अब तक आपने पढ़ा:
अरुण सिमरन के दिए हुए पैकेट की डिलीवरी करने जाता है। वहां उसे किसी गैर कानूनी काम का आभास होता है।
अब आगे:
“अच्छा तो तुम्हें भेजा है सिमरन ने” कुर्सी पर बैठा आदमी बोला।
“जी” अरुण ने कहा।
“बैठो!” उसने कुर्सी की तरफ इशारा करते हुए कहा।
“नहीं, मुझे देर हो रही है, आप ये पैकेट रख लीजिए, मैं जाता हूं।” अरुण बोला।
“अच्छा ठीक है।” बोलते हुए उसने अरुण से पैकेट ले लिया।
अरुण जल्दी से वहां से निकल गया। बाहर निकलते ही अमित का फोन आता है।
“हैलो कहां हो?” अमित ने पूछा।
“आ रहा हूं पांच मिनट रुको।” अरुण ने बोला।
“ओके” कहकर अमित ने फोन रख दिया।
अगले दिन सुबह कॉलेज आते ही सिमरन अरुण को मिली। तब अरुण ने अमित को भी उस से मिलवाया। फिर अरुण ने अमित को क्लास में चले जाने को कहा और यह बोल दिया कि आज फिर से मैं क्लास में नहीं आऊंगा। अरुण और सिमरन कॉलेज से बाहर किसी पार्क में जाकर बातें करने लगे। कुछ देर नॉर्मल बात करने के बाद अरुण ने पूछा, “तुम्हारा उन सब से क्या लेना देना है?”
सिमरन – किन सब से?
अरुण – वही जहां तुमने मुझे वो पैकेट पहुंचाने को बोला था, मुझे वो लोग कुछ ठीक नहीं लगे।
सिमरन – अच्छा वो, एक्चुअली जिस आदमी को तुमने वो पैकेट दिया था, वो मेरे चाचा जी हैं।
अरुण – क्या? मजाक कर रही हो ना तुम?
सिमरन – नहीं, सच में, वो मेरे चाचा जी हैं। पता नहीं कहां से वो इन सब कामों में पड़ गए। मेरे पापा भी अक्सर उनको लेकर परेशान रहते हैं, वो उन्हें हमेशा एक इज्जत भरी जिंदगी गुजारने की सीख देते हैं पर उनके कानों पर से जूं तक नहीं रेंगती। कल जो पैकेट मैंने तुम्हें दिया था, उसमें ड्रग्स थे। असल में जो आदमी उन तक ड्रग्स पहुंचाता था, पुलिस उसका चेहरा देख चुकी है और उसकी तलाश के लिए उस एरिया में नाकाबंदी कर रखी है। तो चाचा जी ने मुझे वो पैकेट उन तक पहुंचाने के लिए बोला था। थैंक यू सो मच, तुमने मेरी इतनी हेल्प की।
अरुण – अच्छा ये बात है।
सिमरन – हां और आगे से कभी ऐसा कुछ काम हुआ तो तुम करोगे ना, प्लीज़, मैं प्रोमिस करती हूं तुम्हें इन सब से कोई प्रॉब्लम नहीं होगी, बस कुछ दिन की ही बात है।
अरुण – ओके, सिर्फ तुम्हारे लिए, मैं तैयार हूं।
सिमरन – यू आर सो स्वीट अरुण, यू आर माई बेस्ट फ्रेंड।
अब अरुण सिमरन से लगभग रोज मिलने लगा था। वो सिमरन को अपनी सबसे अच्छी दोस्त मानना शुरू कर चुका था। हफ्ते में दो तीन बार उसके हाथों सिमरन ड्रग्स की सप्लाई भी करवाने लगी।
उधर, अमित को अकेला अकेला सा महसूस होने लगा था। अमित को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि उसका दोस्त ड्रग्स सप्लाई कर रहा है। पर उसको सिमरन का साथ अरुण के लिए सही नहीं लग रहा था। पर वह अरुण को खुश देखकर उस से इस बारे में कुछ बोल भी नहीं पा रहा था।
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। एक दिन अमित ने कॉलेज के मेन गेट के बाहर सिमरन को किसी से एक पैकेट लेते हुए देखा। उसको वो आदमी सही नहीं लगा। अमित ने सोचा कि वो शाम को अरुण से इस बारे में बात करेगा।
शाम को अमित अरुण के घर गया और उसको बोला “चल कहीं घूम कर आते हैं।”
“चलो” कहकर अरुण साथ चल दिया।
चलते चलते अमित काफी देर तक इधर उधर की बातें करता रहा। फिर अचानक मुद्दे पर आकर बोला, “अरुण सिमरन मुझे कुछ ठीक नहीं लगती।”
“क्यूं भई, क्या बुराई है उसमें” अरुण बोला।
“यार आज मैंने उसको कॉलेज के बाहर किसी आदमी से एक पैकेट लेते हुए देखा था। वो आदमी कुछ ठीक नहीं लग रहा था। शायद वो किसी गैर कानूनी काम से जुड़ी हुई है” अमित ने अपनी बात रखी।
“मुझे पहले से पता है उस पैकेट के बारे में। उसमें ड्रग्स थी। और सिमरन ये सब काम हमेशा नहीं करती, अपने चाचा जी की मदद करने के लिए बस कुछ टाइम के लिए और मैं भी उसकी मदद कर रहा हूं।” अरुण ने जवाब दिया।
“अच्छा ठीक है, पर फिर भी मुझे सिमरन ठीक नहीं लगती तू प्लीज़ उस से थोड़ा दूर रहने की कोशिश कर” अमित ने समझाने की कोशिश की।
“सिमरन के बारे में कुछ मत बोलो, अब वो भी मेरी दोस्त है।” अरुण ने अमित की सारी बात अनसुनी कर दी।
“अच्छा जैसी तुम्हारी मर्जी” अमित ने बोल दिया।
अरुण तो अमित की एक भी सुनने को तैयार नहीं था।वह तो बस सिमरन के मोह जाल में फसने लगा था। अमित को दाल में कुछ ना कुछ काला लग रहा था। वह सिमरन के बारे में सब कुछ पता करने की सोचने लगा। साथ ही अमित को डर भी लग रहा था कि कहीं उसका दोस्त कुछ गलत ना कर बैठे। खैर अगले दिन से अमित ने सिमरन पर नज़र रखनी चालू कर दी, पर उसको सिमरन के बारे में कुछ भी संदेहजनक जानकारी नहीं मिल रही थी। सिमरन ज्यादातर समय अरुण के साथ बिताती थी। बचा हुआ टाइम वो क्लास में रहती थी।
कहानी जारी रहेगी…
क्या अमित को सिमरन के बारे में कुछ पता लगेगा? क्या सिमरन अरुण को इस्तेमाल कर रही है? या सिमरन खुद ये सब करने के लिए मजबूर है? जानने के लिए आपको अगला पार्ट पढ़ना होगा।
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