“बेटा आज कॉलेज का पहला दिन है, उठ जाओ। पहले दिन ही लेट जाओगे क्या?” कहते हुए मम्मी ने अरुण को उठाया।
“क्या है मम्मी, कितनी बार बोला है मुझे इस कॉलेज में नहीं जाना।” अरुण बोला और तकिए में मुंह दबाकर फिर से सो गया।
इतने में पापा बोले “बेटा शहर का सबसे अच्छा कॉलेज है, चलो एक हफ्ता जा कर देख लो, अगर पसंद नहीं आए तो कहीं और एडमिशन ले लेना।”
अरे भाई, ये क्या चल रहा है, कौन है ये अरुण और इसको कॉलेज क्यों नहीं जाना। आखिर माजरा क्या है! चलो अरुण के बारे में जानते हैं-
अरुण की उम्र 18 साल है। अरुण का एक जिगरी दोस्त है, अमित।अरुण और अमित दोनों साथ में बड़े हुए हैं। अरुण पढ़ाई में आगे रहता है, अमित स्पोर्ट्स में। अरुण हमेशा क्लास में टॉप आता है और अमित को एग्जाम के टाइम हेल्प भी करता है, जिससे अमित भी टॉप 5 में आ ही जाता है। अमित भी अरुण की फिटनेस का पूरा ख्याल रखता है। दोनों शरारती भी हैं, पर दिल के अच्छे।
वापस कहानी पर आते हैं, अरुण और अमित ने स्कूल साथ में खत्म किए। अरुण के पापा उसके भविष्य को लेकर काफी गंभीर हैं तो उन्होंने अरुण का एडमिशन शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में करवाने की सोची, पर अरुण ने बोल दिया अमित आएगा तो ही मैं आऊंगा। अरुण तो काफी होशियार था, तो उसका एंट्रेंस एग्जाम आसानी से क्लियर हो गया, पर अमित के एडमिशन का कुछ अता पता नहीं था।
कॉलेज का पहला दिन.. राज (अरुण के पापा) के समझाने पर वह अनमने से ढंग से उठ कर नहाने चला गया।
“क्यूं जी, अरुण कॉलेज के लिए राजी हो जाएगा ना?” लक्ष्मी (अरुण की मम्मी) ने उसके पापा से पूछा।
“श्रीमती जी, आप फिक्र ना करो।” राज ने मस्ती भरे अंदाज में कहा।
लक्ष्मी उनको आंखे दिखाने लगी तो बात को संभालने के अंदाज में राज बोले, “अरे उसके लिए अच्छा सा सरप्राइज है, देखना वो जरूर मान जाएगा।”
“राज, जरा मुझे भी तो बताओ क्या सरप्राइज है”
“नहीं”
“बताओ ना”
“बिल्कुल भी नहीं”
इतने में अरुण आ गया।
“कौन किसको क्या बता रहा है?” अरुण बोला।
“कुछ नहीं अरुण, तुम नहाकर आ गए। चलो तैयार हो जाओ, फिर साथ में नाश्ता करते हैं।” लक्ष्मी बोली।
“मम्मी आप दोनों शुरू करो, मैं बस पांच मिनट में अमित को फोन करके आता हूं।” अरुण ने जवाब दिया।
अरुण जब हॉल में आया तो देखा राज और लक्ष्मी नाश्ता करने के लिए उसका इंतजार ही कर रहे थे।
“आपने नाश्ता शुरू नहीं किया, मैनें बोला था ना शुरू कर लेना।” अरुण बोला।
“साथ में खाने का मजा ही कुछ और है।” राज बोले।
“ये तो सही बोले तुम, राज।” लक्ष्मी ने साथ दिया।
“अगर आप दोनों ये सब बातें मुझे कॉलेज जाने के लिए कह रहें हैं तो प्लीज़ मुझे डिस्टर्ब मत करो।” अरुण चिढ़ते हुए बोला।
“अरे भई, अगर कॉलेज में मन ना लगे तो किसी दूसरे कॉलेज में एडमिशन ले लेना। एक बार जाकर तो देखो।” राज ने समझाया।
“ओके पापा!” अरुण बोला।
“क्या बात है अरुण बेटा, कुछ उदास लग रहे हो?” लक्ष्मी ने अरुण की उदासी देखते हुए कहा।
“हां मम्मी, आज अमित मेरा फोन नहीं उठा रहा। पहले तो कभी ऐसा नहीं हुआ।” अरुण ने जवाब दिया।
“कोई बात नहीं बेटा, कोई काम कर रहा होगा, तुम नाश्ता करो। और हां, तुम्हारे लिए एक सरप्राइज भी है।” राज बोले।
“क्या, सरप्राइज!” अरुण ने चौंकते हुए कहा।
“हां” राज ने जवाब दिया।
“पापा बताओ ना क्या सरप्राइज है?” अरुण ने पूछा।
“नाश्ता करो और कॉलेज जाओ, सरप्राइज अपने आप पता लग जाएगा” राज ने बोला।
“पापा बताने वाले तो हैं नहीं कि क्या सरप्राइज है” यह सोचते हुए अरुण चुपचाप नाश्ता करने लगा।
नाश्ता करने के थोड़ी देर बाद अरुण कॉलेज के लिए निकलने लगा तभी राज ने पूछा, “तैयार हो गए बेटा?”
“जी पापा” अरुण बोला।
“ध्यान से जाना।” राज बोले।
“ओके पापा, बाय पापा, बाय मम्मी!” कहता हुआ अरुण घर से बाहर निकला।
बाहर निकलने पर अरुण ने जो देखा उस पर उसे विश्वास ही नहीं हुआ। बाहर अरुण की फेवरेट बाइक खड़ी थी उसमें चाबी लगी थी और उस पर एक बड़ा सा कागज था जिस पर लिखा था “This is for you, ARUN”।
अरुण भागकर घर में आया और बोला “पापा मुझे आपका सरप्राइज बहुत अच्छा लगा, लव यू पापा” और यह कहते कहते बाइक स्टार्ट करके चला गया।
“अच्छा तो यह था आपका सरप्राइज” लक्ष्मी बोली।
राज हैरानी से उस जाती हुई बाइक को देख रहे थे।
“बोलिए ना” जवाब ना मिलने पर लक्ष्मी बोली।
“यह मेरा सरप्राइज नहीं था, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। मैंने तो कोई बाइक भी नहीं खरीदी थी।” राज ने हैरानी से बोला।
“तो फिर वो बाइक वहां किसने रखी?” लक्ष्मी बोली।
“मुझे नहीं पता।” कहते हुए राज तनाव कम करने के लिए इधर उधर टहलने लगे।
राज का सरप्राइज क्या था? वो बाइक किसने रखी? क्या अरुण इस कॉलेज में जाएगा? इन सभी सवालों के जवाब मिलेंगे आपको अगले पार्ट में।
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