अब तक आपने पढ़ा:
अरुण और सिमरन, प्रोफेसर के साथ दिल्ली पहुंच चुके थे। अमित भी दिल्ली पहुंचकर उसी होटल में ठहरा जिस में वो लोग रुके हुए थे।
अब आगे:
अमित डिनर कर ही रहा था कि अरुण का फोन आया, “तुमने फोन किया था अमित?” अरुण ने पूछा।
अमित – हां, तुम सही सलामत पहुंच गए ना, बस यही कन्फर्म करने के लिए किया था।
अरुण – अच्छा, हम सही सलामत पहुंच गए हैं।
अमित – अभी तुम्हारा फोन बंद आ रहा था?
अरुण – हां वो हम लोग डिनर करने बाहर गए थे और फोन डिस्चार्ज था। अच्छा ठीक है, अब मैं रखता हूं।
अमित – ओके बाय। खयाल रखना।
अमित अब चैन की नींद सो गया। अगले दिन सुबह सिमरन ने अमित को देखा, जैसे ही अमित की नजर सिमरन पर गई, वो कहीं छुप गया। “मैनें तुम्हें देख लिया है, बाहर आ जाओ, अमित! छुपने से कोई फायदा नहीं है।” सिमरन बोली।
“नहीं, मैं छुप नहीं रहा था।” अमित बोला।
“हां दिख रहा था वो तो। तुम पीछा करते करते यहां तक आ गए।” सिमरन बोली।
“मुझे क्या पता तुम लोग भी इसी होटल में ठहरे हो, मैं तो पापा के काम से आया था।” अमित बोला।
“अच्छा तो तुम अपने पापा का काम करो और अरुण से दूर रहना वरना…” सिमरन बोली।
“वरना क्या?” अमित ने पूछा।
“अरुण तुम्हें जिंदा नहीं मिलेगा।” सिमरन बोली।
“तुम प्लीज़ अरुण को कुछ मत करना, मैं उस से दूर रहूंगा।” अमित बोला और चुप चाप अपने कमरे में जाकर बैठ गया।
सिमरन ने अब्दुल्लाह को फोन करके बोला, “अमित यहां आ गया है, जो भी करना है जल्दी करो, अरुण को ज्यादा देर होटल में रखा तो सारे प्लान पर पानी फिर जाएगा।”
“ठीक है, आधे घंटे में उसे किसी बहाने होटल से बाहर भेजो।” अब्दुल्लाह ने कहा।
“ओके” कहकर सिमरन ने फोन रख दिया।
उसके ठीक दस मिनट बाद सिमरन अरुण के रूम में पहुंची और अरुण से बोली, “अरुण मेरे फोन में रिचार्ज ख़तम हो गया है, प्लीज़ तुम मार्केट जा कर करवा दोगे।”
अरुण बोला, “इसमें मार्केट क्या जाना, ऑनलाइन कर देता हूं ना!” और अरुण ने तुरंत सिमरन के फोन पर रिचार्ज कर दिया।
“थैंक्स अरुण! मैं घर पर मैसेज कर लेती हूं, फिर अपने बात करेंगे।” सिमरन ने कहा।
“ओके” अरुण बोला।
सिमरन ने घर पर मैसेज करने के बहाने प्रोफेसर को मैसेज करके सारा प्लान समझा दिया। कुछ ही मिनट में प्रोफेसर अरुण के रूम में पहुंचा और बोला, “अरुण, मुझे प्रोजेक्ट तैयार करने के लिए कुछ सामान की जरूरत है, ये लिस्ट पकड़ो और प्लीज़ जल्दी जा कर ले आओ।”
अरुण बोला, “ओके सर”
अरुण सामान लेने के लिए निकल गया। वहां उसे दो लोगों ने जबरदस्ती एक गाड़ी में बैठा लिया और अब्दुल्लाह के अड्डे पर ले गए। “अरुण! घबराओ नहीं मैं तुम्हे छोड़ दूंगा। बस तुम्हें मेरे लिए एक छोटा सा काम करना होगा।”
“पर मैं क्या कर सकता हूं।” अरुण ने पूछा।
“एक छोटा सा बॉम्ब ब्लास्ट करना है। करोगे?” अब्दुल्लाह बोला।
“नहीं, मैं ये नहीं कर सकता।” अरुण ने जवाब दिया।
“तुम्हें करना होगा।” अब्दुल्लाह बोला।
“चाहे तुम इसके बदले मेरी जान क्यूं ना ले लो, मैं ऐसा कुछ भी नहीं करूंगा।” अरुण ने साफ मना कर दिया।
“अच्छा ठीक है, मैं भी देखता हूं तुम कैसे नहीं मानते।” अब्दुल्लाह बोला।
“ये काम तो तुम्हारा कोई भी आदमी कर सकता है, फिर तुम मुझे ही क्यूं बोल रहे हो? और अगर मैं कहीं पकड़ा गया तो?” अरुण ने पूछा।
“नहीं, ये काम तुम्हारे अलावा और कोई भी नहीं कर सकता। तुम्हें पता है 18 तारीख को दिल्ली में एक सिंगर का लाइव कंसर्ट होने वाला है। वहां सिक्योरिटी बहुत सख्त होने वाली है। हमारा कोई भी आदमी वहां नहीं घुस सकेगा।” अब्दुल्लाह बोला।
“तो फिर मैं कैसे जा सकुंगा?” अरुण बोला।
“पूरी बात तो सुन लो पहले। वहां सिक्योरिटी की जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस कमिश्नर की है, जो कि रिश्ते में तुम्हारे मामा लगते हैं। जब तुम वहां जाओगे, तो तुम अपने मामा जी से मिलोगे, और उनसे कहोगे कि तुम्हें प्रोग्राम देखना है पर तुम्हारे पास एंट्री पास नहीं है। तब वो तुम्हें वीआईपी एंट्री दिलवाएंगे, चूंकि कमिश्नर तुम्हारे साथ होंगे तो तुम्हारी कोई चैकिंग भी नहीं होगी और तुम अपने बैग में एक्सप्लोसिव (बम) ले जा सकोगे। बम तुम्हें अपनी कुर्सी के नीचे रख देना है। उसे एक्टिवेट करने का काम हमारा आदमी कर लेगा, जो कि पहले से वहां मौजूद होगा।” अब्दुल्लाह ने सब कुछ समझाया।
“तुम्हें क्या लगता है मैं ऐसा करूंगा।” अरुण बोला।
“तुम जरूर करोगे, बच्चे।” अब्दुल्लाह बोला और अरुण को अकेले एक कमरे में बन्द कर दिया।
वहां से निकलकर अब्दुल्लाह ने सिमरन को फोन किया, “ये लड़का तो मानने को ही तैयार नहीं है। पत्ते दिखा दूं?”
“प्ले ब्लाइंड… मैं आ रही हूं।” कहकर सिमरन ने फोन रख दिया।
उधर अरुण अपने मामा जी को फोन लगाने की कोशिश कर रहा था, पर उनका फोन व्यस्त आ रहा था। इतने में अब्दुल्लाह के किसी आदमी ने उसे फोन लगाते हुए देख लिया और उस से फोन छीन कर अब्दुल्लाह को इसके बारे में बताया।
कहानी जारी रहेगी…
अच्छा तो ये काम करवाना चाहते थे ये लोग। पर क्या ये कामयाब हो पाएंगे? पत्ते से अब्दुल्लाह का क्या मतलब था? क्या अरुण अपने मामा जी को इनफॉर्म कर पाएगा? जानने के लिए पढ़िए अगला पार्ट।
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