब बिजली कड़कती। अचानक बिजली कड़कड़ाने के साथ ही सागर को सामने एक औरत दिखाई दी जिसका सर उसके हाथ में बालों से पकड़ा हुआ था। और वह औरत उसे अपनी तरफ आने के इशारे कर रही थी!
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या होने वाला है इस कहानी में? क्या सागर ये मौत का रास्ता पार कर पाएगा? क्या आरव और यश बच पाएंगे? या फिर कुछ और ही रहस्य लेकर आएगी ये कहानी। जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का और तब तक अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए यह दिलचस्प कहानी।
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