अब तक आपने पढ़ा:
घनश्याम ने अपने परिवार को देखकर सुसाइड का विचार मन से निकाल दिया। रोहन से मिलकर आने के बाद उसने अपने फोन पर देखा तो किसी अनजान नंबर से फोन आए हुए थे।
अब आगे:
घनश्याम ने उस नंबर पर दोबारा फोन किया जिस नंबर से पहले फोन आया हुआ था।
“हैलो” फोन से आवाज आई।
“जी कहिए।” घनश्याम बोला।
“आपको कोई कीमती सामान मिला था?” वह आदमी बोला।
“जी” घनश्याम ने जवाब दिया।
“वह मेरा है।” वह आदमी बोला।
घनश्याम मन ही मन बड़ा खुश हुआ कि उसे उन रुपयों का असली मालिक मिल गया।
“क्या है वो सामान?” घनश्याम ने पूछा।
“कुछ रुपए थे।” उस आदमी ने जवाब दिया पर इस बार उसकी आवाज में वो आत्मविश्वास नहीं लग रहा था। घनश्याम को थोड़ा सा शक हुआ। इसलिए घनश्याम बोला, “पर मुझे तो सोने की अंगूठी मिली थी।”
“अरे वो भी गिर गई, मुझे तो पता ही नहीं चला। आप कहां पर देंगे मुझे वापस?” वह आदमी बोला।
“फोन रख वरना अभी पुलिस को फोन लगाता हूं।” घनश्याम फटकार लगाते हुए बोला।
इतना सुनते ही उसने डर के मारे फोन रख दिया।
घनश्याम सोचने लगा कि ऐसे तो कई फ्रॉड कॉल आ सकते हैं पर उसके लिए अच्छी बात यह थी कि उसे वह लिफाफा सुनसान जगह पर मिला था वरना अब तक तो वह कॉल्स से परेशान हो चुका होता।
ऐसे ही उसके पास दो दिन में तीन – चार फोन और आए, वो सब भी लालच में आकर किसी ने किए थे। जैसे जैसे समय निकलता जा रहा था घनश्याम को उसके असली मालिक का पता चलने की उम्मीद कम होती नजर आ रही थी।
रुपए मिलने की बात को तीन दिन हो चुके थे। घनश्याम ने अब तक रोहन से इस बारे में कोई बात नहीं की थी। पर अब घनश्याम ने सोचा कि उसे रोहन से इस बारे में कुछ बात कर लेनी चाहिए। हो सकता है रोहन कोई आइडिया दे दे जिस से वह उन रुपयों को उसके मालिक तक पहुंचा सके।
इतना सोचते हुए वह रोहन के घर चला गया। रोहन बच्चों को ट्यूशन पढ़ा रहा था। घनश्याम यह देखकर वापस जाने लगा तो रोहन ने उसको आवाज लगाई, “घनश्याम 10 मिनट बाहर इंतजार करो, अभी क्लास खत्म होने ही वाली है।”
“ठीक है!” कहकर घनश्याम बाहर सोफे पर बैठ गया।
रोहन बच्चों को बेरोजगारी के बारे में पढ़ा रहा था। उसके शब्दों ने घनश्याम के ध्यान को आकर्षित कर लिया। उसके यह शब्द कुछ इस तरह थे!-
“बच्चों आज लास्ट में हम पढ़ेंगे स्वरोजगार के बारे में। बेरोजगारी को दूर करने का यह एक अच्छा इलाज है। स्वरोजगार यानी स्व + रोजगार। स्व मतलब खुद, आप समझ गए होंगे कि स्वरोजगार का मतलब होता है व्यक्ति खुद अपने लिए रोजगार के अवसर उत्पन्न करता है। उदाहरण के लिए कोई बिजनेसमैन, उसे कोई रोजगार नहीं देता, वह खुद अपने लिए रोजगार का अवसर उत्पन्न करता है और सिर्फ खुद को ही नहीं बल्कि खुद के अलावा और भी कई लोगों को रोजगार देता है। इसलिए केवल नौकरी ढूंढना ही बेरोजगारी को खत्म करने का एकमात्र ऑप्शन नहीं है। चलो अब इसके बारे में आगे पढ़ेंगे कल, और हां जो आज पढ़ाया वो सब याद करके आना।”
सब बच्चे दौड़ते हुए अपने घरों की तरफ जा रहे थे। घनश्याम उनको एकटक देख रहा था।
“वो सब चले गए।” रोहन बोला।
“हां” घनश्याम हैरानी से बोला।
रोहन इस पर हंसने लगा।
“अच्छा मैं चलता हूं।” घनश्याम बोला।
“अरे! क्या हुआ? मैं तो मजाक कर रहा था।” रोहन बोला।
“अरे वो बात नहीं है, बस वैसे ही कुछ देर के लिए आया था। काफी देर हो गई, घर पर सब इंतजार कर रहे होंगे।” घनश्याम बोला।
“अरे कुछ नहीं होता। मैं ख़ुद के लिए चाय बना रहा हूं। तुम भी पीकर ही जाना।” रोहन बोला।
“अच्छा ठीक है।” घनश्याम बोला।
रोहन चाय बनाने लग गया और घनश्याम स्वरोजगार के बारे में सोच रहा था। हालांकि उसने पहले भी यह टॉपिक पढ़ा था पर आज उसे यह कुछ अपना सा लग रहा था। क्योंकि आज वह खुद बेरोजगारी के दौर से गुजर रहा था। अब तो उसके भी दिमाग में आने लगा था कि जरूर उसे खुद का कोई बिज़नेस शुरू कर लेना चाहिए क्योंकि अगर नौकरी ना मिली तो घर में खाने के भी लाले पड़ जाएंगे।
वह यह सब सोच ही रहा था कि इतने में रोहन चाय लेकर आ गया।
“अच्छा तो कैसे आना हुआ?” रोहन ने पूछा।
“बताया ना, वैसे ही।” घनश्याम ने जवाब दिया।
“अच्छा, तो कहीं घूमने चलें? रोहन ने पूछा।
“नहीं यार, फिर कभी पक्का चलेंगे।” घनश्याम ने जवाब दिया।
घनश्याम ने चाय खत्म की और अपने घर चला गया।
घर आने पर भी उसके दिमाग में वही सब चल रहा था पर वह पूरी तरह से कन्फ्यूज्ड था कि आखिर कोई बिज़नेस भी करे तो क्या करे।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या लगता है घनश्याम कुछ कर पाएगा? क्या उसको उन रुपयों का असली मालिक मिलेगा? आपके सवालों के जवाब जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
अगर आपने मेरी पिछली कहानी “Crime Partner” (Hindi) अब तक नहीं पढ़ी तो जल्दी जाकर पढ़िए CrazyWordSmith.com पर।
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