अब तक आपने पढ़ा:
अरुण को साइंस फेयर के नाम पर दिल्ली भेजने का प्लान सक्सेसफुल हो गया पर अमित को कुछ ना कुछ शक है इसलिए उसने खुद की दिल्ली तक की ट्रेन की टिकट बुक करवा ली। उधर उस ड्रग्स डीलर को पहले से दिल्ली भेज दिया था।
अब आगे:
डॉन के अड्डे से निकलने के बाद सिमरन ने अरुण को फोन किया और पूछा, “सारी तैयारी हो गई?”
अरुण – नहीं अभी तो मुझे मेरे लिए कपड़े लेने है, तुम्हें भी कुछ लेना हो तो सुबह साथ में शॉपिंग पर चलें।
सिमरन – हां, ठीक है, सुबह मिलते हैं।
अगले दिन अरुण और सिमरन साथ में शॉपिंग के लिए निकल गए। सिमरन अब तक रोज अरुण को किसी ना किसी बहाने ड्रग्स दे रही थी। आज भी सिमरन ने अरुण को कोल्ड ड्रिंक में मिलाकर ड्रग्स देनी चाही। पर अरुण ने कोल्ड ड्रिंक पीने से मना कर दिया। सिमरन और अरुण शॉपिंग करके अपने अपने घर को वापस चले गए पर इस बीच सिमरन को कोई मौका नहीं मिला अरुण को ड्रग्स देने का।
अगले दिन सुबह 2 बजे सिमरन कॉलेज पहुंची। प्रोफेसर पहले से ही उसका इन्तज़ार कर रहा था। सिमरन को देखते ही वो बोला, “आओ सिमरन, तुम मुझे मेरे काम की कीमत देने वाली थी।”
सिमरन – हां ये लो तुम्हारे पच्चीस हज़ार रुपए।
प्रोफेसर – और तुम बोनस का बोल रही थी, उसका क्या?
सिमरन – हां तो, बीस हज़ार की बात हुई थी, पांच हजार बोनस के ही तो दिए हैं।
प्रोफेसर – मुझे नहीं चाहिए ये बोनस, मुझे तो कुछ और चाहिए।
सिमरन – क्या?
प्रोफेसर सिमरन का हाथ पकड़ते हुए बोला, “ज्यादा भोली बनने का नाटक मत करो, तुम्हें पता है मुझे क्या चाहिए।”
सिमरन – छोड़ो मुझे, कोई देख लेगा।
प्रोफेसर – इतनी रात में कौन देखेगा, अरुण के आने में अभी एक घंटा बाकी है।
सिमरन – अच्छा ठीक है, जो करना है जल्दी करो।
प्रोफेसर सिमरन को अपनी बाहों में भर लेता है तभी अचानक आवाज आती है, “ये क्या हो रहा है यहां?”
प्रोफेसर – कौन है वहां?
सिमरन थोड़ा बाहर की तरफ जाकर देखती है तो पता चलता है ये तो अमित है।
सिमरन – आओ, अमित जी। कैसे हो आप?
अमित – मैं ठीक हूं, क्या हो रहा था यहां? और तुम अरुण को दिल्ली क्यूं ले जाना चाहती हो?
सिमरन हंसते हुए बोली, “वही हो रहा था जो तुमने देखा। और अरुण साइंस फेयर के लिए जा रहा है, तुम्हें यही बताया था ना उसने?”
अमित – अगर मैं अरुण को तुम्हारी इन करतूतों के बारे में बता दूं तो वह तुम पर भरोसा नहीं करेगा और तुम्हारे साथ चलने से इंकार कर देगा।
सिमरन – तुम्हें लगता है अरुण तुम्हारी बात पर यकीन करेगा?
अमित एकदम चुप हो गया और साइड में होकर अपने फोन में लग गया। कुछ देर बाद अरुण आ गया और आते ही बोला, “अरे आप सब लोग तो पहले से यहां तैयार खड़े हो!”
सिमरन – हां अरुण, कब से तुम्हारा इंतज़ार हो रहा है यहां!
अरुण – थैंक्स सिमरन! अमित, तुम्हें पता है, मैंने इन दिनों तुम्हें कितना मिस किया।
अमित – हां मैंने भी तुम्हें मिस किया।
प्रोफेसर – फ्लाइट का टाइम हो रहा है। चलें।
अरुण – हां चलो, अमित तुम भी एयरपोर्ट तक चलो।
अमित – हां, ठीक है।
सब लोग एयरपोर्ट पहुंचे और वहां अमित ने उन तीनों से विदा ली। उसके बाद तीनों प्लेन में जाकर बैठ गए। और प्लेन दिल्ली के लिए रवाना हो गया।
इनके दिल्ली पहुंचने से पहले वहां क्या चल रहा है, ये भी जान लेते हैं।
“वो तीनों दिल्ली के लिए रवाना हो चुके हैं।” ड्रग्स सप्लायर बोला।
“बहुत अच्छे” सामने से एक भरी सी आवाज।
आस पास के इलाके का जायजा लेने पर पता चलता है यह कोई ट्रेनिंग कैंप है जहां लोगों को हथियार चलाने सिखाए जाते हैं। जगह काफी खुफिया सी प्रतीत हो रही है। शायद यह कोई आतंकवादी अड्डा है। वह आवाज बहुत बड़े आतंकवादी संगठन आईएसआई के मुखिया के लेफ्ट हैंड अब्दुल्लाह खान की है।
ड्रग्स सप्लायर – बॉस इनको अभी यहां लाना है क्या?
अब्दुल्लाह – मूर्ख हो क्या, एक बार उनको किसी होटल में ठहराओ, सही वक़्त आने पर उनको यहां बुलवा लूंगा।
ड्रग्स सप्लायर – ओके बॉस।
अमित भी वहां से दिल्ली के लिए रवाना हो गया। अमित ने पहले से ही अरुण के मोबाइल की जीपीएस लोकेशन अपने मोबाइल पर शेयर कर रखी थी। अरुण, सिमरन और त्रिपाठी जैसे ही दिल्ली पहुंचे, वह ड्रग्स सप्लायर उन्हें लेने एयरपोर्ट पहुंच गया और किसी अच्छे होटल में उनके रहने का बंदोबस्त किया। अरुण उसे पहचान नहीं पाया क्यूंकि इस से पहले अरुण जब भी उस से मिला था तब उसका चेहरा ढका होता था।
उधर, अमित को उनके होटल की डिटेल्स पता लग गई तो उसने फोन से ही उसी होटल में अपने लिए एक रूम बुक करवा लिया। ना जाने अमित के दिमाग में क्या चल रहा था। उसे किसी खतरे के आने का आभास हो रहा था। जैसे तैसे वह भी शाम तक उस होटल में पहुंच गया। वहां जाकर उसने अरुण की लोकेशन देखी तो उसने पाया कि अरुण का मोबाइल होटल से 30 किलोमीटर दूरी पर आधे घंटे से बंद है। उसने अरुण को फोन लगाया तो उसका फोन भी स्विच ऑफ आ रहा था। फिर अमित नहा धोकर फ्रेश हुआ और सुबह से भूखा होने की वजह से डिनर करने चला गया पर टेंशन की वजह से कुछ खास खा भी नहीं पाया।
कहानी जारी रहेगी…
अब इस टेररिस्ट का इन सब से क्या लेना देना है? क्या अमित कुछ कर पाएगा? और अरुण अभी कहां है? जानने के लिए पढ़ें अगला पार्ट।
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