अब तक आपने पढ़ा:
नंदू एक पहेली की तरह गायब हो गया। आरव और यश दोनों गाड़ी में बेहोश पड़े थे। और सागर पर इन सबको सुरक्षित ले जाने की जिम्मेदारी थी और सामने था, मौत का रास्ता।
अब आगे:
अचानक बिजली कड़कड़ाने के साथ ही सागर को सामने एक औरत दिखाई दी जिसका सर उसके हाथ में बालों से पकड़ा हुआ था। और वह औरत उसे अपनी तरफ आने के इशारे कर रही थी!
सागर एक पल के लिए घबरा गया और ब्रेक लगाने लगा। पर पीछे देखा तो कई जानवर उन्हें खाने के लिए शिद्दत से दौड़ रहे थे। अब वह बुरी तरह से फस गया था। एक और सामने एक भयानक चुड़ैल उसे बुला रही थी तो दूसरी और रुकने पर जंगली जानवरों का भोजन बन जाना था।
सागर ने घड़ी में वक्त देखा तो सुबह के आठ बज रहे थे और इधर जंगल में इतना घना अंधेरा। सागर ने केवल इतना सोचा कि कुछ ना करके मरने से अच्छा है कुछ करके मरा जाए, और उसने गाड़ी को पूरे आत्मविश्वास के साथ उस चुड़ैल की तरफ बढ़ा दिया। जैसे जैसे एक एक पल गुजरता जा रहा था, सागर के दिल की धड़कन तेज होती जा रही थी।
जैसे ही कार उस चुड़ैल से टकराने को हुई सागर ने अचानक स्टीयरिंग घुमा दिया और बहुत ही खतरनाक तरीके से वापस कार को रास्ते पर ले आया। उनकी कार लगभग पलटने को हो चुकी थी। कार दो पहियों पर हो गई थी और ऊपर से नीचे कुछ खास सड़क भी नहीं। पता नहीं उसकी किस्मत अच्छी थी या कोई अदृश्य शक्ति उसकी सहायता कर रही थी। पर जो भी था, उस चुड़ैल को वो पार कर चुके थे।
जो भी हो रहा था, यह निश्चित करना कि अच्छा था या बुरा, बहुत मुश्किल है। वे चुड़ैल से बच चुके थे, परंतु जानवरों ने पीछा करना अभी बंद नहीं किया था। ऊपर से एक और मुसीबत ने दस्तक दे दी। ओले इतने तेज थे कि उनसे गाड़ी की छत टूट गई और अब ओले और पानी गाड़ी के अंदर आने लगा। शायद इनकी जिंदगी की सबसे अजीब रात होगी ये, और आखिरी भी, शायद। या शायद इसको रात बोल ही नहीं सकते, क्यूंकि वक्त तो सुबह का है।
जो भी हो रहा था, सागर को घबराहट तो थी, पर उसने निश्चय कर लिया था कि अब चाहे मौत सामने दस्तक दे दे, वह हार नहीं मानेगा। उसने गाड़ी की रफ्तार को बिल्कुल भी कम नहीं होने दिया। इतने खराब रस्ते में भला कौन एक सौ पचास किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से गाड़ी चला सकता है, पर यहां को चला रहा था। कुछ मिनट बाद आखिर उन जानवरों का एक बड़ा समूह हार मानकर रुक गया। अब एक या दो जानवर ही उनके पीछे थे।
इससे सागर को एक बहुत बड़ी जंग जीत लेने जितनी खुशी हुई। पर अभी रास्ता बाकी था। और ऊपर से आरव और यश घायल थे और उन पर ना केवल पानी बल्कि ओले तक भी गिर रहे थे। इसी बीच सागर को उम्मीद की एक किरण दिखाई पड़ी। सागर को सामने की तरफ आसमान में बादलों के बीच में रोशनी दिखाई दी। बस इतना बहुत था उसको जोश दिलाने के लिए। वह आरव की तरफ देखकर बोला, “तुमने बिलकुल सही गेस किया मेरे दोस्त, रास्ता पीछे की तरफ ही था। तुम सही थे, इस पूरे जंगल ने मुझे रोकने की कोशिश की। पर अब हम जीत के बहुत नजदीक हैं।”
सागर अब बस उस रोशनी को देखते हुए गाड़ी उसी तरफ बढ़ाने लगा। पर ये रोशनी तो बिलकुल वैसी थी जैसे गर्मियों के मौसम में सड़क पर पानी होता है। मतलब जितना सागर आगे जा रहा था वह रोशनी भी उतनी ही आगे बढ़ती चली जा रही थी। सागर थोड़ा थोड़ा मायूस होने लगा। पर हार मानने से वह मना कार रहा था। वह सिर्फ आगे बढ़ रहा था।
अब बारिश भी थम चुकी थी, हल्की हल्की बिजली कड़क रही थी। अब कोई जानवर उनकी गाड़ी का पीछा नहीं कर रहा था। सागर को रोशनी का पीछा करते लगभग एक घंटा हो चुका था। अब वह कुछ निराश होने लगा। उसने गाड़ी की स्पीड स्लो कर दी। जैसे ही उसने गाड़ी को स्लो किया, सामने उसे रोशनी भरा जंगल दिखाई दिया। अब बस कुछ ही कोस दूर अंधेरा था, उसके आगे उजाला ही उजाला।
सागर जोश में आ गया। उसने अचानक गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी। वह रोशनी में एक जबरदस्त एंट्री की उम्मीद में था। पर अचानक से कार पलट गई।
कहानी जारी रहेगी…
अरे, अरे, अरे। सारा भूतिया खेल खत्म होने ही वाला था कि अचानक, कार कैसे पलट गई। नंदू कहां गायब हुआ, उसका भी कुछ नहीं पता चला। अगर ये लोग बाहर जा भी पाए, तो रूही के मम्मी पापा को कैसे संभालेंगे? क्या आरव और यश बच पाएंगे? सबसे बड़ा सवाल, कहीं ये नया जंगल भी भूतिया तो नहीं? बहुत से “रहस्य” छुपे हैं इस कहानी में। जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का और तब तक अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कीजिए यह दिलचस्प कहानी।
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