अब तक आपने पढ़ा:
रूही आरव को बेहोश कर देती है। वहीं दूसरी तरफ सागर और यश यह सोच रहे होते हैं कि आखिर जंगल में जो भूत हैं वो उनसे चाहते हैं क्योंकि भूतों की हरकतों से ऐसा बिल्कुल भी नहीं लग रहा होता कि वे उन्हें मारना चाहते हैं।
अब आगे:
वे दोनों गाड़ी के पास खड़े डिस्कस कर ही रहे होते हैं की अचानक उन्हें जोर का धक्का लगता है और वे दोनों गाड़ी से कुछ दूरी पर जाकर गिर जाते हैं। पीछे मुड़कर देखने पर उन्हें कोई भी दिखाई नहीं देता और अचानक उनकी आंखों के सामने उनकी कार ब्लास्ट हो जाती है।
“क्या अभी अभी जो हुआ, वह सच था?” दोनों का मन थी सवाल कर रहा होता है। “जरूर कोई ताकत हमें बचाने की कोशिश कर रही है, तो कोई ऐसी शक्ति भी यहां मौजूद है जो हमें नुकसान पहुंचाना चाहती है।” सागर बोल पड़ता है। तो यश अभी इस सदमे से बाहर भी नहीं आ पाया है। “मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा। बस इतना पता है, हमें यहां से जल्दी ही निकलना होगा।” यश बोलता है।
इतने में सागर कुछ सोचकर जोर से चिल्लाता है, “किसने बचाया हमें, सामने आओ प्लीज।” “मैं वही हूं, जिसने तुम्हें कसम देकर भेज दिया था। इसलिए मैं तुम्हारे सामने बिल्कुल भी नहीं आ सकती। और अब मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगी, आरव तक भी तुम्हें खुद ही पहुंचना होगा। वह उत्तर दिशा में बेहोश पड़ा है। इस बात का ख्याल रखना कि बहुत सी मुश्किलें आएंगी जिसका सामना तुम्हें हिम्मत से करना होगा। कल तो मैनें तुम्हें बहुत से खतरों से बचाया था। पर आज मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाऊंगी।” रूही बोलती है। “आरव को कोई नुकसान पहुंचा देगा तो…” सागर बोल रहा होता है कि रूही बीच में बात काटते हुए बोलती है, “आरव जब तक बेहोश है, तब तक कोई भी अदृश्य शक्ति उसे छू भी नहीं सकती। तुम आरव के पास पहुंचो, मैं तुम्हें वहीं मिलूंगी। और एक बात का ध्यान रखना, मैं जैसा तुम्हें बोलूं वैसा ही करते रहना, अगर कोई बात नहीं सुनी तो न मैं आजाद हो पाऊंगी और न ही तुम घर जा पाओगे, अब मैं चलती हूं। याद रखना, उत्तर दिशा।”
“अब ये क्या नई मुसीबत है?” यश माथा पीटते हुए बोलता है। “हमें फिलहाल आरव को बचाना है।” सागर उसके जवाब में कहता है। “पर उत्तर दिशा, कौनसी तरफ है? मुझे तो सब एक सी ही लग रही हैं, ऊपर से कोई कंपास भी नहीं है अपने पास।” यश बोलता है। “उसमें क्या प्रोब्लम है! मोबाइल में कंपास ऐप तो है ही ना!” सागर बड़े आराम से बोलते हुए अपने मोबाइल में कंपास एप खोलते हुए कहता है।
“अरे, यह क्या?” कहते हुए मोबाइल को इधर उधर घुमाने लगता है। “क्या हुआ?” यश पूछता है। “ऐसा कैसे हो सकता है?” सागर हैरानी से बोलता है। सागर को हैरान होता देख यश बोलता है, “कैसा कैसे हो सकता है? मुझे भी कुछ समझाओ।” सागर उसे अपना फोन दिखाते हुए कहता है, “ये देखो! यहां मैग्नेटिक फील्ड है। जिस वजह से कंपास यहां काम नहीं करने वाला।”
यश आसमान की तरफ देखते हुए कहता है, “अभी कुछ देर पहले आसमान काफी साफ था। अगर आसमान में इतने बादल न आए होते तो मैं उत्तर क्या कोई भी दिशा का आराम से पता बता देता।” “अच्छा, वो कैसे?” सागर हैरानी से पूछता है। “अरे, तुम्हें नहीं पता मुझे तारों के बारे में बहुत ज्यादा नॉलेज है।” यश अपनी बड़ाई के बोल बोलता है। “अच्छा तो वो देखो, तुम्हारे पीछे की तरफ, वहां कुछ तारे दिख रहे हैं।” सागर इशारा करते हुए कहता है।
उन तारों को देखकर यश अपने दिमाग में कई तरह की कैलकुलेशन करने लगता है। सागर पूछता है, “आज आज में पता लग जाएगा ना!” यश उसकी बात को बिल्कुल इग्नोर करता अपने काम में मस्त रहता है। “अभी वक्त क्या हुआ है?” यश पूछता है। “एक बजकर पचास मिनट” सागर मोबाइल में देखते हुए बोलता है। “वो रही उत्तर दिशा।” यश एक तरफ उंगली से इशारा करता है।
“क्या तुम श्योर हो?” सागर पूछता है। “हां, पर क्या तुम श्योर हो कि रूही सच बोल रही थी?” यश उसके सवाल के जवाब में सवाल ही कर देता है। “लगता तो ऐसा ही है। और अपने पास कोई दूसरा ऑप्शन भी तो नहीं है ना।”
कहानी जारी रहेगी…
उम्मीद है आपको यह कहानी पसंद आ रही होगी। बहुत से सवाल अभी बाकी हैं जिनका जवाब अगले चैप्टर्स में मिलेगा। क्या इनको रूही की बात पर भरोसा करना चाहिए? रूही ने आरव को बेहोश क्यों किया? रूही तो कुछ भी कर सकती थी, फिर वह क्यों इन तीनों को परेशान कर रही थी? सब “रहस्य” पर से पर्दा उठेगा जल्द ही। तब तक इंतजार कीजिए अगले चैप्टर का। और शेयर भी करें अपने दोस्तों के साथ।
Please bookmark this “web novel” and stay tuned to read next part👍