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बॉस ने घनश्याम को नौकरी से निकाल दिया था और वह काफी गुमसुम सा हो गया था।
अब आगे:
जो हुआ, उसके बारे में सोचता सोचता घनश्याम घर पहुंचा। जैसे ही घर में घुसने लगा, उसके कदम रुक गए। उसके मन में ख्याल आया कि वह सभी के सवालों के जवाब कैसे दे पाएगा। उसने घर जाने का विचार बदल लिया और रोहन के घर चला गया।
घनश्याम को देखते ही रोहन बोला, “अरे घनश्याम आज इस वक्त, क्या बात, ऑफिस नहीं गए?”
घनश्याम ने कोई जवाब नहीं दिया। परिस्थिति की गंभीरता को मापते हुए रोहन बोला, “कुछ टेंशन है क्या? जो भी बात है खुल कर बोलो।”
“मुझे बॉस ने नौकरी से निकाल दिया।” घनश्याम बोला।
रोहन भलीभांति समझ सकता था कि घनश्याम के लिए नौकरी चले जाने का गम कितना बड़ा है। पर वह चाहता था कि घनश्याम अपने गम को खुल कर बयान करे ताकि उसका मन थोड़ा हलका हो जाए।
“कब और कैसे?” रोहन ने पूछा।
“अभी कुछ देर पहले, ऑफिस जाने में जरा सी देर क्या हो गई, उस खड़ूस ने मुझे नौकरी से निकाल दिया। पर बात सिर्फ इतनी सी नहीं थी, मुझे लगता है वो उस दिन की बहस को लेकर कुछ ज्यादा ही सीरियस था और तब से मुझे निकालने के बारे में सोच रहा था।” घनश्याम बोला।
“फिर तो एक हिसाब से अच्छा ही हुआ।” रोहन बोला।
“मेरे पास अब कमाने के लिए कुछ भी नहीं है, इसमें अच्छा क्या हुआ?” घनश्याम बोला।
“अरे, तुम सिर्फ इस नजरिए से देख रहे हो, थोड़ा नजरिया बदलो, सोचो, तुम्हारा बॉस तुम्हें निकालने की फिराक में था, तो उसको कोई ना कोई छोटा-बड़ा बहाना मिल ही जाना था। और तब वह तुमको निकाल देता। और याद करो अभी कुछ दिन पहले ही तुम मुझे कह रहे थे कि इतनी कम सैलरी में घर का खर्च नहीं चल पा रहा। तो अब तुम आजाद हो कोई दूसरा काम करने के लिए। इस से अच्छा और क्या होगा!” रोहन अच्छी तरह समझाते हुए बोला।
घनश्याम का मन अब कुछ हलका हुआ, वह नए जोश से भर गया। पर जॉब ना मिलने का डर तो उसके मन में पहले भी था और अब भी है।
“दोस्त, थैंक यू वेरी मच!” घनश्याम बोला।
“अरे ये किसलिए।” रोहन बोला।
“तुमने इतना अच्छे से समझाया और मुझे थोड़ी हिम्मत दी, तो एक छोटा सा थैंक्स तो बनता है ना।” घनश्याम बोला।
“बिल्कुल नहीं।” रोहन बोला।
“अच्छा अब मैं चलता हूं।” घनश्याम बोला।
“कहां जाओगे?” रोहन ने पूछा।
“देखता हूं, घर तो बिल्कुल नहीं। कुछ काम ढूंढता हूं।” घनश्याम ने जवाब दिया।
“अच्छा ठीक है, मेरी भी ट्यूशन का टाइम हो रहा है। शाम को मिलते हैं।” रोहन बोला।
घनश्याम वहां से निकल गया। उसे नहीं पता था कि वह अब क्या करेगा, बस वह यूं ही इधर उधर चले जा रहा था। चलते चलते उसने कुछ दुकानों पर पता किया अगर किसी को काम के लिए व्यक्ति की जरूरत हो, पर सबने यह कहकर टाल दिया कि वह अपना फोन नंबर छोड़ जाए, अगर जरूरत होगी तो कॉन्टैक्ट कर लेंगे।
घनश्याम जहां भी जा रहा था, उसके हाथ केवल निराशा ही लग रही थी। घनश्याम आखिर परेशान होकर घर आ गया। अभी तो दिन भी नहीं ढला था। आज इतनी जल्दी घनश्याम को घर देखकर प्रीति मजाक में बोली, “क्या हुआ भैया, नौकरी से निकाल दिया क्या?”
प्रीति का हर एक शब्द घनश्याम को तीर की तरह चुभ रहा था। उसके मन में सुबह का वह वाकिया एकदम तरोताजा हो गया जब बॉस उसको नौकरी से निकाल रहा था। घनश्याम बिल्कुल भी अच्छा महसूस नहीं कर रहा था और ना ही प्रीति को कोई जवाब देने की हालत में था।
घनश्याम का चेहरा उसकी हालत को अच्छी तरह से बयां कर रहा था। प्रीति भी समझ गई कि जरूर कुछ तो गम्भीर बात है। वो बात संभालते हुए बोली, “भैया, क्या हुआ, आज जल्दी घर क्यूं आ गए?”
घनश्याम ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया और अपने कमरे की तरफ जाने लगा। इस पर प्रीति उसको बोली, “कुछ तो बोलो।”
“नौकरी से निकाल दिया।” घनश्याम बोला।
“अरे सॉरी भैया, वो तो मैं मजाक में बोली थी।” प्रीति बोली।
“पर ये सच है।” घनश्याम बोला।
“क्या भैया, क्यूं मजाक कर रहे हो।” प्रीति बोली।
“सच बोल रहा हूं मैं, यकीन करना है तो कर, वरना पूछ मत।” घनश्याम बोला और अपने कमरे में चला गया।
प्रीति को भी महसूस हुआ कि वह सच बोल रहा था, वरना पहले तो कभी इतनी जल्दी घर नहीं आया और उदासी का कारण भी यही हो सकता है। प्रीति घनश्याम को समझाने के लिए उसके कमरे में चली गई।
“कोई बात नहीं भैया, कोई और जॉब मिल जाएगी, टेंशन मत लो।” प्रीति बोली।
“हां, कोशिश कर रहा हूं, जल्दी ही कोई जॉब मिल जाए।” घनश्याम बोला।
“अच्छा आप हाथ मुंह धो लो, मैं खाना बना देती हूं। खाना खा लो, और अभी के लिए कुछ भी मत सोचो और सिर्फ आराम करो।” प्रीति बोली।
“ओके” कहकर घनश्याम हाथ मुंह धोने लग गया।
कहानी जारी रहेगी…
घनश्याम को निराशा पर निराशा मिलती जा रही है। क्या होगा घनश्याम की ‘बेरोजगारी’ का। जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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