आज कशिश ऑस्ट्रेलिया पहुंच चुकी थी ।
सारे सबूत उसके पास थे अब बस वो जल्दी से जल्दी सब खत्म करना चाहती थी । उसने सब सबूत ऑफिसर को थमा दिए । ओर ऑफिसर ने 1 हफ्ते तक का समय लेने को कहा । आज से कशिश की परेशानी कम होने वाली थी कशिश ने सोचा की अब सब सही ही होगा पर होने कुछ और वाला था जिसका शायद सोचा भी नही था । पर ऋषि ओर कशिश थोड़ा शांत थे । उधर Mr अरोड़ा ने अर्जुन से कहा की जल्दी से रिचा से शादी कर लो ओर इस शहर को छोड़ कर चले जाओ कशिश को संभाल लेंगे बाद में । ओर अपने कंपनी को लेके भी कुछ बाते चल रही थी । ये सब रिचा सुन रही थी पर उसको कुछ समझ नहीं आ रहा था पर वो अपने आप को समझकर चुप हों गई । उधर कशिश अपने मंजिल के बहुत करीब थी उसको सब जल्दी ही पता चलने वाला था । आखिर इतने राज दफन थे जिनको कुरेदने में कशिश को ना जाने कितना दर्द होने वाला था ?
उधर ऋषि बस अब सब खत्म होने का वेट कर रहा था । ताकि वो भी फिर कशिश को शादी के लिए मना सके ।
2 दिनों बाद ऑफिसर का फोन आया और मिलने भी बुलाया । कशिश ओर ऋषि दोनो साथ गए । वहा ऑफिसर ने कशिश को कुछ ऐसे प्रूफ दिखाए जो कशिश को समझ नहीं आ रहा था की क्या हो गया है ये सब
पूरी जिंदगी सबने उसे छुपाया की वो mr अरोड़ा की नहीं mr राजवंश की बेटी है । इसका मतलब वो कशिश अरोड़ा नहीं कशिश राजवंश है । वो राजवंश फैमिली जिसका नाम आज तक अखबारों की हेडलाइन पर था । कशिश न तो अब अरोड़ा फैमिली की रही ओर न ही राजवंश फैमिली की उसको सब सच जानना था । पर अभी भी बाकी था की उसकी मां को किसने मारा ।
ऑफिसर ने सब बाते सामने प्रूफ के साथ रख दी की राजवंश और अरोड़ा business partner थे और इनके बीच कुछ घोटाला होने के कारण ये दोनो अलग हुए और दोनो ने अपना बिजेनेस अलग कर लिया । ओर कशिश को बचपन में अरोड़ा फैमिली ने ले लिया था । ओर इस
बात ने कशिश को झकझोर दिया था ।
ये सब या दुश्मनी का बदला था जिसमे कशिश ने अपनी मां को खो दिया ।
ऋषि कशिश को आवाज लगाय जा रहा था पर कशिश के मुंह से एक शब्द न फूटा ।
वो ऑफिसर के साथ सीधा राजवंश के वहा जाना चाहती थी । उनके पास सारे सबूत होने के कारण ये केस ओर भी आसान हो गया था ।
उसके मन में लाखो सवाल एक एक करके भूचाल ला रहे थे । ऋषि की हर बात को अनदेखा कर दिया ।अकेली ही वहा से चल गई । उसको ना कुछ सुनाई दे रहा था न दिखाई ।
ऋषि ने ऑफिसर को भी एक्शन करने से मना कर दिया ।
और वो भी जानता था की कशिश की क्या हालत हो रही है आखिर वो अपनो से धोखा खाए बैठी थी ।
वो कशिश को ढूंढने निकल गया और डर भी रहा था की कही इस अनजान देश में वो कही खो न जाए ना वो फोन उठा रही थी न कोई मैसेज का जवाब दे रही थी ।
आज क्या क्या सोचा था ओर क्या हो गया ना कशिश को समझ आ रहा था ना ऋषि को ।
उधर अर्जुन और रिचा की बीच भी जगड़ा हो रहा था की ये सब हो क्या रहा है क्या छुपाया है अर्जुन ने इतने सालो से ।
ओर कशिश का राज क्या है कोई कुछ बोलेगा ।
इन सब उलझनों में ही दिन खत्म हो गया और उधर ऋषि कशिश को बेहाल ढूढने के बाद उसको लेक के पास बैठी मिली ।ओर जाकर उसको आवाज दी और कशिश रोने लगी । आज ऋषि ने भी चुप होने को नही कहा
वो कहते है ना की कई बार आंसुओ को बहने देना चाहिए मन का बोझ कम हो जाता है……