अब तक आपने पढ़ा:
अमित पार्किंग में वही बाइक देखता है जो पहले अरुण के घर कोई छोड़ गया था। पर वो बाइक अरुण को घर छोड़ के आने के चक्कर में हाथ से निकल जाती है।
अब आगे:
अमित निराश हो गया था क्यूंकि अमित के हाथ से वो बाइक निकल गई थी। कुछ देर सोचते सोचते अमित के दिमाग में एक आइडिया आया।
वह सीसीटीवी कंट्रोल रूम में गया और सीसीटीवी कंट्रोलर शर्मा जी को बोला, “सर, मैं मेरा बैग पार्किंग में भूल गया था, अभी मिल नहीं रहा, क्या आप मुझे दो मिनट चैक करने दे सकते हैं, प्लीज़?”
शर्मा जी बोले, “नहीं, पहले ऑफिस में इनफॉर्म करो, आगे की प्रोसेस वो देख लेंगे।”
अमित बोला, “प्लीज़ सर!”
शर्मा जी बोले, “बिल्कुल नहीं।”
अमित पांच सौ रुपए का नोट देते हुए बोला, “आप ये रखो और मुझे चैक करने दो।”
शर्मा जी धीरे से बोले, “अच्छा ठीक है, पर जल्दी करो।”
अमित सीसीटीवी फुटेज चैक करता है तो देखता है कि वह बाइक प्रो. त्रिपाठी लाए थे। अब अमित के दिमाग में कई सवाल घूम रहे थे। क्या वो व्यक्ति जिसने अरुण को फोन किया था, अपना काम प्रोफ़ेसर के जरिए करवाना चाहता है? या वह व्यक्ति प्रो. त्रिपाठी ही है? या त्रिपाठी उस व्यक्ति से मिला हुआ है? अमित सवालों में काफी उलझ चुका था।
“ओ भाई, बस अब बहुत हो गया, अब निकलो।” शर्मा जी बोले।
शर्मा जी की आवाज़ सुनकर अमित विचारों से बाहर आया।
“हां जाता हूं, थैंक्स शर्मा जी।” कहकर अमित सीसीटीवी कंट्रोल रूम से बाहर चला आया।
अमित घर चला गया और उसने शाम के वक़्त अरुण से इस मामले में बात करने की सोची।
उधर अरुण ड्रग्स के नशे में अब तक सो रहा था। शाम को अमित अरुण के पास आया और उसे उठाया। अरुण और अमित ने साथ में नाश्ता किया और अरुण के कमरे में जाकर बैठ गए।
अमित – यार तुझसे कुछ बात करनी थी।
अरुण – नहीं तू पहले मेरी बात सुन।
अमित – अच्छा ठीक है, सुना।
अरुण – मैंने एक डिसीजन लिया है।
अमित – क्या?
अरुण – मैं सिमरन से शादी करूंगा, हम दोनों बहुत खुश रहेंगे। मज़ा आएगा।
अमित – अच्छा कर लेना, पर तू मेरी बात तो सुन।
अरुण – नहीं मुझे कुछ नहीं सुनना मैं सिर्फ सिमरन की बात करूंगा, उसके अलावा और कोई बात नहीं करूंगा।
अमित को अरुण का स्वभाव काफी देर से अजीब लग रहा था पर अब तो कन्फर्म हो गया था कि जरूर कुछ ना कुछ गड़बड़ है।
अमित – अच्छा तुम्हारा सिर का दर्द कैसा है अब?
अरुण – सिमरन की वजह से एकदम ठीक है।
अमित – क्या? सिमरन की वजह से?
अरुण – हां, सिमरन ने मुझे दवाई दी थी। कितनी अच्छी है ना वो, मेरी कितनी केयर करती है।
अमित – कौनसी दवाई दी थी?
अरुण – मुझे नहीं पता, मेरे पास और भी है, फिर कभी सिर दर्द हो तो ले लूंगा।
अमित – अच्छा एक मुझे देना मेरा भी थोड़ा सिर दर्द हो रहा है।
अरुण – सिर्फ एक ही दूंगा।
अमित – ओके दे तो सही।
अमित अरुण से एक कैप्सूल ले लेता है और अरुण को सुला कर वहां से किसी डॉक्टर को मिलने जाता है। वह डॉक्टर को वो कैप्सूल दिखाता है तो डॉक्टर उस कैप्सूल को लैब टेस्टिंग के लिए भेज देता है। करीब 1 घंटा इंतजार करने के बाद लैब की रिपोर्ट आती है। रिपोर्ट देखकर डॉक्टर अमित को बताता है कि यह ड्रग्स है और वह अमित को उसके बारे में पूरी जानकारी देता है।
अमित को लगातार एक के बाद एक झटके मिलते जा रहे थे। अमित अब घर आकर बैठे बैठे सब कड़ियों को जोड़ने की कोशिश कर रहा था। अरुण के घर बाइक आना, अरुण का काम के लिए मना करना, सिमरन का अरुण की जिंदगी में आना, सिमरन का अरुण से ड्रग्स सप्लाई करवाना, सिमरन का अरुण को ड्रग्स देना, प्रोफेसर का वही बाइक लेकर आना। अचानक अमित को याद आता है सिमरन अक्सर स्टाफ रूम में भी जाया करती थी और कभी किसी तो कभी किसी बहाने से प्रोफेसर त्रिपाठी से मिला करती थी।
अमित को अब कहानी कुछ कुछ समझ आने लगी थी। प्रोफेसर त्रिपाठी और सिमरन दोनों आपस में मिले हुए थे। प्रोफेसर त्रिपाठी का अरुण को क्लास से निकालना ताकि अरुण सिमरन से मिल सके। पर कुछ सवाल अब भी सवाल ही थे, आखिर सिमरन ऐसा क्यों कर रही थी। ऐसा क्या काम है जो सिर्फ अरुण ही कर सकता है जिसके लिए इतना बड़ा गेम खेला जा रहा है। इसके पीछे और कौन कौन है? इस तरह के सवाल अमित को अंदर तक खाए जा रहे थे।
इस तरह सोचते सोचते अमित को नींद आ गई। अगले दिन सुबह अमित ने सोचा कि अरुण अब नशे से बाहर होगा तो वह उस से बात कर सकता है। अमित ने अरुण को फोन किया तो उसने बताया कि वह पहले ही कॉलेज पहुंच चुका है और उसने उसे कॉलेज आने के लिए कहा। अमित जल्दी से तैयार होकर कॉलेज पहुंचा।
उधर, अरुण सिमरन के पास बैठा था। सिमरन ने अरुण से पूछा, “आज दवाई ली क्या?”
तो अरुण ने जवाब दिया, “नहीं, अब सिर में दर्द नहीं है।”
इस पर सिमरन बोली, “कोई बात नहीं फिर भी दवाई ले लो।”
अरुण ने फिर से ड्रग्स ले ली।
कहानी जारी रहेगी…
क्या अमित अरुण को कुछ समझा पाएगा? क्या अमित को यह पता लगेगा कि इसके पीछे और कौन कौन है? जानने के लिए मिलेंगे अगले पार्ट में।
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