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घनश्याम ने जैसे तैसे बॉस को संभाला। उसके बाद थक कर घर आया और खाना खा कर सो चुका था।
अब आगे:
दूसरे दिन घनश्याम सुबह जल्दी उठकर ऑफिस के लिए निकल गया। ऑफिस का दूसरा दिन भी ठीक ठाक रहा। ऐसे ही दिन निकलने लगे। वह रोज सुबह जल्दी उठकर टाइम पर ऑफिस जाता। शाम को थक कर घर आ जाता और आकर खाना खा कर सो जाता। बाकी तो सब सामान्य था, पर ऑफिस में सबको यह पता चल चुका था कि बॉस और घनश्याम के बीच कुछ तो प्रॉब्लम हुई है। और सभी को यह डर था कि अगर कोई भी घनश्याम से ज्यादा घुला मिला तो बॉस उसको नौकरी से निकाल देगा।
इस वजह से कोई भी घनश्याम से ज्यादा बातें नहीं करता था और ऑफिस का हर व्यक्ति घनश्याम से दूर ही रहता था।
घनश्याम इस बात से बहुत ज्यादा तंग हो गया था और उसका ऑफिस में मन भी कम ही लग रहा था। वह दिल से इस काम को कभी नहीं करना चाहता था और उसके टैलेंट के हिसाब से वह इस से कई गुना अच्छा काम कर भी सकता था। पर फिर भी वह इसी जॉब को कर रहा था क्यूंकि उसे इस से अच्छी कोई जॉब मिलने के आसार नहीं लग रहे थे।
खैर, ऐसे चलते चलते तीन महीने गुजर गए। एक शाम घनश्याम रोहन से बोला, “यार, महीने की कमाई आठ हजार है और खर्च करीब पंद्रह हजार। समझ नहीं आता कैसे मैनेज करूं।”
“तुम्हारी प्रॉब्लम का बड़ा ही सीधा सॉल्यूशन है।” रोहन ने जवाब दिया।
“क्या?” घनश्याम ने बड़े ही आश्चर्य के साथ पूछा।
“कुछ और काम कर लो।” रोहन बोला।
“ये भी कोई सॉल्यूशन हुआ।” घनश्याम मायूस स्वर में बोला।
“यही सॉल्यूशन है मेरे दोस्त।” रोहन बोला।
घनश्याम इस पर कुछ नहीं बोला तो रोहन समझाते हुए बोला, “देख, इस जॉब में तो तेरी सैलरी बढ़ना लगभग नामुमकिन है, और बात आती है घर के खर्चे घटाने की, तो वो मुझे अच्छा ऑप्शन किसी भी हाल में नहीं लगता। ऐसे में यही ठीक रहेगा कि तुम जॉब चेंज कर लो।”
“बात तो तुम्हारी ठीक लग रही है, पर इसमें भी एक प्रॉब्लम है।” घनश्याम बोला।
“बोलो क्या प्रॉब्लम है?” रोहन बोला।
“मुझे नयी जॉब कहां से मिलेगी? जबकि ये जॉब भी मुझे कितनी मुश्किल से मिली थी।” घनश्याम बोला।
“कोशिश करो, जरूर मिल जाएगी।” रोहन बोला।
“हम्म” घनश्याम बोला।
रोहन की ये बात घनश्याम को काफी हद तक सही लगी और उसने दूसरी कोई नौकरी ढूंढने की सोची। पर घनश्याम के पास इतना वक्त नहीं होता था कि वह इधर उधर जॉब तलाशने के लिए भटक सके। उसका लगभग पूरा दिन ऑफिस में गुजर जाता था। फिर भी वह अपने स्तर पर कोशिश कर रहा था। ऐसे कोशिश करते करते कुछ दिन गुजर गए और उसके बाद घनश्याम वापस अपनी पुरानी विचारधारा पर आ गया कि उसको इस से अच्छी कोई जॉब नहीं मिल सकती जो शायद कुछ हद तक सही भी थी।
एक दिन घनश्याम ऑफिस देरी से पहुंचा। ऑफिस में मानो जैसे बॉस उसका इंतजार ही कर रहा हो। ऑफिस पहुंचते ही बॉस घनश्याम से बोला, “आ गए महाराज!”
“सॉरी सर, थोड़ा लेट हो गया।” घनश्याम बोला।
“थोड़ा?” बॉस आंख दिखाते हुए बोला।
“शायद थोड़ा ज्यादा ही लेट हो गया।” घनश्याम बोला।
“अच्छा, पर क्या मैं वजह जान सकता हूं?” बॉस ने पूछा।
“दरअसल कल रात को काफी सिर दर्द हो रहा था, तो देर से नींद आई इसलिए सुबह उठने में भी देर हो गई।” घनश्याम बोला।
“अच्छा तो कम से कम ऑफिस में इन्फॉर्म तो कर सकते थे कि आज लेट आने वाले हो।” बॉस बोला।
“सॉरी सर, दिमाग से निकल गया।” घनश्याम बोला।
“अच्छा तो तू भी निकल ले!” बॉस बोला।
“सॉरी सर!” घनश्याम बोला।
“सॉरी वॉरी कुछ नहीं, आई सेड गेट आउट!” बॉस बोला।
“प्लीज़ ऐसा मत कीजिए सर, आगे से ऐसी कोई गलती नहीं होगी।” घनश्याम गिड़गिड़ाने लगा।
“अब रोने का कोई फायदा नहीं है।” बॉस घनश्याम से बोला और फिर अपनी सेक्रेट्री से बोला, “इसका अब तक का हिसाब कर दो और दफ्फा करो इसको जल्दी यहां से।”
“प्लीज़ सर एक बार मेरी बात तो सुन लो।” घनश्याम बोला।
बॉस उसकी बात को नजरंदाज करते हुए अपने केबिन में चला गया। बॉस की सेक्रेट्री ने घनश्याम का हिसाब कर दिया और पेपर फॉर्मलिटीज करके उसे जाने को कह दिया।
घनश्याम भी इस बात से अनजान नहीं था कि यह सब उसके साथ क्यों हुआ और शायद ही ऑफिस के किसी व्यक्ति से यह बात छुपी होगी। ऑफिस का हरेक व्यक्ति बॉस के स्वभाव से परिचित था। खैर, जो हो गया उसे बदला नहीं जा सकता। घनश्याम के पास एक ही रोजी रोटी का साधन था, वह भी उस से छिन गया।
घनश्याम का मन बिल्कुल मायूस हो गया। वह इस बात को बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था। और नौकरी खो जाने का जिम्मेदार भी वह खुद को ठहरा रहा था। वह खुद को बिल्कुल नाकारा और बेकार सा समझ रहा था।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों ये क्या हो गया? क्या लगता है, आगे क्या होने वाला है? क्या घनश्याम को कोई दूसरी जॉब मिलेगी? जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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