chapter 20
आज कशिश के लिए एक नई सुबह थी अब वह खुद के लिए जी सकती थी,मन में दबाए ख्वाब,काम और इच्छाओं को पूरी करने का वक्त अब कशिश के पास था
कशिश आज खड़ी हुई तो उसने देखा कि सुबह के 10:00 बज गए थे। रोज ऑफिस और काम के दबाव में 6:00 बजे उठने वाली कशिश घड़ी में देखते ही चोंक पड़ी और उसने जल्दी से वाशबेसिन में मुंह धोया और सामने लगे शिशे मैं खुद को तलाशने लगी
उसे वही करना था जो उनके मन में है
थोड़ी दिन पहले ही ऑस्ट्रेलिया से पुलिस इंस्पेक्टर का फोन आया था पर उस वक्त कशिश काम के दबाव में और अर्जुन के इतना कहने के बाद एक बार के लिए केस को रुकवा दिया था अब वह उसे पूरा करना चाहती थी इसलिए आज अर्जून से बात करके कुछ सबूत इकट्ठा करने लगी क्योंकि पुलिस ने कह दिया था कि यह परिवारिक मामला है और जो लोग इस हत्या में शामिल है वह आपकी ही करीबी हैं इसलिए हमें
वह व्यक्ति चाहिए जो ऑस्ट्रेलिया में सबसे परिचित हो जो (कशिश) आपके के मां पापा के करीबी हो और वह एक ही व्यक्ति था-अर्जुन!
पर अर्जुन अब काफी डर गया था वो नहीं चाहता था कि अब वह किसी और परिवार वाले को खो दें
पर कशिश कहां रुकने वाली थी उसने अर्जुन से इस बारे में बात करने का फैसला लिया और अर्जुन की रूम में जाने लगी
तभी उसके मन में एक आइडिया आया कशिश यह जानती थी कि अर्जुन के मन से वह डर निकालना पड़ेगा वरना वह किसी भी सूरत में उसका साथ नहीं देगा ऐसा सोचते सोचते कशिश वापस अपने रूम में आ गई और ऐसे आइडिया की तलाश में जुट गई जिससे वह अर्जुन के मन के डर को निकाल सके
किसी को भरोसा था कि उसका आईडिया काम करेगा इसी सोच में डूबी कशिश फोन की रिंग के साथ ही सपनों की दुनिया से बाहर आगयी उसने देखा कि यह फोन ऋषि का था
ऋषि का फोन देख मुस्कुराते हुए सोचने लगी की आईडिया तो ऋषि का भी अच्छा ही होता है क्यों नहीं वह दोनों साथ मिलकर ही कुछ आईडिया सोच ले
और कशिश अपनी स्कूटी लेकर चल पड़ी ऋषि के हॉस्पिटल की ओर….
कुछ सोचते सोचते….
ऋषि भी परेशान था कि आखिर कशिश को क्या हो गया है
जो वह उसका फोन भी नहीं उठा रही है
तभी कशिश ऋषि के आफिस में आ गई
ऋषि भी उधर परेशान था क्योंकि वह किसी को सुबह से कई बार कॉल कर चुका था तभी अचानक कशिश की आवाज ऋषि की कानों में पड़ी
कशिश हॉस्पिटल इंफॉर्मेशन टेबल से ऋषि के चेकअप रूम के बारे में पूछ रही थी
अचानक से ऋषि की कशिश को देखने के लिए बाहर आ गया और ऋषि ने कशिश को देखते ही गले लगा लिया और बोला कि कशिश तुम पागल हो सुबह से परेशान हो रहा हूं यार तुम्हें प्यार करता हूं तुम्हारी फिक्र है
हां जानती हूं पर मैं भी तुम्हें सरप्राइस देना चाहती थी क्या सिर्फ तुम ही सरप्राइज दे सकते हो कशिश ने यह कहते हुए गले से लगाए ऋषि को एक प्यारी सी किस दे दे दी
इस तरह की सबके सामने किस से ऋषि थोड़ा सरप्राइस पर अब उसे उसकी दुनिया मिल चुकी थी
इसलिए उसने भी लोगों की परवाह नहीं की
ऋषि के कशिश को हॉस्पिटल की केंटीन में ले जाने लगा
कशिश बोली-अगर तुम्हारे पेशेंट्स है तो तुम चेकअप कर लो मैं वेट कर लूंगी
अरे नहीं अभी 12:00 ही मेरा आउटडोर क्लोज हो गया है
और कहते हुए ऋषि ने पूछा कि आज अचानक युं हॉस्पिटल आने कैसे हुआ
कशिश ने ऋषि को कहा बैठो तो सही फिर बताती हूं मुझे तुमसे एक हेल्प चाहिए थी
चलो फिर जो आपकी आज्ञा और हंसते हुए ऋषि खाली पड़ी टेबल पर बैठ गया
यह सोचते कि आज कशिश को मेरी हेल्प क्या चाहिेए होगी….