अब तक आपने पढ़ा:
घनश्याम ने गैराज को दुकान में बदल लिया। उसने दुकान का मुहूर्त कर लिया और उसका धंधा शरुआती दिनों में मंदा चल रहा था और वह रोहन से इस बारे में बात कर रहा था।
अब आगे:
“हां सो तो है।” घनश्याम बोला।
“मुझे उम्मीद है तुम इसका भी कोई हल ढूंढ ही लोगे। कुछ ऐसा करने की कोशिश करो कि ग्राहक आकर्षित हो और वह फिर से सामान लेने तुम्हारे पास ही आए।” रोहन बोला।
“हां, कोशिश करता हूं।” घनश्याम बोला।
घनश्याम ने पूरा दिन इसी के बारे में सोचा और आखिर उसके दिमाग में एक आइडिया आया। वह शाम को बाजार गया और दो तीन अलग अलग तरह को टॉफियों के डब्बे ले आया। अब जो भी उस से खरीदी करके जाता उसे वह मुफ्त में टॉफी देता। इस से लोग उसकी दुकान की तरफ आकर्षित होने लगे, ख़ास कर बच्चे।
इस तरह उसकी दुकान चलने लगी और उसकी आमदनी भी बढ़ने लगी, सो उसने अपनी दुकान में सामान खूब भर लिया था। करीब दस बारह महीनों में ही वह शहर के टॉप सेलर्स में आने लग गया था क्यूंकि उसके पास एक से बढ़कर एक इन्नोवेटिव आइडिया होते थे।
उसने अपनी जिंदगी में पीछे झांक कर देखा तो केवल एक रोहन ही था जिसने उसके टैलेंट को समझा था, वह खुद भी अपने टैलेंट से मुंह मोड़ता रहता था। रोहन उसे हमेशा से ही बिज़नेस करने की सलाह देता रहता था।
इसी तरह चलते चलते घनश्याम के मन में एक विचार आया कि अगर वह शहर के पास कहीं कागज बनाने लगे तो नोटबुक्स काफी सस्ती पड़ेंगी। विचार आने की देर थी कि उसने तो काम शुरू कर दिया। उसने शहर के बाहरी हिस्से में एक कागज की फैक्टरी डाल ली और वास्तव में वह पूरे शहर को कम दाम में कागज उपलब्ध करवाने लगा।
आज तक उसकी कमाई एक करोड़ रुपए हो चुकी थी। जिसमें से बीस लाख रुपए उसने अलग रख रखे थे क्यूंकि उसने निश्चय किया था कि जिस व्यक्ति के रुपए वह उपयोग में ले रहा है उसे अपनी कमाई में से हिस्सा देगा।
घनश्याम बैठा बैठा अपने मोबाइल में कुछ कर रहा था कि गलती से उस से मैप्स ऐप खुल गई। उसने उसमें देखा कि उसकी लोकेशन रोहन को शेयर की हुई थी। वह तुरन्त रोहन के पास गया और उससे पूछा, “तुमने मेरे मोबाइल से लोकेशन शेयर की थी?”
“हां” रोहन ने जवाब दिया।
“कब और क्यों?” घनश्याम ने पूछा।
“वैसे ही एक बार फीचर चैक करने के लिए की थी।” रोहन बोला।
“तुम मुझसे झूठ नहीं बोल सकते, आखिर इतना टाइम हो गया साथ रहते। तुम मेरा फोन कॉल करने के लिए भी पूछ कर लेते हो।” घनश्याम बोला।
“यही सच है जो मैनें तुम्हें बताया।” रोहन बोला।
“अच्छा, फिर मेरी कसम खा कर बोलो।” घनश्याम बोला।
रोहन इस पर चुप रहा तो घनश्याम बोला, “अब बता भी दो ना क्या बात है।”
“इतना ही मन कर रहा है सच जानने का तो सुनो। तुम्हें याद है एक बार तुमने मेरे सामने सुसाइड करने की बात की थी?” रोहन बोला।
“हां याद है।” घनश्याम बोला।
“तब मैनें तुम्हारी सेफ्टी के लिए मौका देखकर तुम्हारे फोन से लोकेशन शेयर कर दी और इस बारे में तुम्हें बताया नहीं। फिर एक दिन तुम जब सचमुच सुसाइड करने निकल गए थे तब प्रीति ने मुझे फोन करके बताया कि तुम घर पर नहीं हो और बिना बताए कहीं निकल गए हो। तो मैनें तुम्हारी लोकेशन देखकर तुम्हारे रस्ते में पचास हजार रूपए का पैकेट रख दिया। मेरे लिए अच्छी खबर थी कि तुम पैदल जा रहे थे। यह सुनिश्चित होने के बाद की पैकेट तुमने ही उठाया है, मैं वहां से निकल लिया।”
घनश्याम इस बात को सुनकर अवाक रह गया। उसके मन में रोहन का स्थान और ऊंचा हो गया था। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे। वह केवल इतना बोल पाया, “तुमने कोयले को हीरा बना दिया। बहुत महान हो तुम।”
घनश्याम दौड़ता हुआ गया और उसने रोहन को लाकर एक बैग थमा दिया जिसमें बीस लाख और पचास हजार रूपए थे।
“तुम दोस्ती की कीमत दे रहे हो?” रोहन बोला।
“नहीं मैं इतना अमीर कहां। ये तो मैं वो वादा पूरा कर रहा हूं जो मैनें अपने आप से किया था।” घनश्याम बोला।
दोस्तों, कहानी को इन्हीं शब्दों के साथ मैं विराम देना चाहूंगा कि जिंदगी में कम से कम एक ऐसा दोस्त जरूर बनाओ जो आपके बुरे से बुरे वक्त में भी आपके साथ रहे।
उम्मीद है आप सबको ये कहानी पसंद आई होगी। कॉमेंट करके जरूर बताएं और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें।
मैं जल्द ही मिलूंगा आपसे, एक नई कहानी के साथ।