अब तक आपने पढ़ा:
सभी लोग खाना खाने के लिए एक रेस्टोरेंट पर रुके थे जहां वाशरूम में यश के साथ कुछ अमानवीय घटनाएं हो रही थी।
अब आगे:
वह कुछ सोच पाता कि उस से पहले ही एक बिना सर की औरत उसके सामने आ गई।
कुछ देर बाद यश की आंखे खुली। आरव, सागर और रूही उसके सामने थे।
“मैं यहां कैसे?” यश ने डरते हुए पूछा।
“तू वॉशरूम में बेहोश हो गया था। शायद भूख की वजह से। अब खाना खा ले।” सागर बोला।
“भूख… भूख नहीं भूत! भूत… भूत था वहां…” यश काफी घबरा रहा था।
“अरे हम तुझे अभी वॉशरूम से ही उठा कर लाए थे। अगर कुछ होता तो हमें भी दिखाई देता ना…” सागर फिर बोला।
“पर वॉशरूम का दरवाजा… वो तो अंदर से लॉक था ना..” यश बोला।
“तू जल्दी जल्दी में लॉक करना भूल गया होगा।” सागर बोला।
“कुछ तो अजीब हो रहा है यहां…” आरव बोला।
“कुछ अजीब नहीं है।” सागर बोला।
“नहीं, पक्का कुछ तो गड़बड़ जरूर है, पहले मुझे महसूस हुआ कि गाड़ी के आगे कोई लड़की है। और अब यश को भी कुछ अजीब सा महसूस हुआ।” आरव बोला।
“हां मैनें भी बिना सर की औरत को देखा।” यश यह बोलकर अपने साथ हुए उस भयानक दृश्य को याद करके घबराने लगा।
“तुम मस्ती कर रहे हो ना…” रूही बोली।
“नहीं.. बिल्कुल सच कह रहा हूं।” यश बोला।
“तुम यहां से वॉशरूम भी मस्ती करते करते ही गए थे। और मुझे पता है कि अभी भी तुम मस्ती ही कर रहे हो.. हैं ना?” रूही बोली।
“नहीं यार… मैं बिल्कुल भी मस्ती के मूड में नहीं हूं।” यश डरी हुई सी आवाज में बोला।
“अच्छा छोड़ो। सब मिलकर खाना खाते हैं।” रूही बोली और सब मिलकर खाना खाने लगे। यश के दिमाग में अभी भी वही दृश्य घूम रहा था जिससे वह छोटी छोटी चीजों से भी डर रहा था। खाना खाते वक्त सागर के हाथ से चम्मच छूट गया तो उसकी आवाज से यश बुरी तरह से घबरा गया। यश के साइड में रूही बैठी थी, वह डर के मारे रूही के गले लग गया। वह पूरी तरह से घबराया हुआ लग रहा था। लिहाजा रूही उसके बालों में हाथ फेरती हुई बोली, “कुछ नहीं हुआ, घबराओ मत। देखो, सब नॉर्मल है। सागर के हाथ से चम्मच गिरा था। बस उसी की आवाज थी।”
धीरे धीरे वह नॉर्मल हुआ। और खाना खाने लगा। सबने खाना खत्म कर लिया था पर यश अभी भी खा रहा था।
आरव बोला, “सागर, मैं गाड़ी निकलता हूं। तुम बिल पे कर दो और यश को लेकर ही आना। उसे अकेला मत छोड़ना।”
तभी रूही बोली, “चलो मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं।”
जैसे ही रूही और आरव निकले, सागर यश से बोला, “वाह बेटे, बहुत अच्छी स्कीम थी रूही के गले लगने की।”
यश बोला, “इधर मेरी फटी पड़ी है, और तुझे मज़ाक सूझ रही है।”
खैर, जैसे तैसे यश ने भी खाना खत्म किया और वो दोनों भी बाहर आकर गाड़ी में बैठ गए। गाड़ी फिर से एक बार अपनी रफ्तार पकड़ने लगी। जैसे जैसे वे उस रेस्टोरेंट से दूर निकलते जा रहे थे, वैसे वैसे यश को राहत महसूस हो रही थी।
कुछ दूर चलने पर ही यश को एक बड़ा सा होटल दिखाई दिया। वह होटल देखते ही बोला, “वो देखो, उधर एक होटल है। अपने रात को वहां रुक जाते हैं और रेस्ट करते हैं। आगे का सफर कल दिन में कर लेंगे।”
“क्यूं इतना घबरा रहा है, फिक्र मत कर, कुछ नहीं होगा।” सागर बोला।
“हां, चाहे कुछ भी हो जाए, अपने प्लान के हिसाब से ही चलेंगे। अपने यह फाइनल किया था ना कि दिन में ट्रैवल करें या ना करें पर रात में जरूर करेंगे।” आरव बोला।
“यार मुझे बहुत डर लग रहा है।” यश बोला।
“यार तू डर मत।” रूही बोली।
यश को लगा कि इन सबके सामने उसकी बिल्कुल भी चलने वाली नहीं है तो वह चुप होकर बैठ गया। सागर रूही और आरव आपस में बातें कर रहे थे। सागर ड्राइव कर रहा था यश उसके बगल में बैठा था और पीछे आरव और रूही बैठे थे। यश को इनकी बातों में बिल्कुल भी मज़ा नहीं आ रहा था। उसके साथ रेस्टोरेंट में जो हुआ उसको लेकर वह सदमे में था।
यश को कुछ देर में नींद आ गई और पंद्रह बीस मिनट बाद वह उसी दृश्य को याद करके चिल्लाता हुआ उठ गया। सागर ने कार रोकी। सभी को अब महसूस हुआ कि यश जरूरत से कहीं ज्यादा डरा हुआ है। उसका रेस्ट करना बहुत जरूरी है। सबने मिलकर निश्चय किया कि रात को किसी होटल पर रुककर रेस्ट करेंगे और सुबह आगे का सफ़र करेंगे। पर नियति को शायद ऐसा कुछ मंजूर नहीं….
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या लगता है आगे क्या होने वाला है? क्या यश ने जो देखा वो उसका वहम था? या सच में कोई साया इनका पीछा कर रहा है। बहुत से “रहस्य” देखने को मिलेंगे आपको मेरे साथ।
इंतजार जरूर कीजिए अगले पार्ट का।
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