अब तक आपने पढ़ा:
यश को तीनों भूत पकड़कर तांत्रिक के पास ले जा रहे होते हैं और सागर कुछ भी नहीं कर पा रहा है। वहीं, दूसरी तरफ आरव को पेनड्राइव मिल चुकी है।
अब आगे:
सागर को कुछ समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे। यश की चिल्लाने की आवाज उसके दूर जाने के साथ साथ कम होती जा रही है। यश के कुछ दूर जाने के बाद बिजली की रफ्तार से कोई आता है और यश को उन भूतों से छुड़ाकर सागर के पास पहुंचा देता है। अभी तक किसी को उसका चेहरा दिखाई नहीं दिया। उसके रुकते ही सागर और यश को दिखाई दिया कि यह रूही थी। रूही फिर से उन भूतों के पास जाती है।
अब रूही का तीन भूतों के साथ आमना सामना होने लगता है। शुरू में तीनों मिलकर रूही पर भारी पड़ रहे होते हैं पर बाद में बाजी पलट जाती है। वे रूही को हरा नहीं पाते और हारकर तांत्रिक के पास जाकर गिर पड़े। रूही यश से कहती है, “घबराना ही हर समस्या का हल नहीं होता।” और इतना कहकर वह वहां से गायब हो जाती है।
उधर आरव, पेनड्राइव को अपनी पॉकेट में रख कर रूही के कहे मुताबिक उसके अंतिम संस्कार की तैयारी में लग जाता है। वह इधर उधर से लकड़ियां इक्कठी करता है और कुछ पतली घास जिससे कि लकड़ियां आसानी से जल सके।
वहीं दूसरी तरफ तांत्रिक गुस्से में कहता है, “तुम तीनों वापस जाओ और इस बार किसी को भी उठा लाना। उस रूही की आत्मा का प्रबंध मैं करता हूं।” उसकी बात सुनकर तीनों भूत वापस से निकल जाते हैं। और वह तांत्रिक रूही की शक्तियां कम करने के लिए टोटके करने लगता है।
सागर और यश बहुत देर चलने के बाद आखिर उस जगह पहुंच जाते हैं, जहां उन तीनों भूतों की बॉडी पड़ी थी। वह देखकर उनका जी घबराने लगा। रूही ने उन्हें इतनी खौफनाक मौत मारा था कि उनकी डेड बॉडी देखने मात्र से उनका दिल दहल उठा। एक एक शरीर के पचासों टुकड़े इधर उधर बिखरे हुए थे। सागर और यश को जलाने का आइडिया बिल्कुल भी ठीक नहीं लगा तो उन्होंने उनकी बॉडीज को दफनाने की सोची।
सागर और यश दोनों मिलकर गढ़ा खोदने में लग गए। उनकी स्पीड तो स्लो होनी ही थी क्योंकि उनके पास गढ़ा खोदने के लिए कोई औजार नहीं था। पर जैसे तैसे आस पास जो भी मिल रहा था, उसको औजार बनाकर दोनों गढ़ा खोदने में लग गए।
उधर, आरव रूही की बॉडी को जला चुका था। बॉडी जलते टाइम रूही आरव के सामने आई और बोली, “अब मेरे साथ मेरी शक्तियां भी चली जायेंगी। इधर मेरी बॉडी को जलने में करीब पंद्रह मिनट का टाइम लगेगा। उसके बाद तुम लोगों को ही सब मैनेज करना होगा। अब जल्दी से भागकर सागर और यश के पास चले जाओ और जितना जल्दी हो सके इस जंगल से बाहर निकलो।”
आरव कुछ बोलता उससे पहले रूही उसके सामने से गायब हो गई। वह रूही को जलते हुए देख रहा था और इमोशनल होकर रोने लगा था। तभी वहां वे तीनों भूत आए और आरव को पकड़कर तांत्रिक के पास ले जाने लगे। “पर रूही ने तो कहा था कि उसके पास पंद्रह मिनट हैं। फिर कैसे मैं उन भूतों को दिखाई दे गया।” आरव इतना सोच ही रहा था कि तभी उसके कानों में रूही के चिल्लाने की आवाज पड़ती है, “आरव, प्लीज मुझे यहां से आजाद करवा दो। इस तांत्रिक ने मुझे एक मटके में बंद कर दिया है। आकर उसे तोड़ दो और मुझे निकालो।”
सागर और यश गढ़ा खोदते खोदते थककर चूर हो चुके हैं और आराम करने के लिए बैठे हैं। तभी वे देखते हैं की आसमान में आरव उड़ते हुए जा रहा है। उसे देखकर वे चिल्लाते हैं, “आरव, आरव” पर आरव तक उनकी आवाज नहीं पहुंच पाती। फिर उनको याद आता है कि उनके शरीरों को दफनाने से वे चले जायेंगे और आरव बच जायेगा।
तांत्रिक जोर जोर से हंस रहा है। वह रूही से कहता है, “तुझे पता है तूने किससे पंगा लिया है?” रूही अंदर से उसे कहती है, “तुझे नहीं पता तूने किससे पंगा लिया है। बेटा अब तेरी उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। ज्यादा वक्त नहीं है तेरे पास।” तांत्रिक और जोर से हंसने लगता है और बोलता है, “क्या, मुझे धमका रही है। रस्सी जल गई पर बल नहीं गया। क्या उखाड़ लेगी तू मेरा।”
कहानी जारी रहेगी…
कहानी अपने अंतिम पड़ाव पर है। आगे के चैप्टर जल्दी पढ़ने के लिए ज्यादा से ज्यादा शेयर करो। कॉमेंट करके बताओ कहानी कैसी लग रही है। और सोचिए क्या आरव उनको सजा दिलवा पाएगा? क्या कोई आरव को बचा सकेगा या आरव की बलि दे दी जायेगी? क्या रूही की आत्मा को तांत्रिक से आजाद करवा पाएगा आरव? बहुत से “रहस्य”, बहुत से सवाल। जवाब है, अगला चैप्टर। इंतजार कीजिए अगले चैप्टर का।
Please bookmark this “web novel” and stay tuned to read next part👍