अब तक आपने पढ़ा:
अरुण सिमरन की वजह से दो लोगों से लड़ता है और पुलिस उसे ले जाती है। अरुण के मामा जी दिल्ली के पुलिस कमिश्नर है, जिनकी वजह से वह पुलिस से बच जाता है। पर सिमरन से बचने के लिए अमित जो कहता है, उस पर गौर नहीं करता।
अब आगे:
अमित अपने आप को बिल्कुल लाचार महसूस कर रहा था।
उधर, अरुण कॉलेज चला गया और जाते ही सिमरन से मिला। सिमरन उसको गले लगाते हुए बोली, “तुम ठीक तो हो ना!”
अरुण तो बस उसके गले लगाने के एहसास से ही अपने आप को बहुत भाग्यशली महसूस कर रहा था। वह बहुत रोमांचित हो रहा था। उसके शरीर में जैसे दिल से निकलते हुए चारों तरफ एक करंट कि लहर दौड़ गई हो, और उसके शरीर के हर अंग ने उस कम्पन को महसूस किया हो।
“अरुण!” सिमरन बोली।
“हां” अरुण बोला।
सिमरन – तुम ठीक तो हो ना!
अरुण – हां मैं ठीक हूं।
सिमरन – तुमने मेरे लिए कितनी बड़ी मुसीबत उठाई, मैं कितनी लकी हूं मुझे तुम जैसा दोस्त मिला, मैं तुम्हें कभी भी खोना नहीं चाहती।
अरुण – मैं भी तुम्हें कभी खोना नहीं चाहता।
सिमरन – अरुण! क्या तुम मेरे ‘लाइफ पार्टनर’ बनोगे?
अरुण – क.. क्य.. क्या? फिर से कहो।
सिमरन – मुझे पता है तुम्हें काफी अजीब लग रहा होगा क्यूंकि कोई लड़की सामने से कभी प्रपोज नहीं करती और ऊपर से मैंने शायद थोड़ी जल्दी भी कर दी। पर यह सच है, आई लव यू।
अरुण – आई लव यू टू, सिमरन। मैं भी तुमको ये बात बोलना चाहता था पर इस बात से डर रहा था कि कहीं तुम गुस्सा होकर मुझसे बात करनी बन्द ना कर दो।
सिमरन – आज मैं बहुत खुश हूं कि मुझे तुम मिल गए।
अरुण – मैं भी बहुत खुश हूं। चलो चलकर सेलिब्रेट करते हैं।
सिमरन और अरुण दोनों सेलिब्रेट करने के लिए निकल जाते हैं।
इन्हें कुछ वक्त के लिए अकेला छोड़ देना चाहिए। चलिए, अब आपको एक नई जगह ले चलता हूं।
एक सुनसान सा इलाका, कुछ चार-पांच घर, आस-पास घना जंगल, सब घरों में बिल्कुल गहरा अंधेरा, एक घर में से धीमी सी रोशनी आती हुई। इस घर में मेन गेट के बाहर 15-20 बॉडीगार्ड खड़े है। काफी खतरनाक जगह लग रही है। घर के अंदर तीन लोग खड़े हैं। एक वह आदमी था जिसको अरुण ने ड्रग्स सप्लाई की थी, दूसरा कोई डॉन टाइप लग रहा था, उसने काली टोपी और काला कोट पहना था, हाथ में पिस्तौल पकड़े हुए खड़ा था और तीसरा आदमी था प्रोफेसर त्रिपाठी। शायद इनके बीच कोई मीटिंग चल रही थी।
डॉन – वो लड़का! क्या नाम है उसका? उसको कैसे शक हुआ?
ड्रग्स सप्लायर – प्रोफेसर वही बाइक ले गए थे जो उस रात अरुण के घर छोड़ी थी, शायद वही देखकर अमित को शक हुआ।
प्रोफेसर – अमित ने सिमरन को ड्रग्स का पैकेट लेते हुए भी देख लिया था।
ड्रग्स सप्लायर – अच्छा तो उसके बाद सिमरन की अरुण से बात किसने करवाई? गलती तुम्हारी है त्रिपाठी।
इतने में एक आदमी आता है और बोलता है, “बॉस, आपने बुलाया?”
डॉन – हां, अब तुम ही बताओ अमित को कैसे शक हुआ?
प्रोफेसर – हरी तुम?
डॉन – इसे मैंने बुलाया है।
प्रोफेसर – पर इसे क्यूं? ये तो हमारे कॉलेज का पियोन है।
डॉन – तुम भी तो कॉलेज में प्रोफेसर हो। तुम क्यूं हो यहां? ये भी मेरे लिए काम करता है।
हरी – बॉस, मैनें अमित को पार्किंग में उस बाइक पर नजर रखते हुए देखा था, और जब मैनें सिमरन को मैसेज करके अरुण को अमित के साथ घर भेजने के लिए कहा, तब त्रिपाठी सर को भी बाइक पर रवाना कर दिया था ताकि अमित को ये ना पता चल सके कि वो बाइक त्रिपाठी लाया है। पर अमित ने सीसीटीवी फुटेज में त्रिपाठी को बाइक ले जाते हुए देख लिया।
प्रोफेसर – सॉरी बॉस।
डॉन – पहली बात तुम मुझसे पूछे बगैर मेरी बाइक ले गए। और दूसरी बात तुम्हें ये भी पता नहीं लगा अमित को तुम पर शक हो गया है। किसी काम के नहीं तुम।
प्रोफेसर – आगे से ध्यान रखूंगा।
डॉन – वैसे भी अरुण अमित की बात ना ही सुन रहा है और ना ही सुनेगा। हा हा हा। प्रोफेसर! सिमरन और अरुण अभी कॉलेज की तरफ वापस जाने के लिए निकलने ही वाले होंगे, तुम्हें पता है ना क्या करना है! इस बार कोई गलती नहीं।
प्रोफेसर – कोई गलती नहीं होगी, बॉस।
प्रोफेसर त्रिपाठी वहां किसी कमरे में गया जहां पहले से एक व्यक्ति को बंधक बना रखा था और उस से बोला, “तुम्हारे लिए एक मौका है, जिंदा बचने का। तुम्हें एक लड़की को छेड़ना है और उसको बचाने के लिए जो भी आए उस बंदूक से डराना है। और अगर तुम मेरे लिए इतना सा काम करोगे तो मैं तुम्हें यहां से आजाद कर दूंगा।”
वह आदमी मान गया तो त्रिपाठी ने उसके हाथ में एक बंदूक और सिमरन की तस्वीर थमा दी और सब कुछ समझा कर भेज दिया।
सिमरन और अरुण सेलिब्रेशन के बाद कॉलेज के लिए निकल चुके थे। सिमरन के जिद्द करने पर वो दोनों पैदल ही आए थे। चलते चलते वो दोनों किसी सुनसान रास्ते पर पहुंच गए थे। तभी वह आदमी सिमरन के पास जाकर सीटी बजाने लगा।
अरुण बोला, “ओए, जान प्यारी नहीं है क्या?”
वह बोला, “बहुत प्यारी है, पर तुम्हारे साथ क्यूं घूम रही है?”
अरुण उसकी ओर झपटा और उसकी गर्दन पकड़ ली तो उसने बंदूक निकालते हुए अरुण के सिर पर तान दी।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों अब कहानी थोड़ी खुलने लगी है, पर एक बात मेरे समझ में नहीं आ रही, आखिर अरुण को बंदूक दिखाकर डराने से उन लोगों का क्या फायदा? जानने के इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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