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रूही मर चुकी थी और इस से पहले कि आरव और सागर लाश का कुछ करते, वह गायब हो गई। डर के मारे तीनों भागकर कार के पास पहुंच गए।
अब आगे:
रात और भी घनी होती जा रही थी। इस घनी रात में आरव और सागर अपने दो साथियों को खो चुके थे। उन्हें यश के मिलने की भी उम्मीद नहीं थी।
सागर, आरव और नंदू तीनों कार में बैठ गए। सागर हनुमान चालीसा बड़बड़ा रहा था। तीनों की डर के मारे फटी पड़ी थी। आरव ने कार की चाबी घुमाई तो का स्टार्ट हो गई। “जल्दी जल्दी निकलो इधर से।” नंदू बोला।
पर इतना आसान कहां था। वे लगातार आगे बढ़ते जा रहे थे पर कुछ देर बाद वापस उसी जगह आ गए जहां शुरू में उनकी कार खराब हुई थी। वे फिर भी नहीं रुके करीब एक घंटा कार घुमाने के बावजूद भी वे वापस वहीं आ रहे थे।
“अब हम नहीं बच पाएंगे।” सागर बोला।
“उम्मीद रखो। देखो, कार स्टार्ट हो रही है। मतलब किस्मत कुछ अपने साथ भी है।” आरव बोला।
“अब बस ब्रेक मत लगाना।” नंदू बोला।
नंदू का बोलना हुआ कि कार के आगे अचानक एक लड़का आ गया। आरव ने बहुत नजदीक आने पर गौर किया कि ये तो अपना यश है। आरव ने जोर से ब्रेक लगाए पर क्या फायदा, कार से टकराते ही यश दूर जाकर गिरा। सागर और आरव भागते भागते उसके पास गए। उसके काफी चोटें लग गई थी और वह बेहोश भी हो चुका था।
“अब यहां कोई हॉस्पिटल भी नहीं मिलेगा।” आरव बोला।
“कार में फर्स्ट एड रखी थी ना। उस से काम चलाने की कोशिश करते हैं।” सागर बोला।
“हां। ऐसा ही करते हैं।” आरव बोला।
तीनों ने मिलकर उसके पट्टी की और उसको पानी छिड़ककर होश में लाने की कोशिश की। वह होश में आ गया, पर बहुत तेज दर्द से कराह रहा था। उन्होंने उसको पानी पिलाया और दर्द के लिए दवा दे दी। पर फर्स्ट ऐड के लिए रखी हुई थोड़ी बहुत पट्टी से ब्लीडिंग भी पूरी तरह से नहीं रुक रही थी।
उन्होंने अपने बैग में से कपड़े निकाले और उनको फाड़ फाड़ कर उसको पट्टी की तरह इस्तेमाल किया और ब्लीडिंग काफी हद तक रुक भी गई।
उन्होंने यश को कार के अंदर सुला दिया। और वे तीनों भी कार में बैठ गए। अब उनके मन में बस इतनी ही उम्मीद थी कि जैसे तैसे करके ये रात कट जाए ताकि सुबह उनके सर से डर का साया खत्म हो जाए और वे अपने घर लौट सकें।
पर जैसा वे सोच रहे थे वैसा होना कहां मुमकिन था। जिस कार में बैठकर वे खुद को थोड़ा बहुत सुरक्षित महसूस कर रहे थे। अचानक उन्होंने उस कार को करीब दस फीट लंबे पेड़ पर पाया। वे सब कार के अंदर ही बैठे थे।
अब वे खुलकर इधर उधर हिल भी नहीं सकते थे। क्यूंकि उनकी मामूली सी हरकत बुरे परिणाम की ओर ले जा सकती थी, उपर से यश की तो हालत पहले से ही खराब थी।
यह रात जैसे लंबी ही लंबी होती जा रही थी। उन्होंने टाइम देखा तो सुबह के चार बज रहे थे। पर इस डरावने जंगल में सुबह के चार बजे का माहौल भी एक सामान्य रात के दो बजे के जैसा लग रहा था।
सुबह होने को लेकर वो खुश होते या फिर अभी और दो तीन घंटे उसी जगह निकलने पड़ सकते हैं ये सोचकर परेशान, उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था। यश को भी मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत थी। वह सो रहा था या बेहोश था, कोई नहीं जानता था। पर कोई उसे जगाना भी नहीं चाहता था। क्यूंकि उनमें से किसी के पास उसके दर्द का कोई इलाज तो था नहीं।
आस पास के सारे पेड़ अजीब हरकत करने लगे। इस जंगल में सब कुछ बिलकुल रहस्यमय और मायावी था। जिस पेड़ पर उनकी कार थी अचानक वह पेड़ हिला और उनकी कार दूसरे पेड़ पर जा गिरी। किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था क्या हो रहा था।
यश झटका लगने की वजह से उठा और आस पास का माहौल देख के बेहोश हो गया। उसके डर की कोई सीमा नहीं थी। उनमें से कोई कुछ समझ नहीं पा रहा था कि आखिर चल क्या रहा है कि वे लोग जिस पेड़ पर थे उसने हरकत की और वे अब किसी और पेड़ पर जा गिरे।
सभी डर के मारे जोर जोर से चिल्लाने लगे। वे जितना जोर से चिल्ला रहे थे। उतनी ही जोर से जंगल में हंसने की आवाजें गूंज रही थी। वे हंसने की आवाजें ना तो पूरी तरह से किसी औरत की लग रही थी और ना ही किसी मर्द की।
कहानी जारी रहेगी…
अरे ये क्या यश को उसके दोस्तों ने ही घायल कर दिया। क्या यश ठीक हो पाएगा? क्या ये लोग इन पेड़ों के चंगुल से निकल पाएंगे? क्या सुबह होगी? या कुछ और “रहस्य” लेकर आएगी ये कहानी। जानने के लिए इंतज़ार कीजिए अगले पार्ट का।
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