अब तक आपने पढ़ा:
एक के बाद एक अजीबोगरीब हादसे हो रहे थे। यश गायब हो गया। आरव और सागर को एक और व्यक्ति मिला जिसके तीन साथी मारे जा चुके थे और एक साथी गायब था। सागर आराम करने के लिए थोड़ा रुका।
अब आगे:
बैठते ही उसने अपने बाजू में देखा तो उसके मुंह से आवाज तक भी नहीं निकली। वह आरव को हाथ से हिलाकर बुलाने लगा तब आरव बोला, “क्या हुआ, कुछ बोल ना! ऐसे इशारे क्यों कर रहा है?”
आरव ने नीचे देखा तो उसका भी वही हाल। नीचे जमीन पर खून से सना हुआ एक हाथ पड़ा था। जिसको देख के अंदाजा लग रहा था कि मरने वाले को कितनी बेरहमी से मारा होगा। बड़ा ही खौफनाक दृश्य था। वे सब उसे देखकर दूर हट गए।
“किसी लड़की का हाथ लग रहा है।” नंदू बोला।
“चुप नंदू, ये… ये.. रूही… रूही का हाथ नहीं है।” आरव बोला।
“हो भी सकता है।” सागर बोला।
आरव हाथ को ध्यान से देखे जा रहा था। वह खुद को समझाने के लिए बोल रहा था कि यह हाथ रूही का नहीं है पर उसे भी यही लग रहा था कि यह हाथ उसी का है। कुछ देर ध्यान से देखने पर वह बोला, “यह हाथ रूही का नहीं है। ध्यान से देखो, इसके हाथ में घड़ी पहनी है। पर रूही घड़ी पहनती ही नहीं और ना ही रूही ने घड़ी पहन रखी थी।”
यह पता लगना कि वह हाथ रूही का नहीं है, उनके मन में रूही के जिंदा होने की उम्मीद जगा रहा था। यह उम्मीद उनके मन में को खौफ था, वह तो कम नहीं कर सकती थी, पर एक हल्की सी मुस्कान आरव और सागर के चेहरे पर आ चुकी थी।
वे लोग फिर से गाड़ी की तरफ बढ़ने लगे। अब ये समझ पाना काफी मुश्किल लग रहा था कि ये लोग भागते भागते वास्तव में इतनी दूर आ गए थे या फिर ये रास्ता ही पहले से कुछ ज्यादा लम्बा हो गया। या फिर कहीं ये लोग रास्ता भटक तो नहीं गए। खैर, इस उम्मीद के साथ कि वे सही दिशा में बढ़ रहे हैं वे लोग आगे बढ़ते गए। क्यूंकि इसके अलावा और कोई चारा भी तो नहीं था।
कुछ दूर चलने पर उन्हें एक पेड़ पर कुछ लटकता हुआ दिखाई दिया। थोड़ा नजदीक जाने पर दिखाई देने लगा कि किसी लड़की कि लाश पेड़ पर लटक रही है। वे भागकर उस पेड़ की तरफ गए और देखा तो पाया कि यह तो रूही थी। और उसका पूरा शरीर था तो ना तो इसमें खुद को समझा सकते थे और ना ही सांत्वना दे पा रहे थे।
कुछ देर मेहनत करने के बाद उन्होंने उसे पेड़ से नीचे उतारा और उसे संभालने लगे, आवाजें देने लगे। उसकी सांसे थम चुकी थी, पर फिर भी उन्होंने अच्छे से जांचा कि शायद वह जिंदा हो। पर क्या फायदा होता? जो हो चुका है, उसको बदलने की ताक़त तो किसी में भी नहीं। वह मृत थी और अब चाहे कुछ भी कर लो, वह जिंदा नहीं होने वाली। पर आरव और सागर का मायूस होना तो बनता ही था। वे दोनों वहीं जमीन पर बैठ गए और एक दूसरे के सामने रोने लगे जबकि वहीं नंदू उन दोनों को देख रहा था।
सागर आरव से बोलने लगा, “वो इस ट्रिप पर सिर्फ तुम्हारे लिए आई थी। तुम्हारे अलावा उसका और कोई मकसद नहीं था अपने साथ आने का।”
“क्या कुछ भी बोले जा रहा है!” आरव बोला।
“सच में! वह तुम्हें पसंद करती थी। तुम सब जानबूझकर अनजान बन रहे हो। तुम्हें पता होगा..”
“हां मुझे पता है कि वो मुझे स्कूल में भी पसंद करती थी और शायद अब भी पसंद करती थी। पर यह कहना बिलकुल भी सही नहीं होगा कि वो यहां सिर्फ मेरे लिए आई थी।”
“चलो जो भी हो, अब बॉडी का क्या करना है?”
“अपने साथ में ले लेते हैं, हिम्मत करके उसके मम्मी पापा को सौंप देंगे।”
इतने में तेज बिजली के कड़कने के साथ ही बहुत तेज हवा चलने लगी। और कुछ पल में उनके सामने ही रूही की बॉडी गायब हो गई। उन्हे कुछ भी समझ नहीं आया कि यहां क्या हो रहा है। बस उनके सामने तो एक ही ऑप्शन था, वहां से भाग निकलने का।
तीनों जने इतने घबरा गए थे कि किसी ने भी भागने से पहले एक बार भी नहीं सोचा। किसी ने रूही की लाश को ढूंढना तो दूर, किसी ने उसके बारे में सोचा तक भी नहीं। तीनों भागते भागने कुछ ही मिनट में गाड़ी के पास तक पहुंच गए और उन्हें पता भी नहीं लगा।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों क्या लगता है, क्या यश अपने दोस्तों से फिर मिलेगा? या उसका भी वही हाल होगा जो रूही का हुआ है। और ये क्या? रूही मर चुकी है। मुझे यकीन नहीं ही रहा है। क्या आपको हो रहा है? कॉमेंट करके जरूर बताएं। बहुत से “रहस्य” लेकर आऊंगा अगले पार्ट में। इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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