अब तक आपने पढ़ा:
नर्स के मुताबिक सागर का एक साथी गायब है और बाकी सागर और एक साथी को रूही ने हॉस्पिटल में एडमिट करवाया है। सागर को पता लगता है कि रूही की कुछ दिन पहले ही मौत हो चुकी थी जबकि वह कल रात तक उनके साथ ही थी।
अब आगे:
“पंद्रह दिन पहले, ऐक्सिडेंट में। तू ये सब क्यों पूछ रहा है? तुझे तो उनकी फैमिली का नाम लेते ही चिढ़ होने लगती है ना।”
“नहीं बस वैसे ही हम सब बात कर रहे थे तो बात बात में उसकी बात आ गई। अच्छा चलो मम्मी मैं रखता हूं फोन।” सागर ने ये कहकर फोन रख दिया।
वह नहीं चाहता था कि जो कुछ भी हो रहा है वह उनके घर पर सबको पता लगे और सब टेंशन में आ जाए। वह नर्स को बुलाकर बोला, “मुझे मेरे साथी से मिलना है।”
“पर सर उनका तो अभी इलाज चल रहा है, हालत काफी गंभीर है। आप नहीं मिल सकते।” नर्स ने जवाब दिया।
“मुझे उसकी शक्ल ही दिखा दो कम से कम।” सागर बोला।
“अच्छा ठीक है, आओ मेरे साथ” कहकर नर्स सागर को अपने साथ ले गई।
सागर भी नर्स के पीछे पीछे चल दिया। जैसे जैसे सागर यह जानने के करीब आ रहा था कि उनमें से कौन मिसिंग है, उसका दिल जोरों से धड़क रहा था। सागर ने देखा यश बेड पर पड़ा था, तीन डॉक्टर उसका ट्रीटमेंट कर रहे थे।
“ओह माइ गॉड, रूही, आरव, रूही तो आरव को पसंद करती थी। और आरव, आरव रूही को भाव तक नहीं देता था। रूही आरव के लिए ही आई थी, पक्का। रूही ने पता नहीं क्या किया होगा आरव के साथ। जरूर उसे मार दिया होगा। नहीं ये मैं क्या सोच रहा हूं।” कुछ इस तरह के विचारों में सागर उलझा रहा।
इतने में यश को होश आ गया। “मैं जिंदा हूं?” यश के मुंह से निकला। “क्या बोल रहा तू? तू बिल्कुल सही सलामत है।” सागर बोला। “आरव और रूही कहां है? कहीं उनको कुछ हो तो नहीं गया?” यश ने पूछा।
“तू अभी आराम कर, इस मामले में बाद में आराम से बात करते हैं।” सागर बोला।
“नहीं मुझे अभी बता।” यश बोला।
इतने में सागर के फोन पर यश की मम्मी का फोन आया। सागर ने उसको फोन देते हुए कहा, “मैनें उनसे कहा है कि तुम्हारा फोन खराब हो गया है। और ये सब मत बताना उन्हें।” “ओके” कहते हुए यश ने फोन लिया और नॉर्मल बातें करने लगा। सागर इतने में बाहर चला आया, क्यूंकि यश अभी अभी होश में आया था। उसे डर था कि कहीं वह ये सब जानकर सदमे में ना आ जाए।
कुछ घंटे हॉस्पिटल में बीतने के बाद रात हो गई। सागर और यश दोनों खाना खा चुके थे। यश की हालत अब पहले से बेहतर थी। दर्द होना तो लाजमी था, पर अब वह पूरी तरह से होश में था। नर्स उनके पास आई और बोली, “रूही बाहर तुम्हारा इंतज़ार कर रही है।”
“अच्छा, बिल कितना हुआ?” यश बोला।
“रूही ने आलरेडी पे कर दिया है।” नर्स बोली।
“आजा सागर, चलें।” यश बोला।
“अरे नहीं चल सकते। रूही नहीं भूत है वो। रूही पहले से में चुकी है।” नर्स के जाते ही सागर बोला।
यह सुनकर यश जोर जोर से हंसने लगा और बोला, “बहुत अच्छा जोक था, चल अब।” और वह बाहर की तरफ निकल गया। सागर उसके पीछे “यश.. यश… यश.. सुन… सुन तो…” आवाजें लगता हुआ चल दिया।
सागर की हवाइयां उड़ने लगी। उसके सामने रूही थी और वह कार में ड्राइविंग सीट पर बैठी थी। यह वही कार थी जो पिछली रात कार के नाम पर बस चलने का काम कर रही थी, वही कार जिसके परखच्चे उड़ चुके थे। बिलकुल सही सलामत उसके सामने थी। यश तो रूही के बगल में जाकर बैठ चुका था।
सागर भी कार में जाकर बैठ गया क्यूंकि उसने सोचा कि आरव के बिना वापस कैसे जा सकते हैं। आखिर उसकी वजह से ही तो पिछली रात जान बची है। और फिर उसे पछतावा भी था इस बात का कि रूही को ट्रिप पर आने का उसी ने ही बोला था। उन सब की इस हालत का जिम्मेदार वह खुद को मान रहा था।
रूही ने कार की चाबी घुमाई और कार को स्टार्ट किया। फिर रात का समय हो चुका था। “किसी होटल पर ले चलो, वहां रेस्ट करेंगे।” यश बोला और फिर थोड़ा रुका और फिर बोला, “मुझे कोई ये बताएगा, आरव कहां है?”
“थोड़ी देर चुप करके बैठा रह सब पता लग जाएगा।” रूही बोली। वह थोड़ी गुस्से में लग रही थी। “गुस्सा हो किसी बात पर” यश बोला। यश के बोलते ही रूही ने उसे घुरा और वह चुप करके बैठ गया। यह सब देख के सागर का डर बढ़ता ही जा रहा था। सागर अपनी उंगली पर उंगली चढ़ाकर सिमटकर बैठा था और मन ही मन हनुमान चालीसा बोल रहा था।
कहानी जारी रहेगी…
अब तो ये फिर एक बार भूत के साथ सफर पर निकल चुके हैं? क्या ये सब बच पाएंगे? क्या आरव इन्हें मिलेगा? क्या आरव जिंदा भी है? बहुत से “रहस्य” पर से परदा उठेगा जब आप मेरे साथ पढ़ेंगे इस कहानी का अगला भाग। तब तक बस शेयर कीजिए और इंतजार करिए अगले पार्ट का।
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