अब तक आपने पढ़ा:
सिमरन और अरुण कॉलेज की तरफ जा रहे थे तभी त्रिपाठी के कहने पर एक व्यक्ति ने सिमरन को छेड़ा और अरुण के सिर पर बंदूक तान दी।
अब आगे:
अरुण एक बार के लिए घबरा ही गया था, उसके रोंगटे खड़े हो गए, पसीना छूटने लगा। फिर अचानक थोड़ी हिम्मत जुटाकर उसने उस आदमी के पेट में लात मारी। उस से बंदूक छूट गई तो अरुण ने बंदूक उठाकर बिना सोचे समझे उस पर चला दी, गोली उसके सीने पर लगी और वो मर गया।
“अरे ये मुझसे क्या हो गया?” अरुण बोला।
“अरुण! अब क्या होगा?” कहते हुए सिमरन रोने लगी।
“सुनसान इलाका है, बंदूक पर से फिंगरप्रिंट साफ करके बंदूक यहीं छोड़ के निकल लेते हैं।” अरुण बोला।
“अरुण! तुम टेंशन मत लो। मैं कुछ करती हूं।” सिमरन बोली।
“तुम क्या करोगी?” अरुण ने पूछा।
“तुमको मेरे चाचा जी के बारे में पता ही है, उनको फोन करके बुला लेती हूं, वो इस लाश को ठिकाने लगा देंगे।” सिमरन बोली।
“हां, ये सही रहेगा।” अरुण बोला।
सिमरन उस ड्रग्स सप्लायर को फोन लगाती है, कुछ मिनट में तीन – चार लोग आकर सिमरन से कहते हैं, “आप दोनों जाओ यहां से, इस लाश को हम सम्भाल लेंगे।”
अरुण और सिमरन वहां से तुरंत कॉलेज चले गए। अरुण मायूस सा होकर बैठा रहा तो सिमरन उसको बोली, “तुम ठीक हो, अरुण?”
“आज मेरे हाथों एक मर्डर हो गया” अरुण बोला।
“यार अब जो हो गया, सो हो गया, भुला दो इस बात को।” सिमरन बोली।
“हां कोशिश करता हूं। प्लीज़ अभी के लिए तुम मुझे अकेला छोड़ दो।” अरुण बोला।
“हां, तुम्हें कुछ देर के लिए एकांत चाहिए।” सिमरन बोली।
“एक काम करता हूं मैं घर चला जाता हूं।” अरुण बोला।
“हां ये सही रहेगा। अपना ख्याल रखना।” सिमरन बोली।
अरुण अपने घर चला गया। अरुण का मन बहुत बेचैन हो रहा था। उसे अपना किया बहुत गलत लग रहा था। पर वह कुछ कर भी नहीं सकता था। बेचैनी की वजह से उसे सिर में दर्द होने लगा। सिर दर्द होने की वजह से उसने सिमरन की दी हुई दवाई, जो कि वास्तव में ड्रग्स थी, ले ली। ड्रग्स के नशे की वजह से वह एक बार सब वाकिया भूल गया और उसे नींद आ गई।
अरुण के जाने के बाद सिमरन उस डॉन के अड्डे पर गई। त्रिपाठी भी पहले से वहीं था।
डॉन – सिमरन, काम अच्छे से हुआ?
त्रिपाठी – हां, हो गया।
डॉन – तुझसे पूछा? पहले भी तूने काम अच्छे से किए थे, फिर गड़बड़ कैसे हुई।
सिमरन – मैंने चैक कर लिया, सब अच्छे से हुआ है। डीवीडी आपकी टेबल पर है।
इतने में डॉन का फोन बजा। फोन उठाकर डॉन बोला – “हैलो,… येस बॉस,… येस,… येस,… हां सब हो जाएगा,… ओके,… पंद्रह दिन में थोड़ा मुश्किल है, पहले तो आपने आज से पच्चीस दिन
बाद का बोला था।… हां, चलो मैं सब संभाल लूंगा।… ओके ओके।”
डॉन – अब ये नई मुसीबत, हम सबको हमारा काम पंद्रह दिन में खत्म करना होगा, और ध्यान रहे कोई गलती नहीं। खास कर तुम, त्रिपाठी।
त्रिपाठी – सर, कोई गलती नहीं होगी, पर पंद्रह दिन कम नहीं है?
सिमरन – हो जाएगा।
डॉन – सिमरन, तुम पर मुझे पूरा भरोसा है। इस त्रिपाठी का भी ध्यान रखना, कोई गड़बड़ ना करे, हर बार ये गड़बड़ करता है।
सिमरन – हाहा, मैं ख्याल रखूंगी।
सिमरन बाहर निकलते ही अरुण को फोन लगाती है।
अरुण – हां सिमरन, बोलो।
सिमरन – तुम ठीक हो, अरुण?
अरुण – हां ठीक हूं। उसको ठिकाने लगा दिया?
सिमरन – हां, मैंने वही बताने के लिए तुम्हें फोन किया था, मेरे चाचा जी ने उस लाश को ठिकाने लगा दिया, अब तुम बिल्कुल भी टेंशन मत लेना और आराम से सो जाना।
अरुण – हां, और तुम भी अपना ख्याल रखना, लव यू।
सिमरन – लव यू टू, बाय।
फोन रखने के बाद सिमरन त्रिपाठी को कुछ समझाती है कि आगे क्या करना है। और उसके बाद त्रिपाठी और सिमरन अपने अपने घर चले जाते हैं।
अगले दिन अरुण कॉलेज नहीं गया। सिमरन को बिल्कुल भी समझ नहीं आ रहा था कि आखिर अरुण कॉलेज क्यूं नहीं आया। सिमरन ने अरुण को फोन लगाने की कोशिश की पर अरुण का फोन बंद आ रहा था। अरुण की क्लास में जाने पर सिमरन को पता लगा कि अमित भी कॉलेज नहीं आया है।
सिमरन को अरुण के घर का एड्रेस पता था। वो अरुण के घर चली गई। लक्ष्मी किचन साफ कर रही थी और राज ऑफिस के लिए निकल रहे थे। सिमरन ने डोरबेल बजाई।
लक्ष्मी – देखिए तो, कौन है?
राज – हां, देखता हूं।
राज ने गेट खोला।
सिमरन – अंकल अरुण है घर पर?
राज – हां, घर पर ही है। तुम कौन, मैंने पहचाना नहीं?
सिमरन – अंकल मैं सिमरन, अरुण की दोस्त।
राज – हां बताया था अरुण ने तुम्हारे बारे में।
सिमरन – मैं मिल सकती हूं अभी अरुण से?
राज – एक्चुअली अरुण की तबियत खराब है और वो सो रहा है। अगर कुछ अर्जेंट है तो उसे जगाऊं।
सिमरन – नहीं रहने दो, कुछ अर्जेंट नहीं है।
सिमरन वहां से निकली और तुरंत प्रोफेसर को फोन करके बोली, “अबॉर्ट द मिशन, आज अरुण कॉलेज नहीं आएगा।”
कहानी जारी रहेगी…
सिमरन ने जो डीवीडी डॉन को दी, उसमें क्या था? अमित कहां है? प्रोफेसर और सिमरन आगे क्या करने वाले हैं? जानने के लिए आपको पढ़ना होगा अगला पार्ट।
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