कशिश ओर ऋषि एक खूबसूरत लेक के पास थे जहा की खूबसूरती कशिश ओर ऋषि ओर नजदीक ला रही रही थी।
ऋषि का पूरा प्लान अभी तक अधूरा था आज उसने पूरी प्लानिंग की थी कशिश को प्रपोज करने की । उसकी खुशी और बढ़ाना चाहता था । पर मन ही मन डर भी था की कही दोस्ती इस बीच से गायब ना हो जाए । ये सोच बार बार उसको रोक रही थी।
कशिश – क्या हुआ ऋषि कुछ बोल ही नहीं रहे ।
ऋषि – कुछ नही बस यहां दिल को सुकून मिल रहा है ।
कशिश – हां एकदम शांत खूबसूरत एक अलग ही सुकून है यहां की हवाओं में यहां आस-पास में एकदम आराम मिलता है ऐसे लगता है जैसे सारी टेंशन लाइफ से बाहर चली गई हो । है ना
ऋषि – हां मुझे भी
कशिश – ऋषि अपने बारे में कुछ बताओ
ऋषि – कुछ खास है नहीं बताने को तुम जो जानना चाहती हो पूछ सकती हो
कशिश – तुम्हारे परिवार में कौन कौन है
ऋषि – मां, पापा ,दादी ,भैया ,भाभी, परी, चाचा, चाची , अरुण
कशिश – इतनी बड़ी फैमिली है वाओ कितना एंजॉय करते होगे न सब
ऋषि – हां वो तो है
ओर इसी बातो में उनकी रात निकल रही थी ।
कशिश ऋषि के कंधो पर ही सर रखकर सो गई थी । ओर ऋषि उसको निहारते निहारते सो चुका था।
पूरी रात खूबसूरती के बीच दोनो में नजदीकिया आ रही रही थी ।
सुबह कशिश की आंख खुली ओर वो ऋषि के कंधो पर थी ।
उसने ऋषि को सोते हुए पाया तो वो शांति से उस जगह को निहार रही थी । थोड़ी देर बाद वो खुद के और ऋषि के लिए काफी लेने चली गई ।
ऋषि की आंख खुली तो वो डर गया कशिश उसके साथ नहीं थी ।
वो इधर उधर कशिश को ढूंढने लगा उसको डर लग रहा था की कहा गई होगी कशिश ठीक तो हैं न वो वही बेंच पर बैठकर रोने लगा ।
पीछे से कशिश की आवाज आई – गुड मॉर्निंग तुम उठ गए ।
ऋषि – कशिश को देखा वो एकदम ठीक थी उसके हाथ में कॉफी देखी
तुम कहा थी रोते हुए ऋषि ने कहा
कशिश – तुम रो क्यू रहे हो तुम ठीक हो ना कशिश ने काफी बेच पर रखी और ऋषि से पूछा
ऋषि ने रोते हुए कशिश को गले लगा लिया पता है में कितना डर गया था की तुम ठीक हो या नहीं कहा हो मुझे कही नही मिल रही थी।
कशिश ऋषि को इस कदर रोते देखकर हैरान थी उसने उसको चुप करवाया और वो भी पहली बार किसी और को उसके लिए रोता हुआ देख रही थी ।
ये अलग ही एहसास था । अब वो ऋषि के साथ होटल जाती ह । आज शाम उन्हे निकलना भी है तो दोनो अपनी पैकिंग कर लेते है ।
ऋषि ओर कशिश खाना साथ खाते है और होटल से निकल जाते है ।
एयरपोर्ट तक के सफर में दोनो एकदम शांत होते है किसी ने बात नही शुरू की । तो कशिश ही चुप्पी तोड़ते हुए ऋषि से पूछती है तुम घर पर क्या कहकर आए थे ।
ऋषि – यही की कॉलेज फ्रेंड की वेडिंग है तो ….
कशिश जोर जोर से हंसने लगती है
ऋषि ओर कशिश ऑस्ट्रेलिया से निकल चुके है ।
कशिश मन ही मन सब बाते याद कर रही है जो अब उसके याद बनने वाली है और ऋषि अभी भी इन्ही खूबसूरत लम्हों को याद कर रहा था और अपना सफर तय कर रहे थे ।
ओर ये सफर इसी में निकल गया दोनो को एक दूसरे के बारे में सोचते सोचते ….
ये सफर शायद खत्म होने को था पर जिंदगी का सफर शुरू हुआ था ….
इन सबके बीच अर्जुन को उधर कशिश की फिकर हो रही थी । रिचा अर्जुन को संभाल रही थी । रिचा अर्जुन की हर प्रॉब्लम को कम करने की कोशिश करती रहती थी।
कुछ भी करके वो अर्जुन को खुश देखना चाहती थी । उधर mr अरोड़ा भी होश में आ चुके थे ।
उन्हे उनकी पत्नी का इस कदर जाना चुभ रहा था ।
उलझनों के बीच मुस्कुराहटे कशिश सबमें बांटना चाहती थी ।