अब तक आपने पढ़ा:
गाड़ी एक सुनसान जंगल में बंद हो चुकी थी और स्टार्ट नहीं हो रही थी। सागर गाड़ी ठीक कर रहा था। जब आरव ने नीचे उतरकर देखा तो सागर वहां नहीं था।
अब आगे:
जब आरव और यश वापस आए तो आते ही यश कार में बैठ गया और आरव सागर को ढूंढने लगा।
“सागर” आरव लगाता हुआ हाथ में मोबाइल लिए जिसकी फ्लैशलाइट जल रही थी, सागर को ढूंढ रहा था।
उधर यश जैसे ही कार में बैठा, उसे कुछ राहत महसूस हुई। क्यूंकि बाहर तो उसका डर दुगुना हो गया था। फिर उसने मुड़कर पीछे वाली सीट पर देखा तो पाया कि रूही वहां नहीं थी। “रूही” उसने आवाज लगाई पर कोई जवाब न मिलने पर वह गाड़ी के अंदर से ही पीछे की सीट पर आ गया जहां रूही पहले बैठी थी। ये क्या! यहां तो सच में कोई भी नहीं था। बेचारे यश को एक के बाद एक झटके मिलते जा रहे थे।
इतने में आरव को सागर मिल गया। वह गाड़ी के पीछे की तरफ बेहोश हुआ पड़ा था या सोया हुआ था, जो भी था पर इस वक्त वह बेसुध पड़ा था। आरव ने सागर को हिलाया। उसे आवाजें देने लगा, “सागर! सागर! उठो। सागर… सागर।”
यश गाड़ी से बाहर निकला और आरव को देखने लगा। उसे आरव आसपास दिखाई नहीं दिया तो वह चिल्लाया, “आरव, कहां हो तुम?”
“मैं यहां हूं, गाड़ी के पीछे।” आरव ने जवाब दिया।
यश भागता हुआ आरव के पास आया और आते ही कसकर आरव का हाथ पकड़ लिया और रोने लगा।
“यश! क्या हुआ? रो क्यूं रहा है? देख सागर भी मिल गया। सब ठीक हो जाएगा।” आरव बोला।
यश का रोना यह सुनकर भी चुप नहीं हुआ। आखिर क्यों होता, उसके रोने की वजह सागर था ही नहीं। वह तो एक के बाद एक इतने दृश्य देख कर बिल्कुल घबराया हुआ था।
आरव फिर बोला, “रिलेक्स, क्या हुआ?”
यश थोड़ा हिम्मत करके बोला, “वो.. वो रूही… रूही..”
आरव बोला, “देख बिल्कुल नहीं मत घबरा! बोल क्या हुआ रूही को।”
यश बोला, “रूही कार में नहीं है।”
आरव चौंककर बोला, “क्या?”
यश फिर से रोने लगा।
आरव भी अब घबराने लगा था। पर अभी उसमें बहुत हिम्मत बाकी थी। वह बोला, “चल, आ मेरे साथ। मैं देखता हूं।”
आरव को लग रहा था कि यश ने डर के कारण ठीक से देखा नहीं और ऐसे ही बोले जा रहा है।
आरव ने कार के अंदर देखा तो रूही सचमुच वहां नहीं थी। आरव के पैरों तले जमीन खिसक गई। अब तो उसका शक यकीन में बदल गया कि पक्का उनके साथ कुछ अमानवीय कुछ भूतिया सा हो रहा है। उसका दिल जोरों से धड़कने लगा।
तभी यश बोला, “देखा, मैनें बोला था ना!”
आरव ने पानी की बोतल उठाई और सागर के पास आ गया। सागर के ऊपर उसने पानी छिड़का। सागर धीरे धीरे उठा। जैसे जैसे वह होश में आता जा रहा था वैसे वैसे वह आस पास की जगहों का मुआयना कर रहा था। वह उठते ही चिल्लाने लगा, “आरव! हम बहुत बड़ी मुसीबत में फस चुके हैं। यश बिल्कुल सही बोल रहा था।”
इतना सुनते ही यश बोला, “देखा, मैनें बोला था ना! सागर ने भी उस बिना सर वाली औरत को देखा होगा पक्का। और वह बेहोश हो गया होगा।” और रोने लगा।
आरव बोला, “यश तू प्लीज़ चुप करेगा थोड़ी देर। सागर तू बता एक्जेक्टली क्या हुआ?”
सागर बोला, “पानी… पानी दो पहले!”
आरव ने उसको पानी पिलाया और पूछा, “अब बोल भी हुआ क्या आखिर!”
सागर बोला, “वो देखो सामने, अपने जिस सड़क से आए थे। कुछ कदम की दूरी पर वो सड़क ही गायब है।”
आरव और यश ने देखा तो वो भी घबरा गए। यश डर के मारे आरव से लिपट गया और रोने लगा।
आरव बोला, “देखो अब जो हो गया, उसकी बात बाद में करेंगे। पहले हम सबको हिम्मत से यह रात गुजारनी होगी।”
यश बोला, “रात तो अपने गाड़ी में बैठे बैठे भी गुजार सकते थे। पर रूही गायब हो गई। उसको कैसे ढूंढें?”
आरव बोला, “मैं उसको कॉल करता हूं। सिम्पल।”
आरव ने उसको कॉल लगाने के लिए अपने मोबाइल की तरफ देखा तो हैरान हो गया। अभी कुछ देर पहले इसी जगह पर फुल नेटवर्क आ रहा था पर अब यहां बिल्कुल भी नेटवर्क नहीं था।
आरव बोला, “यश, तुम्हारे फोन में नेटवर्क है क्या?”
यश मोबाइल देखते हुए बोला, “नहीं यार, पर अभी थोड़ी देर पहले तो था!”
सागर ने भी खुद के फोन में देखा और बोला, “इधर भी नेटवर्क नहीं है।”
डर और खौफ बढ़ता जा रहा है। रात भी लगातार घनी होती जा रही है। पर अभी लगभग पूरी रात बाकी पड़ी है। ऊपर से रूही भी गायब हो चुकी है। इन तीनों की तो पूरी फटी पड़ी है।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों सोचिए क्या रूही मिल पाएगी? क्या ये रात निकल पाएगी? या कभी खत्म ही नहीं होगी ये रात। बने रहिए मेरे साथ और इंतजार कीजिए अगले पार्ट का। बहुत से “रहस्य” लेकर आएगी ये कहानी।
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