सुबह सुबह कशिश के कमरे दरवाजा का खटका ।
कशिश गहरी नींद में थी दरवाजे की खटखटा से कशिश की आंख खुली। रूम का दरवाजा खोला तो बाहर ऋषि खड़ा था जिसके हाथ में कॉफी थी ।
कशिश से गुड मॉर्निंग बोला और अंदर आने को कहा कशिश नींदों में प्यार भरी नजरों से ऋषि को देख रही थी पहली बार ऋषि ने कशिश को इतना सुकून से खुद की तरफ देखते हुए पाया ऋषि ने कहा क्या हुआ कुछ नया देख लिया क्या
कशिश – नहीं बस सोच रही हूं तुम कितने अलग होना सबसे एकदम शांत सबकी मदद करने वाले अपनी इतनी अच्छी दोस्ती ना होते हुए भी तो मेरे साथ यहां चले आए कैसे हो ना तुम।
ऋषि – मैं तो ऐसा ही हूं अब सोच लो हो सकता तुम्हें कोई नुकसान पहुंचा दूं
तुमने अभी तक मुझे अपने दोस्त जो नहीं बनाया
कशिश – दोस्त तो है ना हम तभी तुम मैंने तुमसे मदद मांगी और मुझे तुम पर भरोसा है मुझे कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा
ऋषि – अच्छा तो तुम्हें मुझ पर भरोसा है और तुम मुझे अपने दोस्त भी समझती हो थैंक यू
कशिश – यह एक कॉफी मेरे लिए ना
ऋषि – हां पूछ क्यों रही हो तुम्हारे लिए ही है
कशिश – तो दो ना ।
दोनों मुस्कुराते हुए कॉफी पीने लगते है
कशिश इसी से पूछती है आज कहां जाना है ऋषि मुस्कुराते हुए जवाब देते हैं – एक और खुबसुरत जगह
कशिश ही सुनकर खुश हो जाती है और कहती है जब भी पापा और मम्मा ऑस्ट्रेलिया आते थे मेरा बहुत मन करता था कि मैं भी उनके साथ जाऊं और भाई यहां आए थे तब भी मेरा मन नहीं लगता था पर कोई मुझे साथ लाते ही नहीं था पहली बार इंडिया से कहीं बाहर आइ हूं
मम्मी और मैंने ऑस्ट्रेलिया में शॉपिंग के खूब सारे प्लान बनाए थे ।
बाते करते करते कशिश थोड़ी मायूस हो गई ।
ऋषि उसे खुश करने के लिए बोला
जल्दी तैयार हो जाओ फिर अपने को निकलना भी है ।
कशिश – हां ओके
ऋषि रूम से चला जाता है और कशिश भी तैयार होने चली जाती ह ।
थोड़ी देर बाद कशिश का फोन रिंग होता है।
अर्जुन – कशिश एक गुड न्यूज़ है
तू सुनकर खुशी से पागल हो जाएगी ।
कशिश – सच भाई बताओ जल्दी
अर्जुन – पापा को होश आ गया। वो आज इतने दिनों बाद बात की उन्होंने बोले तेरा पूछा
कशिश – सच भाई पापा ठीक हो गए ।
कहां है वह बात करवाओ मेरी कशिश ने अर्जुन से कहा
अर्जुन ने कहा पापा भी सो रहे हैं डॉक्टर ने आराम करने को कहा है ताकि जल्दी से रिकवरी हो सके और पापा एकदम ठीक हो सकता तुझे बहुत मिस किया तूम जल्दी से आ जाओ
कशिश – भाई 2 दिनों में वहा होऊंगी मैं ।
अर्जुन फोन कट कर देता है
कशिश – फोन बेड पर रखकर ऋषि के पास जाती ह ओर उसको गले लगा लेती है ।और सब बताती है
ऋषि हैरान हो जाता है की कशिश ने उसे गले लगाया और कशिश भी थोड़ा अजीब महसूस करती है।
ऋषि – बार खुश होकर देखो अब तो पार्टी बनती है
कशिश – हां चलो
और ऋषि ओर कशिश होटल से बाहर चले जाते है।ऋषि ओर कशिश दोनो एक दूसरे के एहसास को अपने अंदर समेटे हुए एक नया पन्ना अपनी जिंदगी में जोड़ रहे थे।