अब तक आपने पढ़ा:
आरव रूही से मिलता है और उसे लगने लगता है कि रूही जिंदा है। वहीं सागर को एक आवाज यह कहती है कि सागर आरव और यश में से किसी एक से ही मिल पाएगा।
अब आगे:
“मूर्ख, यहां जो कुछ भी हो रहा है, वो सब मेरी ही मर्जी से हो रहा है। जानना चाहोगे कौन हूं मैं?” उस आवाज ने गंभीरता से कहा।
“अच्छा बताओ फिर, किस खेत की मूली हो तुम?” सागर बोला।
सागर को लगा था कि वह उस पर आसानी से दबदबा बना लेगा पर उसके विपरीत वह आवाज चिल्लाते हुए बोली, “मैं यह जंगल हूं, जिसे तुम देख रहे हो। हा हा हा हा हा।” वह इतना बोलकर जोर जोर से हंसने लगता है।
रूही आरव से बोली, “तुम ठीक तो हो ना!” इस पर आरव जवाब देता है, “हां, मैं बिल्कुल ठीक हूं।” रूही हंसने लगती है और आरव से कहती है, “हालत तो देखो अपनी, ठीक से खड़े रहना तो मुश्किल है तुम्हारे लिए। और कहते हो, बिल्कुल ठीक हूं।” आरव खुद की हालत का जायजा लेता है, उसे याद आता है की यश की हालत उससे भी ज्यादा खराब थी। वह रूही से तुरंत पूछता है, “यश, किधर है, और कैसा है वो? वो ठीक तो हैं ना!”
यश सागर को ढूंढता हुआ उसको पुकारते हुए आगे बढ़ रहा होता है। उसे बिल्कुल भी अंदाजा नहीं कि वह सागर से दूर जा रहा है। अचानक यश एक ऐसी जगह पर पहुंच जाता है जहां उसकी आंखों पर उसे विश्वास भी नहीं होता। वह अपनी आंखें मलता हुआ यह जांचने की कोशिश करता है की क्या जो सामने है वो सच है, या केवल उसकी आंखों का भ्रम। यश के सामने बहुत सी अलग अलग तरह की गाड़ियां मौजूद थी। जैसे मानो कोई बहुत बड़ा शोरूम हो। वह उन सब गाड़ियों में आरव की गाड़ी को ढूंढने की कोशिश करने लगता है।
सागर को अपने कानों पर बिल्कुल भी विश्वास नहीं होता। सागर चौंककर बोलता है, “क्या, यह जंगल?” “हां, बिल्कुल सही सुना तुमने!” सामने से आवाज आई। “पर मैं कैसे मान लूं?” सागर ने पूछा तो सामने से जवाब आया, “और कोई ऑप्शन है तुम्हारे पास?” सागर बोला, “अच्छा ठीक है, तो मैं आरव से मिलना चाहूंगा। मिलवाओ मुझे।” “वो मर चुका है।” सामने से आवाज आई। “क्या? तो फिर यश से मिलना है मुझे!” सागर बोला। “अब तुमने आरव से मिलने का फैसला किया था, इसलिए जल्द ही यश भी मर जायेगा। लेकिन तुम चाहो तो उसे बचा सकते हो, पर उसको बचाने के चक्कर में तुम्हारी भी जान जा सकती है।” सामने से आवाज आई।
हालांकि सागर को उस आवाज पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था। पर फिर भी यश के मरने की बात सुनकर वह बहुत घबरा गया और वह पीछे की तरफ मुड़कर भागने लगा। क्योंकि बहुत देर से इसी तरफ वह यश को ढूंढ रहा था। तो दूसरी तरफ उसे आरव की अंगूठी इधर मिली थी पर उसने सोचा पहले यश को ढूंढ लिया जाए। वह बहुत हड़बड़ाया हुआ सा था। उसे नहीं समझ आ रहा था कि वह क्या करे। पर हड़बड़ाहट में वह उसी दिशा में जाने लगा था जिस दिशा में यश था।
यश आरव की कार ढूंढने की कोशिश कर रहा था। बहुत देर ढूंढने के बाद भी उसे आरव की कार नहीं मिली। उसने कार की तरफ से ध्यान हटाकर इस बात पर ध्यान दिया कि पहले रस्ते में कोई कार नहीं थी यानी वह गलत दिशा में आ गया था और उसे सागर तो क्या मिलना था अगर सागर भी उसे ढूंढ रहा हो तो भी वह उसको नहीं मिलना था। यह सोचकर वह वापस विपरीत दिशा में चल दिया।
सागर और यश दोनों एक दूसरे की तरफ बढ़ रहे थे। पर दोनों के बीच दूरी काफी थी। कुछ देर चलते चलते यश थककर बैठ गया। पर सागर को डर लग रहा था कि कहीं उस अनजान आवाज की बात सच ना हो जाए साथ ही आरव के बारे में सोचकर उसकी रूह कांप रही थी। और इसलिए वह लगातार चले ही जा रहा था।
कुछ देर और चलने के बाद आखिर सागर को यश दिखाई दिया। यश माथा पकड़े जमीन पर बैठा था। उसे बिल्कुल भी होश नहीं था कि वह थोड़ा इधर उधर देखे। सागर बिल्कुल उसके सामने उससे चार या पांच कदम की दूरी पर था। अचानक भूकंप के तेज झटके आते हैं और सागर देखता है कि एक तरफ से जमीन फट रही है जो कि यश की तरफ बढ़ रही होती है पर यश इस बात से अनजान गुमसुम ही बैठा रहता है।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों उम्मीद है आप कहानी को एंजॉय कर रहे होंगे। अगर आप कर रहे हैं तो अपने दोस्तों के साथ शेयर कीजिए। और सोचिए क्या यश बच पाएगा? अगर उस आवाज का कहा यह सच हो रहा है तो कहीं आरव मर तो नहीं गया? और फिर आरव और रूही जो साथ हैं, उसका क्या? कहीं रूही ने ही तो आरव को मार नहीं दिया, क्योंकि इंसानी रूप में आरव कभी उसका नहीं हो सकता था। जो भी हो, हर “रहस्य” से पर्दा उठेगा जल्द ही।
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