ऋषि को आज नींद ही नहीं आ रही थी उसे बार बार कशिश का चेहरा, उसके साथ बिताए पल, वो कशिश का उसको गले लगाना बस इन्हीं ख्यालों में उसकी आंख कब लगी पता ही नहीं चला
उधर कशिश रोजाना की तरह सुबह उठी और तैयार होकर मिस्टर अरोड़ा से मिलने पहुंचे अब मिस्टर अरोड़ा की हालत में सुधार हो रहा था इससे कशिश बहुत खुश थी पर साथ ही उसे उसकी मां की याद भी सताई जा रही थी और यह यादें उसे अपने मां के कातिलों को सजा दिलाने का हौसला भी बढ़ाई जा रही थी अचानक अर्जुन ने कशिश के कंधों पर हाथ रखा ,
अर्जुन कमरे में कब आया कशिश को पता ही नहीं चला इसलिए कशिश थोड़ा डर गई
“अरे भैया!आपने तो डरा ही दिया”कशिश ने बड़े ही मासूमियत से कहा!
अर्जुन हंसते हुए-मैं तो अभी आया पर तुम तो अपने ही ख्यालों में खोई हो चलो जाकर नाश्ता कर लो ऑफिस का टाइम हो रहा है
नाश्ता करके कशिश ऑफिस के लिए निकल गई।
उधर ऋषि को आज भोर की पहली किरण ने बड़े ही प्यार से नींदों से जगाया खिड़की से आने वाली किरण उसे आज न जाने क्यों बहुत अच्छी लग रही थी
ऋषि आज जल्दी से नहाकर उसके सबसे पसंदीदा कपड़े पहन कर घर से Hospital का कहकर वह सीधे उस कैफ़ै चला गया जहां आज वो कशिश को लंच पर अपने प्यार का इजहार करने वाला था
ऋषि कशिश के मनपसंद फूलों को बड़े प्यार से लंच टेबल पर सजा रहा था कशिश की मनपसंद डिश तो कैफे के सेफ से पर्सनली बनवा रहा था और जेब से कशिश के लिए लिया सरप्राइज गिफ्ट को निकाल कर बार-बार देख कर वह कशिश की यादों में फिर से खो गया आज उसे सब कुछ प्यारा लग रहा था उसके चेहरे पर हंसी आज कुछ अलग सी थी!
कभी ऋषि का फोन बजा कशिश का फोन था
ऋषि ने झट से फ़ोन उठाया
“हैलो कशिश” ऋषि ने बड़े ही प्यार से कहा!
हाय ऋषि- कशिश ने थोड़ा परेशान होते हुए कहा
“क्या हुआ” ऋषि ने आश्चर्य और डर से पूछा
अरे कुछ नहीं बस मेरी स्कुटी थोड़ी खराब हो गई है क्या तुम मुझे लेने आफिस आ सकते हो
अरे जरूर में अभी आता हूं ऋषि फोन रखते हुए अपनी गाड़ी की ओर बढ़ गया
सड़क पर ऋषि की गाड़ी धीमें थी पर ऋषि के ख्याल तेजी से दौड़ रहे थे वहीं बातें की कहीं कशिश उससे नाराज़ ना हो जाए,कहीं वो कशिश और उसकी दोस्ती को खो ना दें
पर कशिश का ऋषि पर भरोसा और जग्गी की बातें ऋषि हौसला दे रही थी
तभी कशिश का आफिस आ गया
कशिश ऋषि को थोड़ी मुस्कुराहट से देख गाड़ी में बैठ गई
ऋषि की गाड़ी फिर से कैफे की और दौड़ पड़ी और ऋषि भी उन्हीं ख्यालों में फिर खो गया