पूरा दिन निकल चुका था । कशिश सो चुकी थी शाम को शोर से उसको जाग आई ।वो नीचे आई और देखा अर्जुन और रिचा शादी कर चुके थे । रिचा दुल्हन के जोड़े में थी और बहुखूबसूरत लग रही थी और अर्जुन ने भी रिचा की ड्रेस से मैच का शेरवानी पहना था । दोनो खुश थे पर जैसे ही कशिश ने उनको बोला की ये शादी
Mr अरोड़ा ने बोला की पंडित जी ने कहा था । ओर बहाने बना दिए । कशिश ने अपने पापा ओर भाई की नजरो में जूठ के समंदर देख लिए थे । कशिश किसी से बिना कहे अपने कमरे में जाकर रोने लगी ।
उसका सब से भरोसा उठ गया था । उसको अब न या परिवार अपना लगा न वो राजवंश फैमिली ।
अपने कमरे में कशिश अपने आपको घुटता हुआ महसूस कर रही थी । जो घर आज तक उसे सुकून देता आया था वो काट रहा था । अर्जुन और रिचा ने दरवाजा खोला और कशिश के पास आकर बैठ गए । अर्जुन कशिश से हजारों बहाने बनाने लगा । पर कशिश ने बात बीच में काटकर अर्जुन से कहा की भाई आप कभी मेरे भाई थे ही नहीं बचपन से आज तक सिर्फ में जूठ में ही जीती रही हूं। मुझे सब पता चल चुका है । रिचा तुम खुश रहना हमेशा । अर्जुन दंग था अर्जुन और रिचा एकदम सदमे में थे की क्या हो गया है रिचा को कुछ भी समझ नही आ रहा था । और अर्जुन ने रिचा से कमरे में जाने को कह दिया वो कशिश से बात करना चाहता था । अर्जुन और Mr अरोड़ा कशिश को समझाने आए की क्या हो गया है ।
पर कशिश ने सब बता दिया और अपनी मां का कातिल … कहकर वो रोने लगी ।
उसने सबको कहा की आपने जो किया वो सब गलत था आपके कारण मेने अपनी मां को खोया । ओर mr राजवंश से आपकी दुश्मनी हमारी मां को ले गई । ये सब कहकर उसने कमरा छोड़ा और अपना बैग लेकर घर से बाहर चली गई ….
आज उसे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था कही भी शांति नहीं मिल रही थी
हर चीज उसे काटने को दौड़ रही थी ।
बाहर की खुली हवा में भी उसको सुकून नहीं मिल रहा था ।
ये सब सोचते सोचते रात हो चुकी थी ।
घर से ना जाने कितने फोन आ रहे थे कशिश को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था । बस गुमसुम बैठी वो सच दिखाए दे रहा था जो उससे उसकी family ने छुपाया
ये रात शांति खामोशी सब कशिश को चुभन दे रहे थे
दूसरी ओर ऋषि भी कशिश के बारे में सोचकर परेशान था बात करना चाहता था कशिश से पर वो फोन ये सोचकर रख देता की आज कशिश को खुद की फैमिली के पास रहना चाहिए । दोनो मिलो दूर बैठे अपनी अपनी दुनिया में को चुके थे ….