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अमित ने अरुण को सिमरन से दूर रहने के लिए समझाया पर वो नहीं माना। उसके बाद अमित ने सिमरन पर नजर रखनी शुरू की जिसका भी कुछ खास फायदा नहीं दिखाई दे रहा था।
अब आगे:
अमित अब हार मान चुका था। उसे लगने लगा था कि वह जो सोच रहा था, वैसा कुछ नहीं है। वह यह मान चुका था कि सिमरन से अरुण को कोई प्रॉब्लम नहीं होगी।
अरुण का सिमरन के साथ लगाव दिनों दिन बढ़ता जा रहा था। वह उसे बेहद चाहने लगा था। सिमरन के बिना एक पल निकालना भी उसे बहुत मुश्किल लगने लगा था। अरुण पूरा दिन कॉलेज में सिमरन के साथ रहता तो शाम को उसके साथ फोन पर बातें करता रहता।
ऐसे ही कुछ दिन और बीतने के बाद एक दिन अरुण कॉलेज नहीं आया। सिमरन अरुण को ढूंढ़ते हुए अमित के पास पहुंची और उसको पूछा, “अरुण कहां है?”
“तुम्हारे साथ नहीं है?” अमित ने पूछा।
“नहीं, और मेरा फोन भी नहीं उठा रहा।” सिमरन ने बोला।
“चलो मैं उसके घर पर फोन करके पता करता हूं।” अमित बोला और फोन लगाने लगा।
अमित ने घर पर बात की तो लक्ष्मी ने बताया कि अरुण को तेज सिर दर्द हो रहा था तो वह कॉलेज नहीं आया।
सिमरन ने अमित को बोला कि मुझे अरुण से बात करवाओ।
अमित ने फोन पर बोला, “आंटी अरुण से बात हो सकती है? कुछ काम था।”
अभी करवाती हूं बोलकर लक्ष्मी ने फोन अरुण को दे दिया।
“हैलो” फोन से अरुण की आवाज आई।
“हैलो अरुण! सिमरन तुमसे..” अमित बोल ही रहा था कि बीच में सिमरन ने अमित से फोन छीन लिया और बोली, “हैलो अरुण, तुम ठीक तो हो ना!”
“हां ठीक हूं, बस थोड़ा सिर दर्द है।” अरुण ने जवाब दिया।
“थोड़ी देर कॉलेज आ सकते हो प्लीज़।” सिमरन बोली।
“ओके आ रहा हूं।” अरुण बोला और फोन रख दिया।
सिमरन ने अमित को उसका फोन दिया और थैंक्स बोलकर चली गई।
थोड़ी देर बाद अरुण आ गया। सिमरन अरुण का इंतजार ही कर रही थी। अरुण के आते ही वह उसको लेकर कैंटीन में चली गई। उसको बैठाया और उसके लिए कॉफी ले आई।
“थैंक्स” अरुण बोला।
“अरे तुम क्यों थैंक्स बोल रहे हो। थैंक्स तो मुझे बोलना चाहिए जो तुम मेरे लिए आए। और सॉरी भी मैंने तुम्हें बेवजह परेशान किया।” सिमरन बोली।
“कोई बात नहीं।” अरुण बोला।
“अभी भी सिर में दर्द है?” सिमरन ने पूछा।
“हां” अरुण ने जवाब दिया।
“ये दवाई ले लो, ठीक हो जाओगे।” सिमरन अपने पर्स में से एक कैप्सूल निकालते हुए बोली।
अरुण ने वो कैप्सूल ले लिया। सिमरन ने पहले से ही कुछ कैप्सूल में ड्रग्स भरकर रख रखी थी। अरुण को ड्रग्स के नशे की वजह से सिर दर्द में आराम मिला, तो उसने सिमरन से सारे कैप्सूल ले लिए। सिमरन ने उसको बोला, “एक दिन में एक से ज्यादा मत लेना, वरना ओवरडोज हो जाएगा।”
“जैसा तुम कहो।” अरुण बोला।
अरुण और सिमरन काफी देर तक बातें करते रहे।
उधर, अमित को यह बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही थी कि सिमरन ने अरुण को उसकी तबीयत खराब होने के बावजूद बुलाया। उसको इस बात की वजह से फिर से दाल में कुछ काला लगने लगा। वह इस बारे में सोचता हुआ कॉलेज में इधर उधर घूम रहा था कि अचानक उसकी नजर पार्किंग में खड़ी एक बाइक की तरफ गई। यह वही बाइक थी जो उस दिन अरुण के लिए किसी ने छोड़ी थी। अमित को यकीन नहीं हो रहा था। अमित दौड़कर कन्फर्म करने के लिए उस बाइक के पास गया। अमित हैरान था कि आखिर कौन इस बाइक को यहां ला सकता है। उसने पता करने के लिए बाइक पर नजर रखने की सोची ताकि जब भी कोई ले जाए तो यह पता लगाया जा सके कि उस दिन अरुण के घर बाइक कौन रख कर गया था। इसलिए अमित वहीं पार्किंग में इधर उधर घूमता रहा।
कुछ देर में अमित के पास अरुण का फोन आया। अरुण ने पूछा, “कहां हो?”
“पार्किंग में हूं।” अमित ने जवाब दिया।
“अच्छा मैं आता हूं।” अरुण बोला।
“क्यूं, क्या हुआ?” अमित ने पूछा।
“मुझे घर जाना है, तुम मुझे घर छोड़ देना।” अरुण ने जवाब दिया।
“पर अभी तो छुट्टी होने में आधा घंटा बाकी है” अमित बोला।
“मुझे नींद आ रही है, तुम मुझे अभी छोड़ आओ।” अरुण बोला।
“अच्छा ठीक है, जल्दी आओ।” बोलकर अमित ने फोन रख दिया।
अमित को यह जानना था कि वो बाइक कॉलेज में कौन लाया है और अरुण को घर छोड़ कर आना भी जरूरी था। अरुण का घर कॉलेज से 20 मिनट की दूरी पर था, तो उसको घर छोड़ कर वापस आने में 40 मिनट लग जाने थे। और कॉलेज की छुट्टी होते ही बाइक निकल सकती थी। अमित यह सब सोच रहा था इतने में अरुण आ गया। अमित अरुण को घर छोड़ने के लिए निकल गया। अमित काफी स्पीड में बाइक चलाने लगा। तभी अरुण बोला, “थोड़ा धीरे चलो, ज्यादा स्पीड में चक्कर आ रहे हैं” मजबूरन अमित को धीरे चलना पड़ा। अमित अरुण को घर के अंदर तक छोड़ कर आया। वापस आते वक़्त वह जितना हो सके उतना स्पीड में आया पर तब तक कॉलेज की छुट्टी हुए को पांच मिनट हो चुके थे। उसने पार्किंग में देखा तो वह बाइक भी जा चुकी थी। अमित निराश था।
कहानी जारी रहेगी…
क्या अमित उस बाइक वाले को ढूंढ़ पाएगा? सिमरन ने अरुण को ड्रग्स क्यूं दिए? यह सब जानने के लिए आपको पढ़ना होगा अगला पार्ट।
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