अब तक आपने पढ़ा:
अमित को पता चला कि प्रो. त्रिपाठी और सिमरन मिले हुए हैं। वह यह सब अरुण को बताना चाहता है, इसलिए वह अरुण से मिलने कॉलेज जाता है। जहां सिमरन पहले से उसे ड्रग्स दे चुकी है।
अब आगे:
अरुण को ड्रग्स का नशा चढ़ने लगा था। कुछ देर बाद दो लड़के सिमरन को छेड़ने लगे। अरुण ये सब देख कर उनके पास गया और बोला, “यहां से चुप चाप चले जाओ, मैं तुम्हें माफ कर दूंगा।”
सिमरन बोली, “अरुण! प्लीज़ तुम रहने दो। मैं नहीं चाहती तुम मेरी वजह से किसी मुसीबत में फस जाओ।”
उन लड़कों में से एक बोला, “देखो बच्चे, तुम इस लड़की की बात सुन लो और हमारे बीच से हट जाओ।” और दोनों खिलखिलाकर हंसने लगे।
सिमरन काफी डरी हुई लग रही थी। अरुण यह देखकर उनसे बोला, “अगर सही सलामत जाना चाहते हो तो वापस लौट जाओ।”
उनमें से एक ने अरुण का कॉलर पकड़ लिया और बोला, “क्या बे, तू क्यों इतनी पंचायत कर रहा है?”
अरुण ने उसको धक्का दिया और उसके मुंह पर एक मुक्का जड़ दिया।
तो उसके जवाब में उसके दूसरे साथी ने अरुण का एक हाथ पकड़ कर मोड़ दिया और उनमें से पहले ने उसके गाल पर एक थप्पड़ मारी।
अरुण झपटा और खुद को छुड़ाकर जिसने हाथ पकड़ा था उसे एक लात दे मारी।
इस तरह वो आपस में एक दूसरे से कुछ देर झगड़ते रहे। लगभग पांच मिनट बाद बात प्रिंसिपल तक पहुंच गई और स्टाफ के तीन – चार लोग उनको छुड़वाने आ गए और उनको पकड़कर एक दूसरे से छुड़वाने लगे। अरुण ने अपने आप को छुड़वाकर उस स्टाफ के व्यक्ति का गला पकड़ते हुए कहा, “छोड़ मुझे, आज मैं इन दोनों को जिंदा नहीं छोडूंगा।”
इस तरह का सलूक देखकर प्रिंसिपल ने पुलिस बुला ली। पुलिस अरुण को पकड़कर ले गई। उनके जाते ही अमित आ गया। अमित के आते ही सिमरन अमित के पास आई और रोते रोते अमित को सारी बात बताई।
“ये भी तूने ही किया ना?” अमित बोला।
“क्या मतलब?” सिमरन बोली।
“ज्यादा भोली बनने का नाटक मत कर, मुझे सब पता है।” अमित बोला।
“अच्छा तो अपने दोस्त के पास जाओ।” सिमरन हंसते हुए बोली।
अमित वहां से पुलिस स्टेशन की तरफ निकल गया। अमित जैसे ही पुलिस स्टेशन पहुंचा, अमित ने देखा अरुण उनको बोल रहा है, मुझे बस एक कॉल करने दो, पर उसको कोई कॉल नहीं करने दे रहा।
अरुण अचानक बोला, “सर, क्या आप दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को जानते हो?”
ऑफिसर बोला, “बच्चे मैं दिल्ली के कमिश्नर को क्यूं जानूंगा, ये दिल्ली नहीं है।”
अरुण बोला, “मुझे उनसे बात करनी है, एक कॉल करने दो।”
इतने में अमित आया और बोला, “सर मैं अरुण का दोस्त हूं, जरूर आपको कोई गलतफहमी हुई है, जैसा आप समझ रहे हैं वैसा कुछ नहीं है, मैं आपको पूरी बात समझाता हूं।”
वह ऑफिसर बोला, “अच्छा अब तू हमको समझाएगा।”
अरुण बोला, “अमित यार, तू दो मिनट चुप कर, बस मुझे एक फोन कर लेने दे।”
ऑफिसर बोला, “अच्छा कर ले फोन, बड़ा आया फोन करने वाला, देखता हूं मैं भी क्या उखाड़ लेगा फोन करके।”
अरुण बोला, “थैंक्स सर”
अरुण फोन लगाकर बोला, “हैलो मामा जी, मुझे यहां पुलिस ने पकड़ लिया है, आप प्लीज़ मुझे छुड़वा दीजिए।” और फोन पर पुलिस स्टेशन की डिटेल्स देता है।
अगले मिनट उस ऑफिसर के पास अरुण को छोड़ने के लिए सिटी कमिश्नर का फोन आता है।
उस ऑफिसर ने अरुण से पूछा, “वाह, सीधे कमिश्नर से फोन आया, किसको फोन लगाया था, बच्चे।”
अरुण ने जवाब दिया, “बताया तो था, दिल्ली के पुलिस कमिश्नर को! और वैसे भी मेरी कोई गलती नहीं थी।”
ऑफिसर बोला, “कोई बात नहीं, अब आप लोग जा सकते हो।”
अरुण और अमित पुलिस स्टेशन से वापस कॉलेज की तरफ निकल दिए।
आते हुए रास्ते में अमित ने अरुण से पूछा, “तुमने किसे फोन किया था।”
“मेरे मामा जी को।” अरुण बोला।
“तुम्हारे मामा जी पुलिस कमिश्नर हैं? तुमने कभी बताया नहीं?” अमित बोला।
“शायद कभी उनके बारे में बात ही नहीं हुई, इसलिए नहीं बताया। आज अपने आप पता लग गया।” अरुण ने जवाब दिया।
“हां वो तो है।” अमित बोला।
“सिमरन ठीक है ना?” अरुण ने पूछा।
“अरे वो तुझे फसा रही है, ये सब उसका प्लान था, वो लड़के जो उसे छेड़ रहे थे, उन्हें भी उसने ही बुलाया…” अमित बोल रहा था कि अरुण बात काटते हुए बोला, “तू होश में तो है, क्या बोल रहा है तू?”
“होश में तू नहीं है भाई, सिमरन ने तुझे ड्रग्स दिए…” अमित इस से आगे बोलता उस से पहले अरुण बोला, “आज तेरा दिमाग ठिकाने पर नहीं है, यहां से तेरा घर भी नजदीक ही है, तू घर जा मैं यहां से कॉलेज चला जाऊंगा, तू आराम कर।” और अरुण ने अमित को जबरदस्ती घर भेज दिया।
ये क्या अरुण तो अमित की एक भी बात सुनने को तैयार नहीं था। यह सोच कर अमित बहुत परेशान हो रहा था। अमित को कुछ भी समझ नहीं आ रहा था ये क्या हो रहा है और क्यूं हो रहा है। बस इतना साफ था कि इसके पीछे बहुत से लोग है। अमित अपने आप को लाचार महसूस कर रहा था।
कहानी जारी रहेगी…
आखिर सिमरन अरुण से क्या चाहती है? क्या अमित कुछ कर पाएगा? या सिमरन अपना अगला खेल खेलेगी। जानने के लिए इंतजार कीजिए अगले पार्ट का।
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