अब तक आपने पढ़ा:
रूही गायब हो चुकी थी। जिस सड़क से वे लोग आए थे वह सड़क भी अब गायब थी। किसी के मोबाइल में नेटवर्क नहीं था और सब डरे हुए थे। यश तो हद से ज्यादा डरा हुआ था।
अब आगे:
आरव बोला, “इस तरह से डरकर कुछ भी होना नहीं है। हमें थोड़ी हिम्मत रखनी पड़ेगी। तभी हम सही सलामत ये रात गुजार पाएंगे। सबसे पहले तो यह सुनिश्चित करना होगा कि हम तीनों एक साथ रहें। और उसके बाद अपने पास दो टास्क हैं। पहला, रूही को ढूंढना और दूसरा, कार स्टार्ट करना।”
यश बोला, “वाह कितनी आसानी से बोल दिया। पर सोच तो सही, ये सब करने में हमें शायद भूत से भी लड़ना पड़ सकता है।”
सागर बोला, “आरव की बात मुझे ठीक लगी। डरकर जिएंगे, उससे अच्छा तो है लड़कर मर जाएंगे।”
आरव, यश और सागर तीनों एक साथ इधर उधर रूही को ढूंढने लगे। इतना घना जंगल और उसमें तीनों के मोबाइल्स की छोटी छोटी फ्लैशलाइट। ऐसा लग रहा था जैसे माचिस की तीली से चाय बना रहे हों। हालांकि वे इस रोशनी से सामने की तरफ तो देख सकते थे पर रूही को ढूंढने के लिए सब तरफ देखना जरूरी था क्यूंकि हो सकता है कि वे लोग उसके पास से गुजरें पर रूही बेहोश पड़ी हो। उस स्थिति में ना तो रूही उन्हें आवाज दे सकती है और ना ही वे उसे देख सकते हैं।
इनमें से किसी ने अपने साथ कोई बड़ी टॉर्च भी नहीं ली थी। क्यूंकि इन्होंने सोचा ही नहीं था कि ऐसी कोई जरूरत पड़ेगी।
“गाड़ी में एक्स्ट्रा डीजल है क्या?” सागर ने पूछा।
“हां, है ना!” आरव बोला।
“परफेक्ट, यश तेरे पास लाइटर भी होगा ही।” सागर बोला।
“हां.. पर तू तो स्मोक करता ही नहीं।” यश बोला।
“नहीं करता। पर लाइटर चाहिए।” सागर पास से एक मोटा लकड़ी का टुकड़ा उठाते हुए बोला।
और गाड़ी की तरफ सबको ले चला। गाड़ी में से एक पुराना कपड़ा निकाला और उसको उस लकड़ी पर लपेटकर उस पर थोड़ा डीजल गिराया और उसको जला दिया।
सागर बोला, “लो, तैयार हो गई हमारी मशाल। अब हम रूही को आसानी से ढूंढ पाएंगे।”
“परफेक्ट” आरव बोला। और सब एक नए जोश के साथ रूही को ढूंढने लग गए।
रात के एक बज चुके थे। तीनों थक कर कार के पास वापस आ चुके थे। बहुत मशक्कत करने के बाद भी रूही को ढूंढने में नाकाम थे।
अचानक मौसम करवट लेने लगा। घने बादल इकट्ठे हो गए। तेज बिजली कड़कने लगी। हवा की स्पीड तेज हो गई। खौफ का साया भी बढ़ने लगा। जंगल में कुछ अजीब और भयानक आवाजें गूंजने लगी। माहौल इतना भयानक था कि किसी को भी समझ नहीं आ रहा था क्या करें।
तीनों कार के अंदर बैठ गए और कार को पूरी तरह से लॉक कर लिया। यश डर के मारे हनुमान चालीसा बड़बड़ाने लगा। आरव मोबाइल में ध्यान लगाकर वक्त गुजारने की कोशिश करने लगा। पर एक तो इतना डरावना माहौल ऊपर से मोबाइल में नेटवर्क भी नहीं, आखिर कब तक उसका टाइम पास होता। सागर बैठा गहरी सोच में डूबा हुआ था।
आरव ड्राइवर सीट पर बैठा था। उसने ऐसे ही टाइम पास के लिए चाबी घुमाई तो कार एक ही बार में स्टार्ट हो गई। सबकी खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। इतनी निराशाओं के बीच एक आशा की किरण दिखने पर उन्हें काफी खुशी हुई।
“इससे पहले कि कार फिर से बंद हो, चल जल्दी।” यश बोला।
“चल तो लेता, पर रूही को कैसे छोड़ दें।” आरव बोला।
“अगर जिंदा रहे तो कल दिन में वापस आ जाएंगे यहां रूही को ढूंढने।” सागर बोला।
सागर ने “जिंदा रहे” वाली बात पर इतना जोर दिया था कि आरव को भी घबराहट होने लगी। उसने तुरंत गाड़ी को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया।
“शुक्र है भगवान का, गाड़ी शुरू हो गई। वरना आज तो पता नहीं जिंदा भी बचते कि नहीं।” यश बोला।
“रूही को कुछ ही गया तो… किसी को पता भी नहीं की वो हमारे साथ आई थी।” आरव बोला।
“अच्छा है ना.. किसी को नहीं पता। हमें कहीं जवाब नहीं देना पड़ेगा।” सागर बोला।
“पर वो हम पर भरोसा करके हमारे साथ आई थी। उसको ऐसे छोड़कर जाना ठीक नहीं लग रहा मुझे।” आरव बोला।
“तो कर भी क्या सकते हैं। हमने उसे कितना ढूंढा।” सागर बोला।
“अगर वो हमें ढूंढती हुई वहां आई और हम उसको नहीं मिले तो… हम वापस वहीं चलते हैं और कार में बैठे सुबह होने का इंतजार करते हैं।” आरव बोला।
“तू पागल हो गया है क्या? कार में बैठे बैठे सुबह तो हो जाएगी, पर अपने सुबह का सूरज नहीं देख पाएंगे।” यश बोला।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या ये तीनों रूही को छोड़कर चले जाएंगे? या वापस उसी जगह जाकर सुबह होने का इंतजार करेंगे? या फिर कुछ और ही “रहस्य” लेकर आएगी ये कहानी। जानने के लिए आपको इंतजार करना होगा अगले पार्ट का।
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