अब तक आपने पढ़ा:
अरुण बैग रखकर जा चुका था। अब्दुल्लाह के आदमियों ने सीट के नीचे से बैग को उठाया।
अब आगे:
जब अब्दुल्लाह के आदमियों ने बैग को उठाया तो एक आदमी दूसरे से बोला, “बॉम्ब इतना हल्का क्यूं लग रहा है?”
“पता नहीं खोलकर देखते हैं” दूसरा बोला और बैग खोलने लगा। बैग खुलते ही वह फोन पर बोला, “बॉस आपने याद से बॉम्ब ही भेजा था ना?”
अब्दुल्लाह बोला, “हां”
वह आदमी बोला, “पर यहां तो कोई बॉम्ब नहीं है।”
इतने में उन दोनों को चारों तरफ से पुलिस ने घेर लिया। वह आदमी फोन पर बोला, “बॉस आप अपनी लोकेशन बदलो, हमें पुलिस ने घेर लिया है।”
“कोई फायदा नहीं” एक ऑफिसर उसके हाथ से फोन लेते हुए बोला।
इतने में उधर पुलिस कमिश्नर ने काफी फोर्स के साथ अब्दुल्लाह के अड्डे पर धावा बोल दिया और हर एक आदमी को अरेस्ट कर लिया। सिमरन, त्रिपाठी, डॉन, ड्रग्स सप्लायर और जो भी इस सब में जुड़ा हुआ था सबको पुलिस ने पकड़ लिया और ले जाने के लिए वैन में बिठाने लगे। पुलिस के साथ अरुण और अमित भी आए हुए थे। सिमरन ने पुलिस कमिश्नर से कहा, “सर प्लीज दो मिनट अरुण से बात कर लेने दो।”
कमिश्नर – ओके, कर ले।
सिमरन – अरुण, तुमने ये सब कैसे किया।
अरुण – मुझे तुम्हारे बारे में बहुत पहले पता लग गया था। वो तो पूरी गैंग का पर्दाफाश करना था इसलिए मैं इतने दिन तुम्हारे साथ बिताए।
सिमरन – तुम्हें कैसे पता चला? और एग्जैक्टली कब?
अरुण – तुम्हें पूरी कहानी बताता हूं। तुमको ये तो पता ही है कि अमित को तुम पर शक था और उसे बाद में यकीन भी हो गया था। जब तुम लोगों ने मुझसे मर्डर करवाया तब तुमने वीडियो बनाकर सिर्फ मेरे हाथों मर्डर होते हुए का रख लिया और बाकी हटा दिया। उसी सीन का अमित ने भी वीडियो बना लिया जिसमें वो बंदूक उस आदमी के हाथ में थी, और बाद में उसको पता चला कि उस सीन को प्रोफेसर ने भी शूट किया है, जो कि उस वीडियो में आ चुका था। उसने ये चीज शाम को मुझे दिखाई। तभी हमने मामा जी से इस बारे में बात की। मामा जी ने बोला अगर केस होगा तो मैं सम्भाल लूंगा तुम कोई फिक्र मत करना। अब उसके बाद ड्रग्स का नशा भी उतारना जरूरी था, इसलिए मैं और अमित दूसरे दिन कॉलेज आने की बजाय हॉस्पिटल चले गए। पापा को भी सब बता दिया था इसलिए उन्होंने मेरे बीमार होने और नींद में होने का बहाना बना दिया। उसके बाद अरुण तुम पर और प्रोफेसर पर नजर बनाए रखता था इसलिए वह कॉलेज के अंदर दिखाई नहीं देता था। जब हम दिल्ली आए तो अमित का तुमसे मिलना भी हमारे प्लान का हिस्सा था, ताकि तुम हड़बड़ाहट में कोई गलती करो। और वैसा ही हुआ, अब्दुल्लाह मेरा फोन मुझसे लेना भूल गया और अमित तक मेरी लोकेशन पहुंच गई। अमित ने मेरे मामा जी को भी सब इनफॉर्म कर दिया था। मैं आया यहां सिर्फ तुम्हारा प्लान जानने था, पर तुम्हारी सारी डिटेल्स के बिना तुम्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था।
अब्दुल्लाह – अच्छा पर तुमने बैग कैसे बदला?
अमित – क्या अंकल, तुम भी ना! वो जो टैक्सी पंचर हुई थी ना, मैंने सड़क पर कीलें फेंक दी थी। अरुण ने मुझे बैग की फोटो भेज दी थी और मैनें टैक्सी में बिल्कुल वैसा बैग अरुण को भेज दिया।
अरुण – सिमरन बहुत अच्छा गेम खेला तुमने, लाइफ पार्टनर के नाम पर ‘crime partner’ बनाने चली थी।
उसके बाद इन सबको पुलिस पकड़कर ले गई। अरुण और अमित को बहादुरी का अवॉर्ड मिला। अमित ने मन लगाकर पढ़ाई की और बहुत अच्छी कंपनी में जॉब करने लग गया और अमित ने तो अपनी खुद की डिटेक्टिव एजेंसी खोल ली।
दोस्तों, उम्मीद है आप सबको मेरी ये कहानी पसन्द आई होगी।