अब तक आपने पढ़ा:
सागर, यश और आरव को लिए तमाम मुश्किलों को सामना करते हुए जंगल के खत्म होने तक पहुंचा ही था कि उनकी गाड़ी पलट गई।
अब आगे:
वह रोशनी में एक जबरदस्त एंट्री की उम्मीद में था। पर अचानक से कार पलट गई।
सागर की आंखों के सामने अंधेरा छा गया। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसने आंखें खोलकर इधर उधर देखने की कोशिश की तो वह बस एक तेज रोशनी के अलावा और कुछ भी नहीं देख पाया। कुछ ही पल वह कोशिश कर सका इधर उधर हिलने डुलने की, उसके बाद वह बेहोश हो गया।
सागर, आरव और यश तीनों के मम्मी पापा, आरव के घर पर बैठे हैं। ये सब यहां इसलिए इकट्ठे हुए हैं क्यूंकि इनके बच्चों का फोन नहीं लग रहा था। लगता भी कैसे, इन सबके फोन में नेटवर्क नहीं था। अब ये सब ये डिस्कस कर रहे हैं कि उनकी बच्चों से आखिरी बात कब हुई थी। पता लगता है कि यश की उसकी मम्मी से बात हुई थी जब वे रात को खाना खाने रुके थे।
यह केवल संयोग तो नहीं हो सकता कि सभी के फोन एक साथ नेटवर्क में नहीं हों, वो भी पूरी रात से। आरव के पापा ने समझाया कि कुछ घंटे और इंतजार कर लेना चाहिए। उन्हें उम्मीद थी कि बच्चे ठीक ही होंगे। सबका समझना इतना आसान तो नहीं था पर अंत में इस निश्चय के साथ सब समझे कि अगर शाम तक बच्चों का फोन नहीं लगा तो वे उस तरफ निकल लेंगे।
उधर सागर की आंख खुलती है। सामने एक दीवार, उस पर घड़ी लगी हुई है, जिसकी सुइयां दो बजे का इशारा कर रही है। वह इधर उधर देखता है तो पाता है कि वह किसी हॉस्पिटल में है। उसके कुछ चोटें आयी हुई थी। वह खड़ा होने लगा तभी एक नर्स आई और बोली, “लेटे रहो, आपका हिलना ठीक नहीं है आपको काफी गहरी चोटें आई हैं।”
“पर मेरे दोस्त, वो मेरे साथ थे, वो ठीक तो हैं ना, उनको मुझसे भी गहरी चोटें आई थी। कहां हैं वो?” सागर बोला।
“आपके साथ कार में सिर्फ एक ही लड़का था। उसे अभी तक होश नहीं आया है और उसकी हालत भी बहुत गंभीर है।” नर्स ने जवाब दिया।
“क्या? कौन लेकर आया हमें? उसने ठीक से चेक नहीं किया? ऐसे कैसे किसी को छोड़ कर…” सागर बोल रहा था कि बीच में नर्स बोली, “अरे, सर रुकिए। एम्बुलेंस गई थी आप लोगों को लेने, किसी ने कॉल करके बताया था कि एक गाड़ी का ऐक्सिडेंट हुआ है। और मैं खुद गई थी एम्बुलेंस में साथ, आप दो ही लोग थे।”
“कॉल किसने की थी?” सागर ने पूछा।
“कोई लड़की थी। फॉर्मलिटीज करने के बाद चली गई।” उसने जवाब दिया।
“कोई नाम, पता, कुछ तो होगा उसका।” सागर ने पूछा।
“हां, रूही, रूही नाम था उसका।” नर्स ने जवाब दिया।
रूही का नाम सुनते ही सागर के पैरों तले जमीन खिसक गई। एक के बाद एक शॉक मिलते ही जा रहे थे। वह अपने आप में सोचने लगा, “रूही तो मर चुकी थी। फिर रूही कैसे? क्या रूही भूत? नहीं नहीं, शायद कोई और रूही होगी।” वह खुद को समझा रहा था पर उसके दिल में घबराहट हो रही थी।
अचानक उसकी नजर उसके पास पड़े मोबाइल पर गई। उसी का मोबाइल था, शायद डॉक्टर्स ने ट्रीटमेंट करते वक्त जेब से निकाल कर रख दिया होगा। देखा तो उसमें घर से कई फोन आए हुए थे। उसने अपनी मम्मी को फोन मिलाया और उनसे कहा कि रात में जिस होटल में रुके थे वहां नेटवर्क नहीं था। थोड़ी डांट खाई और फिर सामान्य बातें की।
उसने अपनी मम्मी को बोला कि वे लोग सब ठीक हैं, कोई चिंता मत करना। यश और आरव के घर भी बोल दे, उनका फोन बारिश में भीगने से खराब हो गया है।
फिर कुछ बात करते करते वह बोला, “मम्मी रूही मर गई।” वह ऐसा बताना नहीं चाह रहा था, पर वह चिंता की जिस चरम सीमा पर था ना, उस से रहा है नहीं गया।
“हां, मुझे पता है।” सामने से जवाब आया।
“आपको कैसे पता?” सागर ने पूछा।
“मामाजी के यहां तू गया था। मैं तो यहीं थी, तो मुझे तो पता होगा ही।” उसकी मम्मी ने जवाब दिया जो पूरा का पूरा उसके सर के उपर से निकल गया।
“अच्छा तो फिर बताओ कब और कैसे हुई मौत?” सागर बोला।
“पंद्रह दिन पहले, ऐक्सिडेंट में। तू ये सब क्यों पूछ रहा है? तुझे तो उनकी फैमिली का नाम लेते ही चिढ़ होने लगती है ना।”
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों ये क्या? ये लोग घर से ही एक भूत लेकर आए थे? क्या रूही सच में पहले से मरी हुई है? क्या सागर इस सदमे को सह पाएगा? नर्स ने बताया सागर के साथ एक ही लड़का था? कौन गायब है? क्या ये कहानी सुलझ पाएगी? या कुछ नया “रहस्य” आयेगा इस कहानी में। जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का और तब तक अपने दोस्तों को भी शेयर कीजिए ये कहानी।
Please bookmark this “web novel” and stay tuned to read next part👍