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सागर और यश आमने सामने होते हैं पर यश को इस बात का अंदाजा नहीं होता है। और ना ही उसे अंदाजा होता है उसके सामने आई मौत का। सागर इस बात का नोट करता है की भूकंप की वजह से जमीन में आ रही दरार तेजी से यश की तरफ बढ़ रही होती है।
अब आगे:
सागर जोर से चिल्लाता है, “यश!” और उसका हाथ पकड़कर उसे दूर खींच लेता है और उस जगह से कुछ दूर ले जाकर जमीन पर लेटा देता है और खुद भी उसका हाथ पकड़े जमीन पर लेट जाता है।
यह सब इतना तेजी से हुआ ना कि यश कुछ समझ नहीं आया। बस वह सागर के हाथ की कठपुतली बनकर जैसे वह हिलाए जा रहा था, हिल रहा था। ऊपर से उसे अपनी आंखों और कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं हो रहा था। उसे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि उसे सागर मिल जायेगा।
कुछ सेकंड में भूकंप खत्म हो गया और अब वक्त आ चुका था, दोनों की संवेदनाएं व्यक्त करने का। “मुझे लगा था, मैनें तुम्हें खो दिया है।” यश बोला। “मुझे भी बहुत घबराहट हो रही थी।” सागर बोला और फिर हल्का रुकते हुए बोला, “एक सेकंड, उस आवाज की बाकी सब बात अगर सच हुई तो इसका मतलब, नहीं नहीं ये मैं क्या बोल रहा हूं।”
“कौनसी आवाज, क्या बोल रहे हो, जरा खुलकर समझाओगे!” यश बोला। सागर ने उसको डिटेल में बताया। यह सब सुनकर यश को भी टेंशन होने लगी। “अगर ये सब सच है, और आरव अब नहीं रहा, तो हमें इस जंगल से चले जाना चाहिए। अब जो हो गया, उसको तो बदल नहीं सकते ना।” यश बोला।
“अगर झूठी हो वो आवाज तो?” सागर बोला। “अगर ऐसा हो सकता है, तो हमें तुरंत आरव को ढूंढना चाहिए। आखिर वी ऑल आर लाइक अ फैमिली।” यश बोला। “मुझे ऐसा लगता है कि आरव जिंदा है।” सागर बोला। यश ने जवाब दिया, “तो फिर सोच क्या रहे हो, ढूंढना शुरू करते हैं उसे।”
सागर और यश दोनों उस जगह चले जाने की सोचते हैं जहां सागर को आरव की अंगूठी मिली थी। अचानक यश को याद आता है कि यहां बहुत सी गाड़ियां हैं, जिनमें से कोई भी एक उनके काम आ सकती है। वह इस बारे में सागर को बताता है, और वे दोनों उसी तरफ चल देते हैं।
आरव ने रूही से यश के बारे में पूछा था। रूही ने जवाब दिया, “यश और सागर दोनों तुम्हें ही ढूंढ रहे हैं।” “अच्छा, तुम्हें पता है कि वो दोनों कहां हैं?” आरव पूछता है। रूही इस पर हां में सिर हिलाती है तो आरव कहता है, “मुझे जल्दी अपने दोस्तों के पास ले चलो।” “हां, जरूर ले चलूंगी। पर अभी सही वक्त नहीं है।” रूही जवाब देती है। रूही के जवाब में आरव सवाल पर सवाल किए जा रहा है। वह पूछता है, “क्यों, अब कोई मुहूर्त निकलवाना पड़ेगा उनसे मिलने के लिए?” “नहीं, ऐसी कोई बात नहीं है।” ऐसा कहते हुए रूही उसके सिर को छूते हुए पता नहीं क्या करती है, अचानक वह बेहोश हो जाता है।
उधर सागर और यश उस जगह पर पहुंचते हैं, जहां अभी कुछ देर पहले यश ने बहुत सी गाड़ियां देखी थी। पर ये क्या, यहां तो कोई गाड़ी नहीं दिखाई दे रही। थोड़ा आगे बढ़ने पर उन्हें एक कार दिखाई देती है। “शायद आरव की कार है।” सागर बोलता है। “नहीं, आरव की कार नहीं हो सकती, मैनें सब गाड़ियां अच्छे से चेक की थी।” यश जवाब में कहता है। वे दोनों बात करते करते कार के पास पहुंच जाते हैं और देखते हैं कि ये तो आरव की कार ही है। “पर मैनें तो अच्छे से देखा था, आरव की कार नहीं थी यहां।” यश बोलता है, सागर उसकी बात का जवाब देता है, “यहां कोई अदृश्य शक्ति है, जो यह सब कर रही है। पर एक बात अजीब है, अगर उस भूत ने हमें मारना होता, तो हम कब के मारे जा चुके होते।”
“मतलब तुम्हारा यह कहना है कि यह भूत हमसे कुछ और चाहता है। पर वह भूत तो रूही ही है।” यश बोलता है। “नहीं, यह रूही का काम नहीं है, हालांकि रूही भी यहीं कहीं मौजूद है, पर जहां तक मैनें फील किया है, रूही हमें परेशान करने की कोशिश बिल्कुल भी नहीं कर रही थी।” सागर बोलता है।
“हो सकता है, जो भी हो, हमें कैसे पता चलेगा आखिर यह भूत हमसे चाहता क्या है?” यश बोलता है।
कहानी जारी रहेगी…
उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आ रही होगी। रूही ने आरव को बेहोश क्यों किया? क्या रूही आरव को नुकसान पहुंचाना चाहती है? क्या सागर और यश आरव को ढूंढने में कामयाब हो पाएंगे? या फिर कोई और संकट का पहाड़ टूट पड़ेगा उन दोनों पर। बहुत से “रहस्य” पर से पर्दा उठना अभी बाकी है। तब तक अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए और इंतजार कीजिए अगले चैप्टर का।
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