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यश को होश आ गया। रूही उनको लेने हॉस्पिटल आई तो सागर ने उसे बताने की कोशिश की कि रूही भूत है। पर वह उसकी बातों को अनसुना करके कार में जाकर बैठ गया। उसके साथ सागर भी जाकर बैठ गया।
अब आगे:
रूही गाड़ी को वापस उसी जंगल में ले गई जहां उन्होंने पिछली रात गुजारी थी। “ये तो वही जंगल है ना!” यश बोला।
“हां वही जंगल है।” रूही ने जवाब दिया।
“कल बड़ी मुश्किल से यहां से जिंदा बचकर गए थे और तुम आज फिर यहां ले आई।” यश बोला।
रूही कुछ जवाब देती इस से पहले सागर बोला, “आखिर चाहती क्या हो तुम?”
“बहुत जल्दी पता चल जाएगा।” रूही बोली।
गाड़ी अभी भी अपनी स्पीड पर चल रही थी। सागर को उसकी बात का ठीक से जवाब नहीं मिला था इसलिए उसे थोड़ा गुस्सा आया पर उसे डर था कि उसके साथ बहस करने से कहीं जान से हाथ ना धोना पड़े।
“मुझे बहुत डर लग रहा है। ऐसा क्यों कर रही हो बताओ!” यश रोते हुए बोला।
“यश, चुप भी करो। तुम्हें डरने की कोई जरूरत नहीं है। तुम्हें कुछ नहीं होगा।” रूही बोली।
“बातें तो बहुत अच्छी बना रही हो।” सागर बोला।
अब सागर के सब्र का बांध टूटने लगा था।
“कैसी बातें?” रूही बोली।
“खुद ही हमें मौत के मुंह में ले जा रही हो, और खुद ही कहती हो कुछ नहीं होगा।” सागर बोला।
“अरे डरो नहीं, इस जंगल में बस छोटा सा काम है। आधे घंटे में यहां से निकलते हैं।” रूही बोली।
“मुझे तुम्हारे बारे में सब पता लग गया है। अब ज्यादा नाटक मत करो।” सागर बोला।
“अच्छा, क्या पता लग गया?” रूही बोली।
“मुझे पता है कि तुम इन्सान नहीं हो, एक भूत हो। तुम मुझे उस दिन छत पर मिली तब भी तुम भूत थी। जब हम पहले सफर कर रहे थे, तब भी तुम भूत थी। तुम ही ये सब कर रही हो, तुम हमें मारना भी चाहती हो, और फिर तुम ही हमें हॉस्पिटल में भर्ती भी करवाती हो। और आरव कहां है? क्या किया तुमने उसके साथ? बोलो…” सागर ने एक ही बार में अपनी सारी भड़ास निकाल दी।
“हां, नहीं हूं मैं इन्सान। मर चुकी हूं कुछ दिन पहले। पर आरव, उसका मुझे भी नहीं पता कि वो कहां है! मैं खुद उसे ही ढूंढने के लिए इस जंगल में आई हूं। मैं तो उससे प्यार करती हूं, तो मैं भला उसके साथ कुछ ग़लत कैसे कर सकती हूं?” रूही बोली।
यश यह सब सब सुनकर बेहोश हो गया। सागर चिल्लाया, “यश! यश!” और फिर धीमे स्वर में बोला, “तुम ठीक तो हो ना।”
पर यश ने कोई जवाब नहीं दिया। सागर रूही से बोला, “देखो, तुम मेरी जान ले लो, पर मेरे दोस्तों की जान बख्श दो।”
“पर, मैंने, मैंने क्या किया? तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ है वो मैनें नहीं किया है। रुको मैं सब समझती हूं।” रूही बोल रही थी कि सागर बात काटते हुए बोला, “मुझे कुछ नहीं समझना। मेरा दोस्त तुम्हारी वजह से बेहोश हुआ है अभी। जो कुछ भी हो रहा है, उसके लिए मैं तुम्हें जिम्मेदार मानता हूं।”
“पर मैनें कुछ नहीं किया…” रूही फिर अपनी सफाई देने लगी और सागर बोला, “मुझे कुछ नहीं सुनना, तुम आरव से प्यार करती हो ना, तो तुम्हें आरव की कसम, तुम आरव को मेरे सामने लेकर आओ और उस से पहले हमें बिल्कुल भी परेशान मत करना, ना ही हमें दिखाई देना।”
“ठीक है, आरव की कसम दी है तुमने, तो जाना तो पड़ेगा ही, खयाल रखना अपना। और अगर कोई भी मुसीबत दिखे तो डरना मत।” रूही इतना बोलकर वहां से गायब हो गई।
सागर ने यश को पानी छिड़ककर उठाया। यश उठते ही बोला, “रूही.. भूत… भूत… रूही.. कहां है वो?”
“उसे भगा दिया मैनें” सागर बोला। पर यह बोलते बोलते उसका दिमाग रूही के आखरी शब्दों से गूंजने लगा। उसे लगने लगा कि कहीं रूही सच तो नहीं कह रही। अगर उसने आरव को कुछ नुकसान पहुंचाना होता तो वह आरव की कसम देने पर उनके सामने से चली क्यों जाती? सागर को महसूस होने लगा कि कहीं उसने रूही को जाने का बोलकर बहुत बड़ी ग़लती तो नहीं कर दी है। पर फिर सागर को यह भी लगने लगा कि रूही के जाने पर जंगल बिलकुल सामान्य लग रहा है। इस बात से वह निश्चिंत था कि रूही के चले जाने से प्रॉब्लम भी जा चुकी है।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या रूही सच कह रही थी? या रूही की वजह से ही सारी प्रॉब्लम थी? आखिर और कितने रहस्य छुपे हैं इस कहानी में? क्या सागर और यश आरव को ढूंढ पाएंगे? क्या ये सब बच पाएंगे? कहीं ये सब वापस से इस जंगल में तो फसने नहीं वाले? बहुत से सवाल हैं और जवाब छुपे हैं अगले चैप्टर में। तो इंतजार कीजिए और तब तक सोचिए क्या होगा आगे इस कहानी में। शेयर भी करो यार।
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