अब तक आपने पढ़ा:
राज ने अरुण को अमित के साथ भेज दिया है और बाइक उस अनजान कॉल के मुताबिक बाहर खड़ी कर दी है।
अब आगे:
इस सब घटना के बाद राज को देर रात तक नींद नहीं आई। राज और लक्ष्मी आधी रात तक यही सोचते रहे कि सब ठीक होगा या नहीं। उधर अरुण और अमित, उन दोनों को भी कहां नींद आने वाली थी, उनका भी मन बेचैन हो रहा था। सबको रात बहुत लंबी लग रही थी। देर से ही सही आखिर सब सो गए।
सुबह उठते ही राज ने भागकर घर के बाहर देखा और चैन की सांस ली, वहां बाइक नहीं खड़ी थी। उसके बाद राज नहाकर, पूजा – पाठ करने लगे। उसके बाद नाश्ता करके अरुण को फोन लगाया।
और ये क्या, अरुण फोन नहीं उठा रहा। राज को चिंता सताने लगी। राज टेंशन के मारे इधर उधर चलने लगे और लगातार उसको फोन लगाए जा रहे थे।
इतने में लक्ष्मी किचन से बाहर आई और बोली, “क्या हुआ, क्यूं ऐसे तेज तेज चल रहे हो?”
राज ने जवाब दिया, “अरुण का फोन नहीं लग रहा।”
लक्ष्मी बोली, “फिर से ट्राई करो।”
राज बोले, “कब से ट्राई ही कर रहा हूं। मैं अमित के घर जाकर पता करता हूं।”
इतने में फोन बजता है। “लो आ गया उसका फोन, ऐसे ही टेंशन ले रहे थे।” लक्ष्मी बोली।
राज ने फोन उठाया और पूछा, “अरुण! तुम ठीक हो ना।”
“हां पापा, बिल्कुल ठीक हूं।” अरुण ने जवाब दिया।
“फोन क्यूं नहीं उठा रहे थे?” राज ने पूछा।
“रात को लेट नींद आई थी, तो उठने में देर हो गई। आप बेफिक्र रहो मैं यहां से कॉलेज चला जाऊंगा।” अरुण ने बोला और फोन रख दिया।
राज खुश थे कि सब कुछ नॉर्मल हो चुका था, पर उन्हें नहीं पता इस से भी बड़ी समस्या उसके परिवार का इंतज़ार कर रही है।
खैर छोड़िए,
उधर अरुण और अमित कॉलेज जाने के लिए तैयार है, दोनों नाश्ता कर के साथ में कॉलेज के लिए निकलते हैं।
“चलो अच्छा हुआ बाइक की प्रॉब्लम खत्म हुई।* अमित बोला।
“हां यार, बहुत अच्छा हुआ।” अरुण ने जवाब दिया।
“पर एक बात बिल्कुल समझ में नहीं आ रही।”
“क्या?”
“वो आदमी तुमसे क्या करवाना चाहता था।”
“मुझे कोई भी अंदाजा नहीं है।”
और ऐसे ही बातें करते करते ये दोनों कॉलेेज पहुंच जाते हैं। दोनों क्लास में जाते है। प्रो. त्रिपाठी गणित पढ़ा रहे थे।
थोड़ी देर बाद –
“अरुण क्या बात हो रही है।” प्रो. बोले।
“क.. कु..कुछ नहीं सर!” अरुण चौंकते हुए बोला। दरअसल अरुण का आज पढ़ने का बिल्कुल मूड नहीं था, इसलिए वो अमित के साथ बातों में मशगूल हो गया था।
“क्लास से बाहर जाओ।” प्रो. बोले।
“सॉरी सर” अरुण बोला।
“आई सैड गेट आउट ऑफ माई क्लास।” प्रो. चिल्लाए।
अरुण चुपचाप बाहर आ गया और सोचने लगा अब ये क्या नई मुसीबत आ गई। तभी देखा पास वाली क्लास के बाहर एक खूबसूरत सी लड़की बैठी थी। अरुण उसके पास गया और बोला, “हैलो!”
उसने जवाब दिया, “हाए!”
अरुण को आवाज कुछ जानी पहचानी सी लगी। ‘अरे ये तो वही लड़की है जो मुझे कल बैग देकर गई थी।’
अरुण – तुम वही हो ना जिसने कल मुझे मेरा बैग लौटाया था।
लड़की – हां, और तुम वही बेवकूफ हो जिसने इतनी आवाजें लगाने के बाद भी मुड़कर नहीं देखा।
अरुण – तुम्हारी आवाज में खो गया था।
लड़की – अच्छा जी! वैसे नाम क्या है तुम्हारा?
अरुण – मेरा नाम अरुण है।
लड़की – और मेरा नाम सिमरन। नए हो कॉलेज में।
अरुण – हां। तुम बाहर क्यूं बैठी हो?
सिमरन – लेट अाई थी इसलिए प्रोफ़ेसर ने बाहर निकाल दिया।
अरुण – ओह!
सिमरन – तुम भी बाहर हो, क्यूं?
अरुण – क्लास में बात कर रहा था, तो प्रोफेसर ने बाहर निकाल दिया।
सिमरन – कौन त्रिपाठी है क्लास में?
अरुण – हां तुमको कैसे पता?
सिमरन – इस कॉलेज में उसके अलावा बात करने पर और कोई क्लास से बाहर नहीं निकालता। एक नंबर का खड़ूस है।
अरुण – अच्छा! चलो कैंटीन में चलते हैं।
सिमरन – क्यूं? मैं नहीं आ रही तुम जाओ।
अरुण – चलते हैं ना, वैसे भी यहां बैठे क्या करेंगे! चलकर कॉफी पीते हैं चलो।
सिमरन – अच्छा ठीक है।
दोनों साथ मिलकर कॉफी पीते हैं और इधर – उधर की बातें करते रहते हैं। तभी अमित का फोन आता है, “कहां हो, अरुण”
“कैंटीन में हूं, तुम यहीं आ जाओ।”
“ओके” कहकर अमित फोन रख देता है।
“चलो अब मैं चलती हूं।” सिमरन बोली।
“अरे, बस दो मिनट रुको। मैं तुम्हें अपने दोस्त से मिलवाता हूँ।” अरुण बोला।
“नहीं बहुत देर हो गई, मुझे अब जाना होगा, फिर कभी मिलवा देना।” कहकर वो चली गई।
उसके जाने के पांच मिनट बाद अमित आ गया।
“यहां क्या कर रहा है?” अमित बोला।
“कुछ नहीं, सिमरन के साथ कॉफी पी रहा था।” अरुण ने जवाब दिया।
“अब ये सिमरन कौन है?” अमित ने पूछा।
“है कोई, तुझे बाद में मिलवाऊंगा उस से।” अरुण बोला।
“अच्छा ठीक है। अगली क्लास शुरू होने वाली है क्लास में चलते हैं।” अमित ने कहा।
अरुण और अमित दोनों क्लास में चले गए। अरुण का क्लास में बिल्कुल ध्यान नहीं था, वो तो बस सिमरन के बारे में ही सोच रहा था। खैर, जैसे – तैसे दिन निकल गया।
कहानी जारी रहेगी…
दोस्तों कहानी आगे और भी दिलचस्प होने वाली है। इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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