अब तक आपने पढ़ा:
रूही किसको क्या करना है, ये सब समझाकर वहां से गायब हो गई। तो वहीं दूसरी तरफ, तांत्रिक ने रूही की आत्मा को बस में करने के लिए रूही के किसी चाहने वाले की बलि देने की बात कही थी।
अब आगे:
“क्या? इतनी जल्दी यह सब कैसे..” आयुष बोल रहा होता है तभी प्रदीप बात काटते हुए बोलता है, “क्या यह काम करेगा?”
“जरूर! तुम्हें कोई संदेह है?” तांत्रिक उसकी बात का जवाब देता है।
“एक काम किया जा सकता है।” प्रदीप बोलता है। “क्या?” तांत्रिक उससे पूछता है। “रूही तीन लोगों को प्रोटेक्ट कर रही है जंगल में। जरूर उनमें से कोई भी हमारे काम आ सकता है।” प्रदीप तांत्रिक से कहता है और उसकी तरफ सवालिया निगाहों से देखने लगा। “हां, आ सकता है।” कहते हुए तांत्रिक तीनों भूतों को वापस बुला लेता है।
जिस वक्त तांत्रिक ने उन्हें बुलाया, वे उन तीनों के बिल्कुल पास पहुंच चुके थे पर रूही की वजह से वे उन्हें देख नहीं पा रहे थे। जैसे ही वे तांत्रिक के पास पहुंचे तो तांत्रिक ने उन्हें बोला, “उन तीनों में से किसी एक को उठाकर यहां ले आओ, जिंदा। और हां ध्यान रहे जिस आत्मा से तुम्हारा मुकाबला होने वाला है वह बहुत ही शक्तिशाली है। इसलिए अगर तुम्हें उन लड़कों को देखना हो तो तुम्हें कैसे भी करके उन्हें डराना होगा।” तांत्रिक के इतना कहते ही वे भूत वापस चले गए।
उधर, आरव उत्तर दिशा की ओर व सागर और यश पश्चिम की ओर बढ़ने लगे। अचानक मौसम गड़बड़ाने लगा। जंगल का शांत माहौल भयावह होने लगा। जंगल में अजीब आवाजों के साथ कुछ अजीब सी हरकतें भी होने लगी। वे भूत उन तीनों को देख तो सकते नहीं थे। इसलिए उन्होंने एक तरकीब सोची। अचानक पूरे जंगल के पेड़ इधर उधर चलने लगे और आसमान में जगह जगह इंसानों के कटे हुए सिर उड़ रहे थे।
आरव इस सब को इग्नोर करते हुए आगे बढ़ रहा था, क्योंकि उसे रूही पर पूरा भरोसा था। वहीं, सागर और यश, देखकर काफी हैरान हो गए। यश ने डरते हुए सागर को कसकर पकड़ लिया। बस उसका डरना था कि तुरंत तीनों भूत अलग अलग साइड से उस पर आ झपटे। पर जैसे उनको कहा गया था, वे उसको जिंदा ले जाने वाले थे। उन्होंने यश को पकड़ लिया और हवा में उड़ाकर ले जा रहे थे।
सागर को यश झटपटाता हुआ और हवा में उड़ता ही दिखाई दे रहा था। उसे कोई भूत दिखाई नहीं दे रहा था। ना ही उसे कुछ समझ आ रहा था कि वह क्या करे। पर यश को इस तरह जाता देखकर उसे भी डर लगने लगा। वह भी घबराने लगा था। उन भूतों को अब सागर भी दिखाई दे रहा था। अगर वे आजाद होते तो शायद सागर को मार देते। पर तांत्रिक ने उन्हें गुलाम बना रखा था और अभी के लिए सिर्फ किसी एक को पकड़कर लाने को कहा था।
दूसरी तरफ आरव चलते चलते रूही की बॉडी के पास पहुंच गया। देखने में अजीब तो था कि उसकी बॉडी पिछले कुछ दिनों से पड़ी रहने के बावजूद सड़ी नहीं थी। आरव को कुछ ज्यादा अचंभा नहीं हुआ, उसने सिर्फ एक बार गौर किया। उसके बाद वह बड़े ध्यान से रूही की बॉडी पर गोलियों के निशान देखने लगा। वह सोचने लगा कि उन्होंने रूही को कितनी बेरहमी से मारा होगा।
अचानक उसे याद आया कि वह यहां किस काम से आया था। उसने सोचा कि ज्यादा वक्त बर्बाद करना ठीक नहीं होगा, इसलिए वह जल्दी से रूही के कपड़ों में पेनड्राइव ढूंढने लगा। उसे याद आया कि कैसे रूही ने सिर्फ उसे ही कहा हाथ लगाने को। रूही और किसी को भी उसकी बॉडी को हाथ लगाने नहीं देना चाहती थी। आरव थोड़ा इमोशनल हो गया और बोला, “तुम्हारे जीते जी मैं तुम्हारी फीलिंग्स की कद्र नहीं कर सका, आई एक सॉरी।” वह रोने लगा। रोते रोते वह बोला, “कोई बात नहीं, मैं तुम्हारी आखिरी इच्छा पूरी करूंगा, फिर चाहे इसके लिए मुझे अपनी जान भी क्यों न गवानी पड़े।”
उसके बाद आरव रूही के कपड़ों में पेनड्राइव ढूंढने लग गया। करीब पंद्रह मिनट बाद काफी मशक्कत करने के बाद वह पेनड्राइव उसे मिल गई, जिसमें उन तीनों बिजनेसमैन के खिलाफ सबूत थे।
कहानी जारी रहेगी…
कहानी अपने अंतिम पड़ाव पर है। आगे के चैप्टर जल्दी पढ़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा शेयर करो। कॉमेंट करके बताओ कहानी कैसी लग रही है। और सोचिए क्या आरव उनको सजा दिलवा पाएगा? क्या कोई यश को बचा सकेगा या यश की बलि दे दी जायेगी? क्या रूही की आत्मा को तांत्रिक वश में कर पाएगा। बहुत से “रहस्य”, बहुत से सवाल। जवाब है, अगला चैप्टर। इंतजार कीजिए अगले चैप्टर का।
Please bookmark this “web novel” and stay tuned to read next part👍