अब तक आपने पढ़ा:
आरव ने अपने पापा से घूमने जाने के लिए पर्मिशन ले ली थी। और उसने यश और सागर से कहा कि वो दोनों भी पर्मिशन ले ले।
अब आगे:
यश के पापा जैसे ही घर आए, “पापा, ये लो कैच पकड़ो” यश ने अपने पापा की तरफ बॉल फेंकते हुए कहा।
“पता नहीं कब बड़ा होगा तू, हमेशा अपनी मस्ती में ही रहता है।” उसके पापा ने उसे डांटते हुए कहा।
“डोंट वरी पापा, हो जाऊंगा बड़ा। अच्छा एक बात बताओ!”
“पूछ!”
“अगर मैं कुछ दिनों के लिए घर से चला जाऊं तो आपको मेरी कितनी याद आएगी?”
“मैं तो खुश होऊंगा, कम से कम कुछ टाइम शांति तो रहेगी घर में।”
“पापा, मैं आपको खुश करने के लिए कुछ भी कर सकता हूं। मैं चार दिन के लिए अपने दोस्तों के साथ घूमने जा रहा हूं।”
“पूरा दिन मस्ती मज़ाक करता रहता है, वो तो ठीक है, पर अब तो घूमने जाने का भी खुद ने ही डिसाइड कर लिया। कम से कम पर्मिशन तो मांग लेता।” उसके पापा ने उसे फिर से डांट लगाई।
“अच्छा तो दे दो पर्मिशन।”
यश बहुत ही मस्तीखोर और हंसमुख स्वभाव का लड़का है। वह पूरा दिन मस्ती में लगा रहता है। यश के पापा उसकी मस्तियों से तंग आ चुके हैं इसलिए वह हमेशा उस पर भड़कते रहते हैं। यश के पापा को पता है कि वह सीधे सीधे कोई भी काम नहीं कर सकता, इसलिए वे हमेशा अलर्ट रहते हैं और उनकी धर्मपत्नी जो कि अभी मायके गई हुई हैं हमेशा अपने बेटे को लाड करती हैं और डांट से बचाने का काम भी करती हैं।
“दे दूंगा पर्मिशन पर पहले बता कौन कौन जा रहे हो?”
“मैं, प्रीति, प्रिया, आरोही…”
“मस्ती बंद कर और ठीक से बता”
“मैं, आरव और सागर।”
“अच्छा ठीक है जाओ, पर जा कहां रहे हो?”
“अभी आपने पर्मिशन दे दी ना! अब प्लान करके बताएंगे।”
“क्या?? अभी तक डिसाइड भी नहीं किया कहां जाना है, बस सोच लिया की जाना है। अजीब लोग हो यार तुम भी।”
“है ना.. मैं भी अपने दोस्तों को हमेशा बोलता हूं, अपने कितने अजीब हैं, पर कोई मेरी सुनता ही नहीं।”
“जब प्लान तैयार हो बता देना, मैं सोने जा रहा हूं। मुझमें और हिम्मत नहीं है तुम्हारी बकवास सुनते रहने की।”
चलो अब चलते हैं सागर के घर। सागर हमेशा सीरियस सा रहता है, कभी मस्ती मजाक नहीं करता। पर वह आरव की तरह बिल्कुल नहीं है। आरव हर किसी से रेस्पेक्ट से बात करता है और सागर हर दिन किसी ना किसी के साथ लड़ाई करके बैठा होता है। कुल मिलाकर तीनों अपने आप में अलग ही व्यक्तित्व लेकर घूम रहे हैं। फिर भी ना जाने तीनों आपस में दोस्त कैसे बन गए।
सागर वैसे बाहर तो लड़ाई करने में बहुत चुस्त है, पर घर में अपने पापा से बहुत डरता है।
सागर इस वक्त अपने घर की एक दीवार पर टंगे हुए छोटे से मंदिर के सामने खड़ा है। “हे भगवान! प्लीज़, आज पापा से सामना करने की थोड़ी हिम्मत दो। आज पापा का मूड एकदम ठीक रखना और प्लीज़ मुझे पर्मिशन दिलवा देना, प्लीज़ भगवान।” वह मंदिर के सामने खड़ा बोल रहा है।
“बेटा, आज भगवान से बात करने की फुर्सत मिल गई?” सागर के पापा बोले।
“जी पापा” सागर बोला।
“नालायक! तुझे इतना भी नहीं पता पूजा के वक्त चप्पल नहीं पहनते।” उसके पापा चिल्लाए।
“क्या हुआ, क्यूं चिल्ला रहे हो?” किचन से सागर की मां की आवाज आई।
सागर के पापा अपनी श्रीमती जी के सामने भीगी बिल्ली बन जाते हैं। पर इसका मतलब से नहीं की सागर की मम्मी हमेशा सागर को बचाने का काम करती है। हां, पर इतना साफ है कि इनका सपोर्ट जिसको होता है, उसी की बात घर में सबको सुननी पड़ती है।
“देखो ना, कैसे चप्पल पहनकर मंदिर के आगे खड़ा है।” सागर के पापा बोले।
सागर की मम्मी दौड़ते हुए आती और बोली, “अरे! मेरा बेटा आज मंदिर के सामने। छोड़िए ना, गलती हो गई होगी इससे। कौनसा रोज रोज पूजा करता है।”
“थैंक यू मम्मी। एंड सॉरी, आगे से ऐसी गलती नहीं होगी कभी।” सागर बोला।
“अच्छा, ये तो तू हर गलती करते वक्त बोलता है, फिर भी वही गलती दोहराता है। कल चिंटू की मम्मी मेरे पास तेरी शिकायत लेकर आई थी, तूने फिर से उससे झगड़ा किया।” सागर की मम्मी बोली।
“क्या! फिर से तेरी शिकायत।” उसके पापा बोले।
“झगड़े की शुरुआत उसी ने की थी, फिर मैंने गुस्से में एक थप्पड़ लगा दिया।” वह बोला।
“चाहे कोई कुछ भी करे, तू किसी से झगड़ा नहीं करेगा, बोला था ना तुझे।” उसकी मम्मी बोली।
सागर का आज का दिन ही खराब था। उसे उसके मम्मी पापा ने खूब डांटा और वह डांट खाने के बाद छत पर आ गया। छत पर आते ही उसकी नजर हमेशा की तरह सबसे पहले पास वाली छत पर गई जहां रूही पहले से ही कपड़े सूखा रही है।
कहानी जारी रहेगी….
सागर को जिस बात का डर था वही हुआ। अब उसे पर्मिशन मिलेगी या नहीं। या कोई और “रहस्य” आएगा सामने। जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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