ऋषि हॉस्पिटल में आज पेशेंट का चेकअप भी बड़े प्यार से हंस-हंसकर कर रहा था उसके साथ ही दोस्त भी हैरान थी कि आज ऋषि को ऐसा क्या मिल गया है जो ऋषि आज इतना खुशनुमा है पर ऋषि ही जानता था कि आज उसे उसकी अपनी दुनिया मिल चुकी है ऋषि के चेहरे पर खुशी बहुत प्यारी लग रही थी शाम को जब उसने अपने सभी साथियों ने को बताया तू वे सभी खुश हुए सभी ने ऋषि के इस स्पेशल डे को सेलिब्रेट किया
आज सब खुश थे ऋषि ने कितनी लड़कियों को ना करके आज खुद किसी लड़की को प्रपोज किया था इसलिए उसके दोस्तों के लिए यह एक ना मानने जैसा ही था परंतु सबने शायद ऋषि का चेहरा पढ़ लिया था।
शाम को ऋषि वापस कशिश के ऑफिस गया क्योंकि उसको पता था कि कशिश की स्कूटी खराब है
शाम को ऋषि को यूं अचानक से अपने ऑफिस में देख कशिश ने ऋषि को गले से लगा लिया तू थी कशिश को शायद यह एहसास हो चुका था कि ऋषि उसका कितना ख्याल रखता है और उससे कितना प्यार करता है
कशिश ने गले लग कर कहां थैंक्यू ऋषि मेरी जिंदगी में आने के लिए मुझे मेरे परिवार के बाद इस दुनिया में सबसे ज्यादा तुम प्यारे लगे हो मेरी ऑस्ट्रेलिया जाने की एक रिक्वेस्ट करने पर तुम ने मेरा साथ निभाया ऑस्ट्रेलिया में मुझे मेरे लक्ष्य को पूरा करने और कदम कदम पर मेरे साथ निभाने के लिए शुक्रिया ऋषि……
दोनों ऋषि की गाड़ी में बैठे तभी अचानक कशिश बोल पड़ी- “ऋषि अगर मैं अपने काम में बिजी ना होती तो हम पक्का फिल्म देखने चलते”
तभी ऋषि ने कहा-“3 घंटों की तो बात है और वैसे भी समय मिलता नहीं निकालना पड़ता है और अभी सिनेमाघरों में बहुत ही अच्छी रोमांटिक मूवी लगी है हमें इसे जरूर देखना चाहिए”
कशिश में कुछ देर सोचा और बोली तो फिर देर क्यों कर रही हो टिकट बुक कर लो ऋषि ने गाड़ी को सड़क किनारे लगाकर जल्दी से फोन निकाला और ऑनलाइन टिकट बुक कर ली
उनकी फिल्म 20 मिनट में शुरू होने वाली थी इसलिए ऋषि ने गाड़ी की स्पीड बढ़ा दी गाड़ी तेज स्पीड में चल रही थी पर कृषि की खुशी की स्पीड के आगे वह कुछ न थी
वह दोनों सिनेमा घर पहुंची अंदर पहुंच कर दोनों अपनी बुक की सीट पर बैठ गए आज सिनेमा हाउसफुल था ऋषि किसका हाथ था मैं बे बेटा मूवी का आनंद ले रहा था कशिश ने कहा-अरे यार ऋषि!पॉपकॉर्न तो भूल ही गए किसी ने कहा पॉपकॉर्न और कॉक मैं फिल्म देखते समय कभी नहीं बोलता हूं तभी वेटर कोक और पॉपकॉर्न लेकर आ गया
दोनों ने वो रोमांटिक मूवी बड़ी ही रोमांटिक अंदाज में देखी
उन्हें लग रहा था की यह मूवी हमारी ही स्टोरी हैं क्योंकि कहीं ना कहीं वह मूवी भी कशिश और ऋषि की लव स्टोरी से मेल खा रही थी
फिल्म देखकर दोनों घर की ओर निकल पड़े
ऋषि ने कशिश को उसके घर पर ड्रॉप किया और एक प्यारा सा हग दे कशिश को बाय बोला
कशिश घर पहुंचकर डिनर कर अपने कमरे में गई कशिश ने अपनी डायरी निकाली और उसमें आज के दिन के बारे में लिखने लगी कशिश अपनी डायरी में कविता और उसकी लाइफ के स्पेशल दिनों के बारे में ही लिखा करती थी कशिश को लगता था कि बुरे दिनों में यह स्पेशल दिन उससे मेंटली सपोर्ट करते हैं
कशिश के लिए आज का दिन इसलिए भी स्पेशल था क्योंकि आज उसे उसका पहला प्यार जो मिला था
पर कशिश को यह अंदाजा भी नहीं था कि यह खुशी के दिन बस नाम मात्र के हैं कशिश के बुरे दिन कशिश के अच्छे दिनों को बिल्कुल भी नहीं देखना चाहते थे परंतु इन सब से अनजान कशिश डायरी में लिखती लिखती सो गई इसी आस में उसके आने वाले हर दिन स्पेशल हो
एकदम तरोताजा बिना किसी दुख और गम के………..