वेटर के ऋषि ने दो कप कॉफी कप मंगवा ली
कशिश आज मुझसे क्या हेल्प चाहिए थी -किसी ने प्रश्ननात्मक अंदाज में बोला
हां चाहिए तो थी पर कॉफी आ जाने दो उसके बाद तुम्हारा दिमाग कुछ ज्यादा ही काम करेगा-कशिश ने हंसते-हंसते ऋषि से कहा
लो तुम्हारी कॉफी सी आ गई अब तो सस्पेंस से पर्दा उठा दो ऋषि अब थोड़ा उत्सुकता से कशिश से पूछ रहा था
ऋषि मुझे तुम्हारी एक हेल्प चाहिए थी कि अर्जुन के मन में जो डर है जब तक कोई डर नहीं मरेगा तब तक मैं अपनी मां के कातिलों को नहीं पहचान पाऊंगी और सजा दिलवा पाऊगी मुझे उन दरिंदों को ऐसी सजा दिलानी है कि हर कोई याद करें कि धोखे का अंजाम क्या होता है
धोखा!किसने दिया-ऋषि ने कशिश से पूछा तो कशिश बोली थोड़ी दिन पहले ही पुलिस इंस्पेक्टर का फोन आया था वह बोल रहे थे कि मां के हत्यारे हमारे करीबी ही है और एक अर्जुन ही है है जो सारी करीबियों को जानता है पर अर्जुन के मन में डर रहेगा तो वह ऑस्ट्रेलिया नहीं जा पाएगा और मेरा मां से किया वादा में पूरा नहीं कर पाऊंगी इतना कहते ही कशिश रोने लगी ऋषि ने कशिश को सांत्वना दी और भरोसा दिलाया कि वह उसके साथ हर पल हर लम्हे में है और शाम तक सोच कर उसे आईडिया बताएगा कि उसे किस तरह से अर्जुन के मन के डर को मिटाना है
कशिश तुम्हारी काफी ठंडी हो रही है इसे खत्म करो मैं तुमसे वादा करता हूं की मैं तुम्हारा मां से किया वादा पूरा करने में मदद करूंगा
तो फिर खत्म करते ही ऋषि और कशिश घर की ओर निकल गए
अब किसी से शाम का इंतजार करने लगी उसे ऋषि के साथ देने से काफी हिम्मत मिल चुकी थी
शाम को कशिश बस अपने फोन में ही आंखें गड़ाए बैठी थी पर रात के 10:00 बजे तक ऋषि का ना फोन आया ना ही मैसेज तो कशिश ने ऋषि को फोन लगाया पर ऋषि का फोन भी स्विच ऑफ आ रहा था कशिश को अब चिंता हो रही थी पर वह कर भी क्या कर सकती थी कशिश इसी चिंता में डूबी नींद के गहरे सागर में चली गई
कशिश तुम्हारे फोन सुबह से बज रहा है यह कहते हुए अर्जुन ने कशिश को उठाया
कशिश ने फोन में देखा तो ऋषि के 50 से ज्यादा फोन आ चुके थे पर कशिश ऋषि से गुस्से में थी उसने ऋषि को झल्लाते हुए कहा- आ गई याद हर पल हर वक्त साथ रहने के वादे करने वाले जनाब कल रात से ही फोन ना तो उठा रहे हैं और ना ही बात कर रहे हैं मैं तुमसे बहुत नाराज हूं ऋषि
कशिश मेरी बात सुनो मैं कल रात इमरजेंसी में पेशेंट का ऑपरेशन कर रहा था मुझे रात के 1:00 बज गए थे एम सॉरी बाकी मैं तुम्हें मिल कर बताता हूं क्या हुआ क्या तुम 12:30 बजे मेरी हॉस्पिटल की कैंटीन में आ सकती हो प्लीज-ऋषि ने माफीनामा अंदाज में कहा
कशिश में ओके कहा
कशिश भी समझ रही थी कि ऋषि प्रॉब्लम में था इसलिए सारा गुस्सा छोड़ तैयार होने लगी ऋषि से मिलने के लिए क्योंकि अब ऋषि ही वह रास्ता था जिससे वे अपने मां से किए वादे को पूरा कर सकती थी….
कशिश भी उत्सुक थी कि ऋषि क्या आईडिया देगा
और इसी लिए कशिश 11:00 बजे ही घर से निकल पड़े क्योंकि वह 1 मिनट भी रह नहीं सकती थी
क्योंकि अपनी मां से किया वादा पूरा करने का यह पहला कदम था साथ ही कशिश यह भी सोच रही थी कि क्या ऋषि का आईडिया काम करेगा..
और इसका जवाब भी ऋषि के पास ही था