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ऑफिस में अभी टाइम था तो घनश्याम पास में किसी रेस्टोरेंट पर खाना खाने चला गया। वहां किसी आदमी से उसकी बहस हो गई और ऑफिस में जाने पर वही आदमी उसका बॉस निकला।
अब आगे:
“इतना क्या डर गए जैसे कोई भूत देख लिया हो।” बॉस बोला।
“कुछ नहीं।” घनश्याम थोड़ा नॉर्मल होकर बोला।
असल में घनश्याम बिल्कुल भी डरपोक किस्म का इन्सान नहीं है। पर परिस्थिति किसी को भी डरा सकती है। घनश्याम बॉस से नहीं नौकरी खो जाने से डर रहा था। क्यूंकि उसे लगता था कि उसे बड़ी मुश्किल से एक जॉब मिली है और अगर यह जॉब भी उसके हाथ से चली गई तो उसे फिर से बेरोजगार होना पड़ेगा और किसी नई जॉब के लिए इधर उधर भटकना पड़ेगा।
“अच्छा घनश्याम तो अब तुम जा सकते हो।” बॉस बोला।
“क.. क.. क्यूं स.. सर?” घनश्याम बोला।
“वो क्या है ना, मेरी आदत है सिगरेट पीने की और तुम्हें सिगरेट से एलर्जी है। तो तुम यहां बिल्कुल भी एडजस्ट नहीं कर पाओगे। इसलिए तुम्हारे लिए अच्छा यही है कि तुम यहां से चले जाओ।” बॉस बोला।
“नहीं सर, प्लीज़ ऐसा मत बोलिए। मैं कर लूंगा यहां एडजस्ट।” घनश्याम बोला।
“अरे तुम्हारे भले के लिए ही बोल रहा हूं।” बॉस बोला।
“सर प्लीज समझिए मेरी हालत। मैं ये जॉब किसी भी हाल में करूंगा।” घनश्याम बोला।
“अच्छा ठीक है भई कर लो, मैंने कब रोका तुम्हें, देखो मेरी तुमसे कोई दुश्मनी तो है नहीं, और वैसे भी प्रोफेशनल लाइफ अपनी जगह और पर्सनल लाइफ अपनी जगह।” बॉस बोला।
“थैंक यू सो मच सर।” घनश्याम बोला।
“पहले पूरी बात तो सुन ले।” बॉस बोला।
“सॉरी सर” घनश्याम बोला।
“आज की बात मैं भूलने वाला भी नहीं हूं। अगर जॉब में रहना है तो काम ठीक से करना होगा। जरा सी भी गलती हुई तो ये जॉब गई तुम्हारे हाथ से।” बॉस बोला।
“मैं पूरा ख्याल रखूंगा सर।” घनश्याम बोला।
“ठीक है तो मेरी सेक्रेट्री तुम्हें सारा काम अच्छे से समझा देगी। ऑल द बेस्ट।” बॉस बोला।
बॉस ने अपनी सेक्रेट्री को बुलाया और घनश्याम को उसका काम समझाने के लिए बोल दिया। वह घनश्याम को वहां से ले गई और उसे उसका काम समझा दिया, साथ ही आने का टाइम, जाने का टाइम और लंच टाइम वगेरह सब समझा दिया। उसके बाद घनश्याम ने पूरा दिन मन लगाकर काम किया और शाम तक पूरी तरह से थक गया।
घनश्याम ने घर की बेल बजाई तो प्रीति ने दरवाजा खोला। दरवाजा खोलते हुए वह बोली, “तो कैसा रहा पहला दिन।”
घनश्याम ने कोई जवाब नहीं दिया।
इस पर वह बोली, “बहुत अकड़ आ गई लगता है, ठीक है मत बताओ।”
घनश्याम बोला, “थक गया हूं, पहले मैं नहा लेता हूं, उसके बाद बात करें।”
प्रीति बोली, “अच्छा ठीक है, जैसी तुम्हारी मर्जी।”
घनश्याम नहा धो कर फ्रेश हुआ और थोड़ा रिलेक्स महसूस करने लगा। इसके बाद वह प्रीति को बोला, “मैं बाहर जा रहा हूं।”
“पर जवाब तो दे देते” प्रीति बोली।
“अच्छा गया दिन, पूरी स्टोरी रात को डिनर के वक्त सुनाता हूं।” घनश्याम बोला।
“ओके, खाने से पहले घर आ जाना।” प्रीति बोली।
घनश्याम घर से निकलकर रोहन के घर चला गया। रोहन घनश्याम को देखते ही बोला, “आओ भाई घनश्याम, कैसा रहा पहला दिन।”
“क्या बताऊं यार, बड़ा ही खतरनाक।” घनश्याम ने जवाब दिया।
“खतरनाक! वो कैसे?” रोहन ने आश्चर्य से पूछा।
“बैठने के लिए नहीं बोलोगे? बैठकर सुनाता हूं।” घनश्याम बोला।
“अरे ये भी कोई कहने की बात है? आओ बैठो।” रोहन बोला।
दोनों सोफे पर बैठ गए और घनश्याम ने रोहन को पूरे दिन की कथा सुनाई। रोहन ने भी पूरी बात बड़े ध्यान से सुनी। उसके बाद वह खिलखिलाकर हंसने लगा।
“अरे क्या हुआ? हंस क्यूं रहे हो?” घनश्याम बोला।
“कुछ नहीं यार तुम्हें क्या जरूरत थी उस से लड़ने की? बेचारा सिगरेट ही तो पी रहा था।” रोहन बोला।
“अरे यार तुमको तो पता है ना मुझे सिगरेट से कितनी प्रॉब्लम होती है।” घनश्याम बोला।
“हां सो तो है।” रोहन बोला।
“तो फिर…” घनश्याम बोला।
“अच्छा अब एक बात का खास ख्याल रखना।” रोहन बोला।
“कौनसी?” घनश्याम बोला।
“तुम्हारे बॉस को कोई शिकायत का मौका मत देना वरना पता नहीं क्या होगा।” रोहन बोला।
“हां इसका ध्यान तो रखना पड़ेगा ना, चलो अब मैं चलता हूं बहुत थक गया हूं।” घनश्याम बोला।
“ठीक है, ख्याल रखना अपना।” रोहन बोला।
उसके बाद घनश्याम घर चला गया और सब के साथ बैठकर खाना खाया। साथ में अपने पहले दिन के बारे में भी बताया। वैसे घनश्याम बिल्कुल सीधा लड़का है और अपनी फैमिली में किसी से भी कोई बात छुपाता नहीं है।
क्यूंकि घनश्याम बहुत थक चुका था, इसलिए वह जल्दी सो गया।
कहानी जारी रहेगी…
आज तो घनश्याम बच ही गया पर दोस्तों क्या लगता है क्या होने वाला है अगले चैप्टर में, कॉमेंट करके जरूर बताएं।
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