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आरव के साथ अजीबोगरीब संयोग हो रहे थे। तो दूसरी तरफ सागर को उसके पापा ने उसके ननिहाल जाने के लिए बोल दिया था।
अब आगे:
“पापा, मैं अपने दोस्तों के साथ वैकेशन ट्रिप पर जाने का प्लान कर रहा था।” सागर ने आखिर हिम्मत करके कहा।
सागर की मम्मी पास में ही थी, वो बोली, “कोई बात नहीं, मैं अकेली चली जाऊंगी, तुम एन्जॉय करो बेटा।”
“थैंक यू मम्मी।” सागर बोला।
अब सभी को पर्मिशन मिल चुकी थी। तीनों ने मिलकर रूट फाइनल किया। जाने के लिए आरव की कार को चुना। सभी के पैरेंट्स ने सलाह दी कि दिन में सफ़र करो और रात में कहीं रुक जाना। घर पर सबने हामी भी भरी पर इनका विचार तो कुछ और ही था।
खैर आखिर सब तैयारियां खत्म हुई और तीनों आरव के घर से कार पर रवाना हुए। सब कुछ प्लान के मुताबिक चल रहा था। आरव ने रूही को फोन किया और बोला कि वे निकल चुके हैं वह भी तैयार ही रहे। रूही ने जवाब दिया कि वह कब से उनका इंतज़ार ही कर रही है। “परफेक्ट” तीनों के मुंह से एकसाथ निकला।
रूही को पिक करके चारों डिसाइड किए रूट पर निकल गए। आरव ड्राइव कर रहा था। आरव के बाजू में रूही बैठी थी और पीछे यश और सागर बैठे आरव की किस्मत से जल रहे थे। कार की स्पीड करीब 120 चल रही थी कि अचानक आरव को महसूस हुआ कि कार के सामने कोई है और उसने अचानक ब्रेक लगाए कार पूरी तरह से घूम गई और लगभग पलटते पलटते बची।
“लगभग जान निकाल ली थी तूने तो” सागर बोला।
“क्या हुआ आरव, इतनी जोर से ब्रेक क्यूं लगाए?” यश बोला।
रूही का तो चेहरा पसीने से भीग रहा था। और डर के मारे उसके मुंह से एक भी शब्द नहीं निकल रहा था।
“रूही, आर यू ओके?” आरव बोला।
“हां, ऑलमोस्ट!” रूही बोली।
यश ने रूही को पानी पिलाया और आरव से बोला, “अब बता भी, इतनी जोर से ब्रेक लगाने की क्या जरूरत थी?”
“मुझे ऐसा लगा कि कार के आगे कोई है। जैसे कोई लड़की या कुछ और..” आरव ने जवाब दिया।
“रहने दे अब बातें मत बना। मुझे पता है तुझे नींद आने लगी है, देख सुबह से ड्राइव कर रहा है और शाम हो चुकी है।” यश ने मज़ाक बनाना शुरू किया।
इतने में रूही बोली, “किसी रेस्टोरेंट पर ले लो, कुछ खा लेंगे और साथ में थोड़ा रेस्ट भी हो जाएगा।”
“हां ज़रूर, और अब मैं ड्राइव करता हूं।” सागर बोला।
“अरे, तुम मेरी बात का यकीन क्यूं नहीं कर रहे। वहां सच में कोई था।”
आरव गाड़ी से उतरा और देखने लगा तो वहां सच में कुछ नहीं था। उसके पीछे सागर और यश भी उतरे।
“देखा कुछ नहीं है वहां।” सागर बोला।
रूही गाड़ी से बाहर आई और आरव का हाथ पकड़कर बोली, “आरव! देखो कुछ भी नहीं है, तुम परेशान मत हो। चलो कार में बैठो।”
सागर ड्राइवर सीट पर बैठ गया और आरव और यश पीछे।
“क्या हुआ रूही? यहीं तक चलना था क्या? बैठो भी अब।” सागर बोला।
“मैं कबसे आगे बैठे बैठे थक गई। अब मैं पीछे बैठूंगी।” उसने जवाब दिया।
सुनते ही यश बोला, “आरव! तुम आगे जाकर बैठ जाओ।”
सागर रूही का चेहरा पढ़ते हुए बोला, “देख भाई, अपनी इतनी किस्मत नहीं। चुप चाप आगे आकर बैठ जा।”
फिर से गाड़ी का पहिया घूमने लगा। कुछ मिनट चलने के बाद एक छोटे से रेस्टोरेंट पर कार रुकी। हल्का अंधेरा हो चुका था, सभी को भूख भी लगी थी। लिहाजा कार से उतरते ही सबने काफी सारा खाना ऑर्डर किया। यश अपनी आदत के मुताबिक काफी मस्ती मज़ाक कर रहा था। तभी वह सबके बीच से उठकर वॉशरूम में चला गया।
उसने मुंह धोने के लिए नल खोला तो उसमें से पानी की जगह खून निकल रहा था। अचानक बत्ती गुल हो गई। यश जल्दी से दरवाजे की तरफ भागा तो उस से दरवाजा भी नहीं खुल पा रहा था। फिर शीशे के अंदर से कोई यश के मुंह पर टॉर्च मार रहा था। यश का घबराहट के मारे बहुत बुरा हाल होने लगा। वह समझ भी नहीं पा रहा था कि आखिर चल क्या रहा है कि कुछ नया उसके सामने आ रहा था।
आखिर वह थोड़ी हिम्मत करके बोला, “कौन? कौन है वहां?”
“मैं हूं!” एक औरत की आवाज आई।
“मैं कौन? सामने आओ।” यश बोला।
यश की आवाज सुनकर वह औरत हंसने लगी और बोली, “तुम्हें लगता है कि तुम मुझे देखना तक भी झेल पाओगे? चलो आजमा लो।”
यश की बुरी तरह से फटने लगी। उस औरत का बोला एक एक शब्द उसके कानों में गूंज रहा था। वह कुछ सोच पाता कि उस से पहले ही एक बिना सर की औरत उसके सामने आ गई।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों अब कहानी में मनोरंजन और खौफ भरपूर रहेगा। और बहुत से ‘रहस्य’ आएंगे कहानी में। यश का क्या होगा, जानने के लिए इंतज़ार कीजिए अगले पार्ट का।
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