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सागर ने रूही को कसम दी तो वह चली गई। रूही के जाने के बाद अब तक सब कुछ सामान्य था पर रूही की बातों से लग रहा था कि कोई बड़ा खतरा उनके सामने आने वाला है।
अब आगे:
“क्या सच में वो भूत है?” यश ने पूछा।
“हां, मेरी मम्मी से बात हुई थी, उनसे मुझे पता लगा कि कुछ दिन पहले रूही की मौत हो गई थी।” सागर ने उसको समझाया।
“ओह तभी हम सब इतनी प्रॉब्लम में हैं। पर रूही की बातों में तो बहुत ज्यादा फर्क था, उसकी बातों से तो बिलकुल भी नहीं लग रहा था कि वह हमें कोई नुकसान पहुंचाना चाहती है।” यश बोला।
यश की बात सुनकर सागर को भी वैसा महसूस हुआ। उसने यश से कहा, “खैर, जो भी है, इसका फैसला बाद में करेंगे। पहले हमें आरव को ढूंढना होगा।”
“हां, चलो चलें। पर ढूंढेंगे कहां?” यश बोला।
“जहां तक उम्मीद है, वो यहीं जंगल में होगा।” सागर बोला।
सागर ड्राइविंग सीट पर आ गया और कार स्टार्ट करते हुए बोला, “यश, अब बस दुआ कर कि कल रात जैसा कुछ ना हो।”
“डोंट वरी! कुछ नहीं होगा।” यश बोला।
यश के बोलने के साथ ही कुछ जंगली जानवरों की आवाजें जंगल में गूंजनी शुरु हो गयी।
“अब जंगल में हैं, तो जंगली जानवरों की आवाजें तो होंगी ही। इसमें कुछ भी डरने वाला नहीं है। और तूने उस चुड़ैल को तो भगा ही दिया है ना।” यश खुद को और सागर को हिम्मत देने के लिए बोला।
सागर ने कार को चलाना शुरू किया। उन्हें बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि यह जंगल कितना बड़ा है या इस जंगल में आरव को ढूंढ पाना मुमकिन भी है या नहीं। पर जो भी हो, उनके लिए आरव को ढूंढना बहुत जरूरी था। अगर रूही उन्हें जंगल में ना भी लाती तो भी वे पक्का उसे ढूंढने आ ही जाते।
आज जंगल का मौसम सामान्य था। उसमें चंद्रमा की रोशनी बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। वे पिछली रात अंदाजा भी नहीं लगा सकते थे कि यह जंगल इतना खूबसूरत भी दिख सकता है। सागर ने एक जगह गाड़ी रोकी और बोला, “ये वही जगह है जहां गाड़ी पलटी थी। हो न हो आरव यहीं कहीं होगा।”
“तुम इतने कॉन्फिडेंस से कैसे कह सकते हो। क्यूंकि जहां तक मुझे अंदाजा है, ये जंगल अपना रूप कभी भी बदल सकता है।” यश बोला।
“चेक करने में अपना क्या जा रहा है।” सागर बोला।
“हां, चलो। बेशक रूही को तुमने भगा दिया, पर ध्यान रहे, हमें चौकन्ना रहना होगा।” यश बोला।
सागर और यश गाड़ी से उतरे और इस जगह के आस पास आरव को आवाजें देते हुए उसे ढूंढने लगे। उन्हें कोई उम्मीद नहीं लग रही थी कि आरव उन्हें मिलेगा पर फिर भी वे अपनी कोशिश में कोई कमी नहीं रखना चाहते थे। दोनों ने मिलकर निश्चय किया कि दोनों एक ही जगह ढूंढने की बजाय अलग अलग जगह ढूंढे और चाहे मिले या ना मिले, आधे घंटे बाद गाड़ी के पास आकर मिलेंगे।
आज दोनों में बहुत हिम्मत लग रही थी, या शायद आज माहौल में अभी तक इतना डरावनापन नहीं था। हो सकता है ये तूफान से पहले की शांति हो। पर जो भी था, वे दोनों निश्चय करके अपनी अपनी दिशा में आरव को ढूंढने निकल पड़े।
सब कुछ सामान्य चल रहा था। वे दोनों आरव को आवाजें लगाते ढूंढ रहे थे। ढूंढते ढूंढते सागर थककर बैठ गया। और वहीं यश गाड़ी की तरफ वापस आने लगा। सागर को पता भी नहीं चला था कि आधा घंटा हो चुका है।
यश उस जगह पर पहुंचा तो उसने देखा कि वहां ना तो सागर था और ना ही गाड़ी। उसे लगा कि वह शायद रास्ता भटक चुका है। इसलिए वह इधर उधर अब सागर को ढूंढने लगा। आरव को ढूंढना तो क्या वह खुद भी खो गया, ऐसा ख्याल उसके मन में आने लगा।
उधर सागर की आंख लग चुकी थी। वह खराटे भरकर सो रहा था। यश सागर को आवाज देता हुआ उसके पास से भी निकला, पर उसने उसकी आवाज नहीं सुनी और ना ही यश ने उसको देखा। यश थककर एक जगह बैठ गया और रोने लगा। यकीन नहीं हो रहा था, वह लड़का जो मजाक के बिना एक बात भी नहीं कर सकता था, आज खुद को अकेला महसूस करके रो रहा था। हालांकि वह पिछली रात भी रोया होगा, पर वह डर की वजह से था और अब तो वह बेखौफ होते हुए भी रोने पर आ गया।
कुछ देर में सागर की आंख खुली तो उसने टाइम देखा और गाड़ी की तरफ भागा।
कहानी जारी रहेगी…
इनकी गाड़ी कहां गई? क्या सागर और यश भी बिछड़ जाएंगे? क्या आरव इनमें से किसी को मिलेगा? क्या रूही फिर से इनके सामने आएगी? कहीं इनके साथ कुछ बुरा तो नहीं होने वाला? कहीं सागर और यश इसी जंगल में तो फसे नहीं रह जाएंगे? बहुत से “रहस्य” पर से पर्दा उठना अभी बाकी है। तो बने रहिए मेरे साथ और इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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