अब तक आपने पढ़ा:
यश को महसूस हुआ कि रूही उसे बुला रही है। वह उस आवाज का पीछा करने लगा। आरव और सागर उसको आवाज लगाकर रोकने की कोशिश कर रहे थे।
अब आगे:
इन्हें अंदाजा तो हो गया था कि यश जरूर किसी बड़ी मुसीबत की तरफ कदम बढ़ा रहा है।
आरव और सागर यश के पीछे दौड़े। पर यश के साथ ना जाने ऐसा क्या हुआ, उसके चलने की स्पीड इनके दौड़ने से ज्यादा थी। ना ही वह उनकी आवाजों का कोई जवाब दे रहा था। जैसे मानो किसी ने उसे अपने वश में कर लिया हो और अपने इशारों पर चला रहा हो।
देखते ही देखते यश उनकी आंखों से ओझल हो गया। वे यश के पैरों के निशान का पीछा कर रहे थे पर कुछ कोस चलने के बाद उसके पैरों के निशान भी गायब हो गए थे। जंगल में घना अंधेरा था। अंधेरे के बीच लगातार कुछ कुछ सेकंड में तेज़ बिजली कड़कड़ाने के साथ उजाला हो रहा था। एक पल घना अंधेरा तो दूसरे ही पल तेज रोशनी। तेज हवा का शोर और उसमें से दूर कहीं से जंगली जानवरों की धीमी आवाजें आ रही थी।
अचानक बिजली के कड़कने के साथ तेज रोशनी हुई और उसमें उन्होंने एक अजीब सा साया देखा। उसकी गर्दन नहीं थी। एक पल में वह साया फिर से अंधेरे में कहीं खो गया। उनको अनुमान था कि यह वही भूतनी है जिसे यश ने वॉशरूम में देखा था।
आरव और सागर ने एक दूसरे की तरफ देखा और तेजी से गाड़ी की तरफ भागे।
भागते भागते दोनों किसी पेड़ से टकराए जो टूटकर जमीन पर गिरा हुआ था। जब वे इसी रास्ते से इस तरफ आए थे तब तो वह पेड़ इस जगह पर गिरा हुआ नहीं था। वे दोनों पेड़ से टकराकर पेट के बल जमीन पर गिर गए।
नीचे गिरने पर वे दुबारा खड़े होने की कोशिश करने लगे कि तभी उन्हें सामने से कोई रोशनी उनकी तरफ आती दिखाई दी। ऐसे लग रहा था जैसे कोई टॉर्च लिए उनकी तरफ आ रहा है। अब उनमें से तो कोई घर से टॉर्च लेकर आया नहीं था, तो फिर यह कौन था। इसी ख्याल से आरव ने सागर से बिल्कुल भी न हिलने को कहा ताकि ऐसा लगे कि वे दोनों बिल्कुल बेहोश पड़े हैं। दोनों ने वैसा ही किया।
कुछ क्षण में उन्हें बारी बारी से अपनी आंखों पर टॉर्च की तेज रोशनी महसूस हुई जैसे कोई इनका मुआयना कर रहा है कि ये दोनों सही सलामत हैं या नहीं। फिर आरव को कंधे पर किसी का हाथ महसूस हुआ और साथ ही एक सामान्य आवाज दोनों के कानों में पड़ी, “कौन हो तुम लोग? क्या तुम ठीक हो?”
आरव ने तिरछी नजरों से उसकी तरफ देखा, देखने पर वह बिल्कुल सामान्य लग रहा था। आरव ने पूरी आंखें खोली और बोला, “तुम कौन हो?”
“मेरा नाम नंदकिशोर है, आप लोग मुझे नंदू कह सकते हो। मैं अपने चार दोस्तों के साथ घूमने निकला था। और अब इस भूतिया जंगल में फस गया हूं। मेरे तीन दोस्त उस भूत के द्वारा मारे जा चुके हैं। एक ना जाने कहां गायब है, और मैं बिल्कुल अकेला रह चुका हूं। प्लीज़ आप लोग मेरी मदद करो, प्लीज़।” वह बोला।
सागर उठा और बोला, “पर तुम्हें कैसे पता चला कि तुम्हारे तीन दोस्त मारे जा चुके है?”
नंदू बोला, “जब हम उन्हें ढूंढ रहे थे तो हमें दो के सर और एक का हाथ मिला। आस पास का सारा इलाका छान लिया पर पूरा शरीर किसी का नहीं मिला। मुझे बहुत डर लग रहा है।”
आरव ने पूछा, “उनके अलावा और किसी का कोई अवशेष मिला?”
नंदू बोला, “नहीं, क्यूं आपका भी कोई साथी गायब है?”
सागर बोला, “हां, एक लड़का और एक लड़की।”
आरव और सागर ने पीछे मुड़कर देखा तो वो साया अब गायब था जिससे डरकर वो दोनों भागे थे। वे उठकर नंदू को साथ लिए गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे।
क्या सोचकर घर से निकले थे और क्या हो रहा है? यश के मम्मी पापा को क्या जवाब देंगे? जब रूही उसके मम्मी पापा को नहीं मिलेगी तो उनको कैसा फील होगा? पता नहीं घर जिंदा पहुंच भी पाएंगे या नहीं? क्या उनके माता पिता को उनकी लाश भी मिल पाएगी? इन सब ख्यालों के साथ आरव और सागर नंदू को लिए आगे बढ़ रहे थे।
वे भागते भागते गाड़ी से काफी दूर आ गए थे। इसका अंदाजा उन्हें अब हो रहा था। चलते चलते वे काफी थक गए तो सागर एक लकड़ी के टुकड़े पर बैठ गया। बैठते ही उसने अपने बाजू में देखा तो उसके मुंह से आवाज तक भी नहीं निकली। वह आरव को हाथ से हिलाकर बुलाने लगा तब आरव बोला, “क्या हुआ, कुछ बोल ना! ऐसे इशारे क्यों कर रहा है?”
कहानी जारी रहेगी…
आखिर सागर ने ऐसा क्या देखा? क्या यश इनको मिल पाएगा? रूही का भी अभी तक कोई पता नहीं लगा। कहीं रूही मर तो नहीं गई? सब “रहस्य” का जवाब मिलेगा, बस थोड़ा सब्र रखिए। इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
Please bookmark this “web novel” and stay tuned to read next part👍