अब तक आपने पढ़ा:
अरुण बाइक लेकर निकल गया था और राज तनाव कम करने के लिए इधर उधर टहल रहे थे।
अब आगे:
“राज कब तक ऐसे इधर उधर घूमते रहोगे?” लक्ष्मी ने चुप्पी तोड़ते हुए कहा।
“राज!” लक्ष्मी कोई जवाब ना मिलने पर थोड़ा जोर देकर बोली।
“अरुण बाइक देखकर बहुत खुश था, मैं सोच रहा हूं उसको ऐसी बाइक खरीदकर दे दूं।” राज ने बोला।
“पर आप पहले ही उसकी पढ़ाई के लिए बहुत खर्च कर चुके हैं, अभी बाइक लेने के लिए पैसों का इंतजाम कहां से कर सकेंगे।” लक्ष्मी ने पूछा।
“देखते हैं।” राज उदास होकर बोले।
“पर वो बाइक रखी किसने होगी?” लक्ष्मी बोली।
“मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।” राज बोले।
इनका आज का दिन ऐसे ही निकलने वाला है, चलो अरुण के पास चलते हैं।
अरुण कॉलेज पहुंच चुका है, और वो किसी को फोन लगा रहा है। अरुण रास्ते में अमित के घर भी जाकर आया है, जहां पर उसकी मम्मी ने अरुण को बताया कि अमित सुबह बिना बताए घर से गया था, अभी तक वापस नहीं आया है।
“यार ये अमित भी ना मेरा फोन ही नहीं उठा रहा, पता नहीं कहां मर गया।” अरुण अपने आप से बोला।
शायद अरुण अब तक उसको कई बार फोन करने की कोशिश कर चुका है।
अरुण बिना मन के कॉलेज के अंदर जाता है।
“वाह, इतनी बड़ी पार्किंग, सच में बहुत बड़ा है कॉलेज, आज पहली बार कॉलेज को अंदर से देख रहा हूं।” अरुण सोचता हुआ बाइक पार्क करने लगा।
अरुण कुछ देर ग्राउंड में बैठा इसी बात को सोचता रहा कि वो अमित के बिना पूरा दिन कॉलेज में क्या करेगा। अक्सर सबके साथ भी यही होता है, अपने दोस्त के बिना कॉलेज खाली खाली सा लगता है।
अब अरुण के कदम धीरे धीरे कॉलेज कॉरिडोर की तरफ बढ़ने लगे, अरुण का दिल बेचैन था, मन उदास हो रहा था, और हो भी क्यों ना अमित के बिना कॉलेज में आना उसके लिए किसी सदमे से कम नहीं था।
अचानक एक पतली सी मोहक आवाज अरुण के कानों में गूंजी “ओए, सुनो, ओए सुनो, तुम अपना बैग ग्राउंड में ही भूल आए।”
अरुण आवाज में खो सा गया, उसके कदम जहां थे वहीं रुक गए। दिल की धड़कन तेज हो गई, तभी वो लड़की दोबारा बोली, “ओए, तुमसे ही कह रही हूं, सुनाई नहीं देता क्या?”
आवाज सुनकर अरुण ने झटका सा खाया। उसे एहसास हुआ कि वो अपना बैग ग्राउंड में ही भूल आया।
अरुण पीछे मुड़कर उसको जवाब देता उस से पहले वो बोली, “मैं ये बैग रखकर जा रही हूं, उठा लेना।”
जब अरुण ने पीछे मुड़कर देखा तब उसके सामने बैग पड़ा था और वो लड़की स्टूडेंट्स की भीड़ में कहीं ओझल हो गई।
अरुण अभी तक उसकी आवाज में मंत्रमुग्ध हुआ उस बैग को निहारे जा रहा था कि अचानक उसका फोन बजा और वो खयालों से बाहर आया।
“बोलिए पापा” अरुण फोन उठाते हुए बोला।
अरुण बेचैन हो गया क्यूंकि उसे लगा था कि अमित का फोन होगा।
“कॉलेज पहुंच गए बेटा?” फोन से आवाज आयी।
“हां पापा, अच्छे से पहुंच गया।”
“मन लगाकर पढ़ाई करना मेरा बच्चा।”
“जी पापा”
अरुण अब बैग उठाकर कॉरिडोर में पहुंचा। कॉलेज की चकाचौंध उसे मोहित कर रही थी। इतना बड़ा कॉलेज, इतनी सारी सुविधाएं पर फिर भी उसे एक बात खल रही थी। वो वास्तव में अपने दोस्त को बहुत ज्यादा मिस कर रहा था। जब भी वह इधर उधर देखता, उसे सब अपने अपने दोस्तों के साथ दिखाई दे रहे थे। वह अपने आप को इतने लोगों के बीच होते हुए भी अकेला महसूस कर रहा था।
अरुण खयालों में खोया हुआ था कि तभी अचानक किसी क्लासरूम से एक लड़की के चीखने की आवाज़ आयी। कुछ लड़कियां और लड़के उस क्लासरूम में हंस रहे थे। 2 मिनट बाद सबको पता चला कि किसी लड़के ने उस लड़की के कंधे पर रबर की छिपकली रख दी थी।
अरुण इस हरकत को देखकर एकदम निराश सा हो गया। उसको अमित के साथ बिताए एक एक पल की याद आने लगी। अरुण और अमित अक्सर इस तरह की शरारतें करते रहते थे। अरुण का मन उदास होने लगा था, उसकी बेचैनी उसकी गहरी दोस्ती का प्रमाण दे रही थी। वो स्तब्ध था, उसके लिए दोस्त के बिना कॉलेज आना अकल्पनीय था, पर वास्तव में वह कॉलेज में खड़ा था। उसे एक एक निकलता हुआ क्षण बरसों जैसा लग रहा था। कॉलेज की इतनी भव्य इमारत उसे खंडहर प्रतीत हो रही थी। उसके पैर थम से गए थे, वह आगे भी नहीं बढ़ पा रहा था।
“बेटा नया एडमिशन है क्या?” स्टाफ के किसी व्यक्ति ने पूछा।
“मैं तुमसे बात कर रहा हूं।” उस व्यक्ति ने अरुण के ना सुनने पर बोला।
“जी कहिए।” अरुण ने जवाब दिया।
“मैं इस कॉलेज में गणित का प्रोफेसर त्रिपाठी हूं। तुम कुछ ढूंढ़ रहे हो क्या?” प्रो. त्रिपाठी बोले।
“जी मेरा नाम अरुण है, मैं कॉलेज में नया हूं। मुझे बीएससी की क्लास नहीं मिल रही।” अरुण ने जवाब दिया।
“बेटा ढूंढोगे तो मिलेगी ना, सब क्लासरूम पर क्लास का नाम लिखा है। अच्छा वो रही सामने तुम्हारी क्लास।” प्रो. त्रिपाठी एक क्लासरूम की तरफ इशारा करते हुए बोले।
अरुण सोचता हुआ क्लास की तरफ बढ़ने लगा, “अरे ये तो वही क्लास है जिस से अभी अभी आवाज आई थी।”
जैसे ही अरुण क्लासरूम के अंदर गया…
क्लासरूम के अंदर क्या हुआ? अभी तक ये भी नहीं पता चला कि राज का सरप्राइज क्या था? बस थोड़ा इंतजार और आपको अपने सवालों के जवाब मिलेंगे अगले पार्ट में, तो पढ़ना मत भूलना।
पढ़ने में मज़ा आ रहा है या नहीं, कमेंट में जरूर बताना।
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